दल्लीराजहरा – जन मुक्ति मोर्चा के कृषि कार्यालय में लगाये गये धान की फसल की कटाई 9 नवंबर को किया गया। जिसमे जन मुक्ति मोर्चा के साथीगण एवम क्षेत्र मजदूर किसानों खासकर महिलाओं की भागीदारी से सामूहिक खेती के मिशाल को पेश करते हुए केंद्र सरकार की किसान विरोधी कृषि कानून 2020 एवम कारपोरेट खेती को मुह तोड़ जवाब दिया है। आज जहाँ लोग आधुनिकी करन के होड़ में अपनी संस्कृति को भूलकर कारपोरेट जगत के हाथों
जल, जंगल, जमीन का निजीकरण कर और वही दूसरी ओर केंद्र सरकार भी अन्नदाता कहलाने वाले किसानों को पूंजीपतियों के हाथों गुलाम बनाने का कार्य कर रही है जिसका वर्तमान उदाहरण केंद्र सरकार की नई कृषि अधिनियम कानून 2020 है। इनके सबके बावजूद जन मुक्ति मोर्चा के साथियों द्वारा अपनी संस्कृति को बचाने लगातार कोशिश की जा रही है। जिसका उदाहरण यह जुल मिल सामूहिक कृषि संस्कृति और नियोगी जी स्कूल पर लगे छत्तीसगढ़ी संस्कृति की मूर्ति है।
इस समूहिक कृषि से होने वाले आय का जन मुक्ति मोर्चा अपने आंदोलन, (रैली, जुलूस, धरना प्रदर्शन, कोट-कचहरी के खर्च आदि में), पूर्णता निःशुल्क संचालित शहीद शंकर गुहा उच्च.माध्य. विद्यालय कोंडेकसा-धोबेदण्ड के संचालन पर, शहीद हॉस्पिटल में दूर दराज के आने वाले मरीजो (खाने) के ऊपर और इस कोरोना काल जैसे आपदाओं संगठन द्वारा
जरूरतमन्द तक राशन दाल चावल जैसी राहत सामग्री निशुल्क वितरण किया जा रहा है। जन मुक्ति मोर्चा के कृषि कार्यालय दल्ली राझहरा वार्ड नं 13, जिला बालोद (छत्तीसगढ़) में लगभग पांच एकड़ जमीन पर धान की फसल के साथ साथ सब्जी का भी फसल लिया जाता है जिसमे लौकी, भिंडी, कुम्हड़ा, तोरई, बरबट्टी, सेमहि, और लाल भज्जी, लाली चेज भाजी, खट्टा
भाजी सामिल है, और आने वाले वर्ष में गर्मी के दिनों में एक एकड़ पर गेंहू की फसल का भी उत्पादन किया जाना है…जन मुक्ति मोर्चा के साथी इस फसल पर रासायनिक खाद के बजाय जैविक खाद का उपयोग ज्यादा करते है…इस समूहिक कृषि में जन मुक्ति मोर्चा के सभी ब्लाक से साथी आ कर अपना अपना श्रम दान करते हुए जिस तरह एक दिन में धान रोपाई किया गया था ठीक उसी तरह एक ही दिन में पांच एकड़ धान की फसल का कटाई किया गया है।