आदिवासी बीएमओ डॉ. मरकाम के खिलाफ साजिशों का तानाबाना

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  • ड्यूटी में उपस्थिति और मुख्यालय में निवास के लिए कहने पर झूठी शिकायत 
  • बकावंड बीएमओ के खिलाफ मकड़जाल 

अर्जुन झा-

बकावंड एक आदिवासी खंड चिकित्सा अधिकारी की कर्तव्य परायणता उन्हीं पर भारी पड़ रही है। खुद अनुशासन में रहने वाले बकावंड बीएमओ डॉ. हरीश मरकाम द्वारा अनुशासन की नसीहत देना साथी डॉक्टरों को इस कदर नागवार गुजरा है कि वे अब डॉ. मरकाम के खिलाफ साजिशों का तानाबाना बुनने लगे हैं, डॉ. मरकाम के खिलाफ झूठी शिकायतें करने लगे हैं।

बकावंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में विगत दो वर्षों से डॉ. हरीश मरकाम बीएमओ का दायित्व कुशलता पूर्वक सम्हालते आ रहे हैं। उनकी नियुक्ति के बाद से स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्थाओं में बड़ा सकारात्मक बदलाव आया है। मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल रही है। अपने मृदु व्यवहार और मिलनसारिता के चलते डॉ. मरकाम पूरे बकावंड विकासखंड में लोकप्रिय हो चले हैं। अनुशासन प्रिय डॉ. मरकाम तय समय पर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर मरीजों की सेवा में जुट जाते हैं। इसके उलट कुछ डॉक्टर अपने पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं। एक डॉक्टर गजेंद्र सेठिया की तैनाती प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जैबेल में है, मगर वे अपने मुख्यालय में निवास ही नहीं करते, बल्कि 60 किमी दूर चोकावाड़ा चौक नगरनार में निजी क्लीनिक चलाने में मशगूल रहते हैं। जब डॉ. हरीश मरकाम ने डॉ. गजेंद्र सेठिया को मुख्यालय में रहने और समय पर अपने स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचने की हिदायत दी, तो वे विरोध में खड़े हो गए। इसी तरह डॉ. सूर्यो गुप्ता भी महज इसलिए डॉ. मरकाम के खिलाफ लामबंदी कर रहे हैं, क्योंकि एक दफे डॉ गुप्ता ने मेडिकल अवकाश के लिए आवेदन दिया था और डॉ. मरकाम ने उनसे मेडिकल सर्टिफिकेट मांग लिया था। बात बिगड़ती देख डॉ. सूर्यो गुप्ता ने सामान्य अवकाश का आवेदन दे दिया था। जब से डॉ हरीश मरकाम ने बीएमओ का प्रभार लिया है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बकावंड में जनसामान्य व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से किसी भी तरह की कोई शिकायत नहीं आ रही है। समय पर चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ़ एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी सेवा पर उपस्थिति रहते हैं। वर्तमान बीएमओ ने समय पर ड्यूटी पर उपस्थित रहने के लिए सख्त निर्देश दिए, परंतु अभी भी कुछ चिकित्सक ऐसे हैं जिनकी अपने सहूलियत के हिसाब से ड्यूटी करने की आदत गई नहीं है।और यही कारण है कि बीएमओ की नियमानुसार ड्यूटी के आदेश के बाद उनके खिलाफ लामबंदी कर झूठी शिकायत कर उन्हें डराने कि कोशिश कर रहे हैं, ताकि वे दबाव में आकर इन्हें ड्यूटी के लिए कहे ही नहीं। डॉ. गजेंद्र सेठिया की पोस्टिंग प्रथमिक स्वास्थ्य केंद्र जैबेल में है। जहां उन्हें कठिनतम क्षेत्र में कार्य करने के लिए सीआरएमसी भी मिलता है परंतु वे मुख्यालय में नहीं रहते और अपने गृहग्राम व मारकेल नगरनार में रहते हैं और चोकावाड़ा चौक नगरनार में उन्होंने प्राईवेट क्लीनिक खोल रखी है। वहां उन्होंने अपनी क्लीनिक का बड़ा सा बोर्ड भी लगवा रखा है, जिसमें क्लीनिक का समय डॉ. सेठिया ने शाम 5 से 8 बजे दे रखा है। नगरनार से जैबेल की दूरी लगभग 60 किमी है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का ओपीडी समय प्रातः 10 बजे से शाम 5 बजे तक है। सोचने वाली बात है, अगर इनकी शाम 5 बजे तक प्राथमिक स्वास्थ्य में ड्यूटी है रहती तो 60 किलोमीटर चलकर वे 5 बजे ही वे क्लीनिक पर कैसे पहुंच जाते हैं? और जब इन्हें मुख्यालय में रहने का सीआरएमसी के रूप में प्रोत्साहन राशि मिलती है तो फिर उन्होंने इतनी दूर क्लीनिक कैसे खोल रखी है? ये तभी संभव है जब वे अपने क्लीनिक खुलने के समय के मुताबिक शासकीय ड्यूटी करते हैं, न कि शासकीय नियमानुसार। डॉ. सेठिया सेक्टर मीटिंग से भी अक्सर अनुपस्थित रहते हैं। इन्ही बातों के लिए जब बीएमओ डॉ. मरकाम ने उनसे सवाल जवाब किया तो अपने साथ कुछ और चिकित्सकों को लेकर डॉ. सेठिया सीएमएचओ और फिर कलेक्टर से बीएमओ के खिलाफ झूठी शिकायत करने पहुंच गए। कलेक्टर के आदेश से सीएमएचओ ने जांच दल बनाकर जांच करवाई। जांच दल ने उनके सभी आरोपों को निराधार पाया। यह देख उन्होंने बीएमओ को बदनाम करने का नया रास्ता अपनाया और मीडिया में शिकायत की खबर छपवाने लगे। डॉ. सेठिया का साथ देने वाले चिकित्सकों में डेंटिस्ट डॉ. दीप्ति दीवान भी हैं। पूर्व में डॉ. दीप्ति दीवान डेंटल ओपीडी में नहीं बैठती थीं।बीएमओ द्वारा पत्राचार करने पर उन्होंने सामान्य ओपीडी में ही डेंटल मरीज देखने की बात कहकर डेंटल ओपीडी में बैठने से इंकार कर दिया था। तब जाकर बीएमओ ने डेंटल ओपीडी में सीसीटीवी कैमरा लगवा दिया ताकि उच्च अधिकारियों को दिखाया जा सके कि डेंटल ओपीडी का संचालन नहीं हो रहा है। इसके बाद ही डॉ. दीप्ति दीवान ने डेंटल ओपीडी में बैठना शुरू किया। डॉ दीप्ति दीवान ने पूरे जिले में सबसे कम डेंटल प्रोसीजर किए हैं। अपने डेंटल ओपीडी में वे सामान्य मरीजों को ही डेंटल मरीज दर्शाती आई हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के ओपीडी का समय प्रातः 9 से 1 बजे एवं शाम को 4 से 6 बजे तक है, मगर डॉ दीप्ति दीवान प्रातः 10 से 1 बजे तक ड्यूटी कर चली जाती हैं। दूसरी पाली ओपीडी में कभी भी उपस्थित नहीं रहती हैं।

