पाटेश्वर धाम प्रबोधनी एकादशी पर्व की महिमा का विधान

0
1129

प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन सीता रसोई संचालन ग्रुप में पाटेश्वर धाम के बालयोगेश्वर संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा किया गया, सभी भक्तगण जुड़कर प्रबोधनी एकादशी पर्व की महिमा का विधान एवम महिमा श्रवण किये पाठक परदेसी जी ने प्रश्न किया कि प्रबोधिनी एकादशी पर्व की कथा विशेष एवं महत्व को उद्धृत करने की कृपा करें इस पर्व के

This image has an empty alt attribute; its file name is image-11.png

महत्व को बताते हुए बाबा जी ने कहा कि, यह पर्व महासती माता वृंदा के चरित्र से संबंधित है जिनका विवाह जालंधर नाम के राजा के साथ हुआ था, जालंधर राजा भगवान शिव के अंश पुत्र हैं, जो कि महान एवं वीर राजा हुए परंतु समय के साथ में राक्षसी प्रवृत्ति को प्राप्त हुए एवं दुष्ट प्रवृत्ति के हो गए, महा सती माता वृंदा, जो कि देव दानवो की वैद्य भी थी औषधीय गुणों की

This image has an empty alt attribute; its file name is image-10.png

महा ज्ञानी थी जिनका चरक सहिता व सुश्रुत संहिता पतंजलि में अपना विशेष योगदान रहा है उनका जीवन सत्व तेज आयुष औषधियों के रूप से प्रभावित रहा जिसके कारण जालंधर की सेना का कोई भी सैनिक कभी नहीं मरता था तब शिव भोले को जालंधर के वध हेतु स्वयं प्रकट होना पड़ा क्योंकि जालंधर अब पूरे ब्रह्मांड का शत्रु बन चुका था, परंतु जालंधर के वध हेतु माता सती वृंदा का सतीत्व भंग करना आवश्यक था जिसके लिए भगवान विष्णु ने उनका सतीत्व

This image has an empty alt attribute; its file name is shankar-1024x682.jpg

भंग किया तब माता वृंदा ने क्रोध से भगवान विष्णु को श्राप दिया कि तुमने मेरा शीलभंग किया है इसलिए तुम भी शीला रूप को धारण करोगे तब भगवान विष्णु शालिग्राम रूप में प्रकट हुए, माता वृंदा भी सतीत्व को प्राप्त हुई और भगवान विष्णु के प्रभाव से उन्हें तुलसी रूप प्राप्त हुआ यह दिन प्रबोधिनी एकादशी का हुआ इसीलिए आज के दिन माता तुलसी का विवाह शालिग्राम के साथ किया जाता है, और भोलेनाथ ने धरती को जालंधर के दानवता से मुक्त

This image has an empty alt attribute; its file name is image-21.png

कराया सत्संग को आगे बढ़ाते हुए डुबोवति यादव जी ने रहिमन जी के दोहे ” बिगरी बात बने नहीं…के भाव को स्पष्ट करने की विनती बाबाजी से की रहीम जी के दोहे के भाव को स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि भारतवर्ष ऐसा महान देश है जहां जाती पाती से उठकर प्रभु राम को माना गया जहां पर रहीम और रसखान जैसे मुस्लिम कवियों ने यह सिद्ध किया कि राम हृदय की वस्तु है ना की जाति पाति की राम मजहब नहीं वे तो रोम रोम में बसने वाले श्री राम है,इस दोहे में रहिमन जी ने उन बातों की ओर इशारा किया है जो हमारे लिए बहुत जरूरी है

This image has an empty alt attribute; its file name is image-3.png

जिन्हें अपने जीवन में हमें अवश्य निभाना चाहिए हमारे रहीमन जी ने समाज के उन चीजों की और प्रकाश डाला जो हमारे समाज को तोड़ता है क्योंकि 500 वर्ष पहले जिस समय रहीम कबीर तुलसीदास जी हुए उस समय पर भी समाज की स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी समाज कई खंडों में बटा हुआ था सामाजिक सद्भावना नहीं थी उसी सामाजिक सद्भावना को बनाने के लिए उन्होंने हिंदू मुस्लिम ब्राह्मण बनिया बड़ा छोटा को तोड़कर मानव धर्म को स्थापित करने का खूब प्रयास किया, इसीलिए इस दोहैं में उन्होंने कहा है कि प्रेम जो बना हुआ है उसे तोड़िए मत शूद्र मानसिकता और निजी स्वार्थ के कारण आपस के प्रेम को नहीं त्यागना चाहिए

This image has an empty alt attribute; its file name is image-8.png

क्योंकि समाज में जो प्रेम सद्भावना है वह आप खो देंगे तो उसे प्राप्त करना बहुत कठिन होता है क्योंकि बिगाड़ना तो आसान होता है बनाना बहुत कठिन होता है जिस प्रकार यदि दूध को बहुत ज्यादा फाड़ दिया जाए तो उससे मक्खन निकालना कठिन होता है
बाबा जी के मधुर भजन
” तेरा नाम गाऊ तो ये एहसास होता है….. सभी को आनंदित करते हुए आज का सत्संग पूर्ण हुआ जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम