हिलोरें मारकर स्वागत और शांत रहकर विदाई

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जगदलपुर मैं दलपत सागर हूं, सूरज की सुबह वाली नई किरणें मुझमे ऊर्जा भर देती हैं। मेरा जल हिलोरें मारते हुए उगते सूर्यदेव का स्वागत करता है। पूरे दिन सूर्यदेव मेरे जल को अपनी ऊर्जा से भर देते हैं। सांझ ढलने के साथ ही मैं विरह वेदना से तड़पने लगता हूं, सूर्यदेव के अस्ताचल का सफर पूरा हो जाने पर मेरा जल ऐसे स्तब्ध और शांत हो जाता है जैसे कोई प्रिय दूर जा रहा हो।

दरअसल ये दोनों तस्वीरें जगदलपुरके ऐतिहासिक दलपत सागर तालाब की हैं। एक तस्वीर सूर्योदय के दौरान की है और दूसरी सूर्यास्त के समय की। सूर्योदय के समय दलपत सागर में लहरें ऎसी उठती हैं, गोया दलपत सागर सूरज का स्वागत कर रहा हो। वहीं सूर्यास्त में तालाब का जल ऐसे स्थिर हो जाता है मानो किसी प्रिय के दूर चले जाने का गम हो। शहर के निवासी इस तालाब के ऐसे दृश्य देखकर खुश हो उठते हैं। दलपत सागर का पानी अब नहाने और उपयोग योग्य नहीं रहा है। पिछले 20 साल से आई गई नगर सरकारों की पहल काम नहीं आई। अब नए महापौर संजय पाण्डेय ने अपने तरीके से इस सागर स्वरूप तालाब के उद्धार की नई पहल की है। उम्मीद है यह पहल काम आएगी। फिलहाल दलपत सागर सिर्फ पर्यटकों का सैरगाह बनकर रह गया है।महापौर संजय पांडे ने भी पदभार ग्रहण करने के बाद इस दिशा में नया प्रयोग प्रारंभ किया है। देखते हैं कि इस सुहानी छटा के दर्शन को महापौर अपने अंदाज किस तरह संवारते हैं।