वर्षों से वे 10 बजे से 1 बजे केवल तीन घंटे ही ड्यूटी करती और सामान्य मरिजों को ही डेंटल मरिज के रूप में दर्शाती आई हैं। इसी तरह

डॉ. सुर्या गुप्ता हमेशा खराब स्वास्थ्य का बहाना बनाकर ड्यूटी करने से मना करते थे। विगत दिनों 5 दिन का मेडिकल अवकाश लेने हेतु उन्होंने आवेदन दिया, परंतु मेडिकल सर्टिफिकेट जमा करने कहने पर जमा नहीं कर पाए एवं मेडिकल अवकाश को सामान्य अवकाश में परिवर्तन के लिए आवेदन दे दिया। डॉ सूर्यो गुप्ता की पोस्टिंग कचनार में है, जहां उन्हें कठिन क्षेत्र में कार्य करने हेतु प्रोत्साहन राशि सीआरएमसी मिलती है परन्तु वे मुख्यलय में रहते नहीं और अधिकांशतः ड्यूटी से अनुपस्थित रहते हैं।

स्वार्थप्रेरित शिकायत

उक्त झूठी शिकायत का मकसद केवल एक आदिवासी बीएमओ पर दबाव बनाना है ताकि वे उन्हें नियमानुसार ड्यूटी के लिए सख्ती न करें और ये अपनी मनमानी करते रहें। बस्तर जिले के सीएमएचओ डॉ संजय बसाक ने फर्जी शिकायत कर मीडिया में दुसप्रचार करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही है।