- कांग्रेस के बड़े नेताओं ने कर लिया है किनारा
- टीएस सिंहदेव ने दी सलाह- सच का सामना करें कवासी लखमा
अर्जुन झा
जगदलपुर जब आप अच्छी स्थिति में होते हैं, तो आपको सबसे अच्छे संबंध बनाए रखना चाहिए। वरना बुरे दिन आने के बाद तो खुद का साया भी साथ छोड़ देता है। कुछ ऐसा ही हमारे कवासी लखमा के साथ भी होता नजर आ रहा है। ईडी के लपेटे में आने के बाद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा अकेले और अलग थलग पड़ गए हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि कवासी लखमा से उनकी अपनी ही कांग्रेस के लगभग सारे बड़े नेताओं ने कन्नी काट ली है। वहीं पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव बाबा ने तो कवासी लखमा को सच्चाई का सामना करने की नसीहत दे डाली है।
कवासी लखमा अपने मजाकिया अंदाज के लिए जाने जाते रहे हैं। मंत्री रहते उन्होंने सभी का मजाक उड़ाया था। सिर्फ अपने आका नेता की सुनने वाले कवासी लखमा ने जगदलपुर आकर क्या नेता और क्या पत्रकार सबको नीचा दिखाने का प्रयास किया। उनकी बातों में मंद (शराब), मुर्गा चखना जैसे शब्द कई बार सामने आए। उनकी बातें पत्रकारों को चुभती भी थीं, लेकिन उनकी उम्र और ओहदे का लिहाज करते सभी लोग उनकी तीखी कड़वी बातों को चुपचाप सहते रहे। विपक्षी दल भाजपा के साथ ही कांग्रेस के भी कई बड़े नेताओं, पत्रकारों और अधिकारियों पर कवासी लखमा कई बार अभद्रतापूर्ण आक्षेप कर चुके हैं। यह उनका शगल सा बन गया था। मगर अपने आका नेता पर उन्होंने कभी छींटाकशी नहीं की। ईडी की छापेमारी के बाद उनके ही दल के नेता अब कवासी लखमा से दूरी बना चुके हैं। जिस नेता को लखमा अपना आका मानते रहे, उस नेता ने भी अपने इस प्यादे से पीछा छुड़ा लिया है लगता है। इस बड़े नेता ने भी कवासी लखमा के जख्म पर मलहम लगाने की पहल अब तक नहीं की है। वहीं कांग्रेस के अन्य नेता भी लखमा से पिंड छुड़ाकर दूर हो चले हैं। उनके ही दल कांग्रेस के सदा विनम्र रहने वाले नेता टीएस सिंह देव का एक बयान जरूर सामने आया है, वह भी पत्रकारों के बार बार कुरेदने पर। टीएस सिंहदेव ने कवासी लखमा को ज्ञानी और काफी समझदार बताते हुए उन्हें सलाह दी है कि जांच में जो भी तथ्य सामने आएं, उसे स्वीकार करें। इससे साफ हो जाता है कि अब यह लड़ाई लखमा अपने ही बूते लड़ना पड़ेगी। ईडी की जांच ने कवासी लखमा की सारी हेकड़ी निकाल दी है। सारे नेता उनसे दूर जा चुके हैं, लखमा निपट अकेले रह गए हैं। अगर लखमा बड़े नेताओं और पदाधिकारियों का सम्मान करते रहते हुए तो मुसीबत की इस घड़ी में पूरी प्रदेश कांग्रेस उनके साथ खड़ी नजर आती। दूसरी बात यह भी बस्तर समेत दूसरी जगहों के कांग्रेसी हलकों में गूंज रही है कि क्या प्रदेश कांग्रेस कमेटी लखमा के पर जांच कार्रवाई को पहले ही भांप चुकी थी। इधर जिस सुशील ओझा से लखमा के अत्यंत मधुर संबंध रहे हैं, उन्हें भी ओर ईडी ने जांच के दायरे में ले रखा है। सुशील ओझा का ससुराल कांकेर में है उन्होंने कांकेर की बेटी से अंतर्जातीय विवाह किया है। कुछ लोगों के अनुसार कांकेर के ही एक बीजेपी नेता से भी सुशील ओझा के मधुर संबंध जग जाहिर हैं।कांकेर के आसपास की माइंस में ट्रांसपोर्टिग व्यवसाय में भी सुशील ओझा के जुड़े होने की बात सामने आई है।