- छत्तीसगढ़ सरकार संवेदनशीलता दिखाए
- युक्तियुक्तकरण का फैसले का हर वर्ग पर दुष्प्रभाव
जगदलपुर छत्तीसगढ़ प्रदेश शासकीय शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष शंकर साहू का कहना है कि युक्तियुक्तकरण नीति के दिशा निर्देश नेप के उद्देश्यों के अनुरूप नहीं है।
उन्होंने बताया कि प्राथमिक स्तर में 5 कक्षाएं होती हैं। कक्षा 3 से 5 तक हिंदी, अंग्रेजी, गणित और पर्यावरण विज्ञान 4 विषयों को पढ़ाया और सिखाया जाना है। जिसके लिए न्यूनतम 5 शिक्षकों की आवश्यकता पड़ेगी। सेटअप- 2008 में 1 प्रधानपाठक और 2 शिक्षक के पद थे। लेकिन युक्तियुक्तकरण नीति के दिशा निर्देश अनुसार अब 1 प्रधान पाठक और 1 शिक्षक तथा दर्ज संख्या के आधार पर शिक्षक संख्या का निर्धारण किया गया है। प्रदेश अध्यक्ष शंकर साहू बताया कि मिडिल शिक्षा स्तर में कक्षा 6-8 की कक्षाओं की पढ़ाई होती है। इन कक्षाओं में विषय आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है। सेटअप-2008 में 1 प्रधानपाठक और 4 शिक्षक का पद स्वीकृत था। लेकिन अब 1 प्रधानपाठक और 3 शिक्षक रहेंगे व 6 विषय पढ़ाएंगे। प्रदेश अध्यक्ष शंकर साहू ने कहा कि हाई व हायर सेकंडरी स्तर पर क्लास 9 से 12 की पढ़ाई दो स्टेज में होती है। क्लास 9-10 में सभी 6 विषयों का अध्ययन कराया जाता है।क्लास 11-12 में विषयों को चुनने की आजादी होती है। सभी विषय एवं कक्षा के लिये शिक्षकों की पदस्थापना आवश्यक है। लेकिन विषय शिक्षक नहीं रहने के स्थिति में अन्य शिक्षक/व्याख्याता,ग्रेजुएशन/पोस्ट ग्रेजुएशन के शैक्षणिक योग्यता अनुसार पढ़ाते हैं। युक्तियुक्तकरण नीति बनाते समय इन तथ्यों को ध्यान में नहीं रखा गया है। राज्ञा शासन को छात्रहित मे कार्य करना चाहिए। फेडरेशन के अनुसार प्रदेश में कम से कम 19000 से ज्यादा मिडल और प्राइमरी स्कूल है। वर्तमान में मिडिल स्कूल का सेटअप 1 प्रधानपाठक व 4 शिक्षक की है। इस सेटअप को परिवर्तित को अभी विभाग द्वारा 1 प्रधान पाठक और 3 शिक्षक कर दिया गया है। जिससे हर स्कूल से 1 पद हमेशा के लिए स्कूल शिक्षा विभाग से खत्म हो जाएगा । यही प्राइमरी स्कूल के सेटअप में भी किया गया है। वहां वर्तमान में 1 प्लस 2 का सेटअप है। इसे बदलकर 1 प्लस 1 का सेटअप किया जा रहा है। इससे प्राइमरी स्कूल का भी एक पद समाप्त हो जाएगा। इस हिसाब से लगभग 19000 पद एक झटके में खत्म हो जाएंगे। इसके साथ ही ऐसे स्कूल जहां बच्चो को संख्या 10 से कम है वो स्कूल पूरी तरह से बंद हो जाएंगे। 10 से कम बच्चे वाले स्कूलों की संख्या कम से कम 3900 के आसपास बताई है। स्कूल बंद होने से स्कूल के सभी पद हमेशा के लिए शिक्षा विभाग से खत्म हो जाएंगे। इसमे कम से कम 11700 पद समाप्त हो जाएंगे। इस तरह कुल 30700 शिक्षकों के पद एक साथ खत्म हो जाएंगे। इससे प्रमोशन और सीधी भर्ती के पद समाप्त होंगे। साथ ही स्कूल बंद होने से वहां पर काम करने वाले रसोईया, स्वपीर एवं अन्य भी बेरोजगार हो जाएंगे। मध्यान्ह भोजन चलाने वाली समिति से भी काम छिन जाएगा। स्कूल बंद होने से बच्चों को दूर के स्कूलों में जाना पड़ेगा। जो कि प्राइमरी के बच्चों के लिए संभव नही है। युक्तियुक्तकरण नीति का शिक्षक, विद्यार्थी, स्वपीर, रसोईया, मध्यान्ह भोजन समिति पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। फेडरेशन का कहना है कि युक्तियुक्तकरण नीति अनुसार यदि एक ही परिसर में प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय है, तो वह पूर्व माध्यमिक विद्यालय में समायोजित हो जाएगा।अर्थात वहां का प्राथमिक प्रधान पाठक महज एक शिक्षक हो जाएगा। इसका परिणाम यह होगा कि भविष्य में एक पद इस तरह विलुप्त हो जाएगा। इसी तरह जहां पूर्व माध्यमिक व हाईस्कूल एक ही परिसर में हैं वह हाईस्कूल प्राचार्य के निरीक्षण में रहेगा। प्रधान पाठक महज एक शिक्षक रह जाएगा। जहां प्राथमिक, हाईस्कूल या हायर सेकंडरी स्कूल है, वहां के प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक प्रधान पाठक महज एक शिक्षक रह जाएंगे। ऐसे में प्रधान पाठक पद नाममात्र का रह जाएगा। दिशा निर्देश के चलते एक ही परिसर में संचालित एक से अधिक विद्यालय के समायोजन से चाहे वह प्राथमिक से उच्चतर माध्यमिक तक के स्कूल हों उनके एक हो जाने से समग्र शिक्षा के नाम पर मिलने वाले फंड भी तदानुसार एक परिसर के लिए एक होने की संभावना है। युक्तियुक्तकरण नीति में विद्यार्थी शिक्षक और पालक हित को नजरअंदाज किया गया है। सरकार के इस निर्णय से दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।