खुले आसमान तले बिराजे टापू वाले भोलेबाबा को है एक छत की दरकार

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  •  जीवनदायिनी इंद्रावती के मध्य विराजित हैं भोलेनाथ
  • आसना के तामाकोनी में मंदिर निर्माण की मांग

ललित जोशी

जगदलपुर शिव हम सभी का कल्याण करते हैं। भगवान शिव अपने निराले अंदाज और सादगी के लिए जाने जाते हैं। इसे विडंबना ही कहें कि आज भी कई जगहों पर भगवान शिव लिंग स्वरूप में उपेक्षित अवस्था में देखे जा सकते हैं। जगदलपुर शहर की सीमा से लगी ग्राम पंचायत आसना के आश्रित ग्राम तामाकोनी में भी सबका कल्याण करने वाले भोलेबाबा उपेक्षित अवस्था में विराजमान हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि प्रतिवर्ष सिर्फ शिवरात्रि के दिन ही यहां भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है। बाकी के वर्ष भर कभी-कभी ही लोग आकर पूजा करते हैं। ग्राम पंचायत आसना के तामाकोनी की धरा को स्पर्श करती गुजरने वाली इंद्रावती नदी के दोनों छोरों की चौड़ाई लगातार बाढ़ के चलते लगभग डेढ़ गुना अधिक हो चली है। बाढ़ के कारण नदी के बीच में एक बड़े आकार के टापू का निर्माण हो गया है। इस टापू के दोनों तरफ से इंद्रावती की जलधारा प्रवाहित होती है। यह जलधारा शीतकाल से सिकुड़ती हुई गर्मियों में सूख जाती है। वर्ष 2010 में स्थापित भगवान शिव के मंदिर को भी इसी वर्ष आई बाढ़ ने अपनी चपेट में ले लिया। इसके चलते मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया है। वर्तमान में मंदिर के सिर्फ पिलर ही शेष बचें हैं।

परस्पर सहयोग से विराजे थे शिव

तामाकोनी गांव के अंतिम छोर से बहती इंद्रावती नदी के किनारे भगवान शिव को स्थापित करने के पीछे भी अनोखी कहानी है। गांव के 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज और आदिवासी समाज के वरिष्ठ सदस्यों के सामाजिक सद्भाव और परस्पर सहयोग से भगवान शिव विराजित हुए थे। प्रमुख रूप से लोक निर्माण विभाग से सेवानिवृत्त स्व. काशीप्रसाद जोशी, विद्युत विभाग से सेवानिवृत्त स्व. विजय पाणीग्रही, गोकुलानंद पाणीग्रही, चंद्रविष्णु पाणीग्रही,

आदिवासी समाज के वरिष्ठ सदस्य स्व. चेतन सिंह देहारी,

स्व. धरम सिंह कोकड़िया, स्व. खिरनाथ पुजारी एवं लोकनाथ गड़मिया ने मंदिर निर्माण में विशेष भूमिका निभाई थी

आस्था को मिलेगा आयाम तो रोजगार

वर्तमान में जिस जगह पर भगवान शिव विराजमान हैं, वह जगह आसपास के अन्य क्षेत्रों के मध्य बिंदु पर स्थित है। जगदलपुर, धरमपुरा, आसना, बालिकोंटा, कोंडावल, कालीपुर और घाट पदमुर प्रमुख के मध्य me यह स्थान है। मंदिर निर्माण के बाद लोगों की आवाजाही बढ़ जाएगी। शिवरात्रि के दिन में भी देखा जाता है कि इन सभी जगहों से बड़ी तादाद में लोग भगवान शिव के दर्शन को पहुंचते हैं। वहीं दूसरी तरफ नदी के किनारे निवासरत ग्रामीणों को भी दर्शनार्थियों के आने से रोजगार मिलने की व्यवस्था हो सकेगी।