प्रभारवाद से कृषि मंडियों का हो रहा बेडागर्क, कनिष्ठ अधिकारियों को बड़ी जिम्मेदारी, वरिष्ठ असहज, अनुभवहीनता के कारण किसानों को नहीं मिल रहा लाभ

0
981

जगदलपुर। कृषि,किसान व किसान उपजों के मुल्य निर्धारण को लेकर छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में उथल-पुथल मची हुई है। पूरे देश में हंगामा बरपा है और उसके बीच में ही छत्तीसगढ़ सरकार छत्तीसगढ़ मंडी संशोधन विधेयक पारित कर मंड़ी को सशक्त बनाने में लगी हैं किंतु जब तक प्रभारवाद लागू है उससे किसानोें का भला होगा उसको लेकर संशय बरकरार है।

This image has an empty alt attribute; its file name is dhan-2.jpg


छत्तीसगढ़ सरकार 20 वर्ष पूर्व बना है और जोगी व रमन सिंह सरकार से फल-फूल रहा प्रभारवाद भूपेश बघेल सरकार में भी बरगद की तरह अपनी जड़ें पसार रहा है। प्रभारवाद की जड़ें कृषि मंडी बोर्ड में गहरी होती जा रही है । उपनिरीक्षक, निरीक्षक व लेखापालों को मंडियों में सचिव बनाया हुआ है जबकि कैडर बेस्ट कई अधिकारी इसके लिए वर्षों से बांट जोह रहे हैं। कृषि मंडियों में अनुभवहीन लोगों की नियुक्ति होने से इनसे वरिष्ट अधिकारी अपने आप में असहज महसूस कर रहें हैं। बस्तर संभाग में ऐसे लोगों की भरमार है ।

कोंडागांव जिले में कोंडागांव व कांकेर जिले से चारामा तथा दंतेवाड़ा जिले में गीदम जैसे मंडियों में क्रमशः निरीक्षक, उपनिरीक्षक व लेखापाल की नियुक्ति की गई है जिसके कारण कई बार बड़ी-बड़ी विसंगतियां सामने आती है उसके बावजूद भी इन पर मेहरबानियां समझ से परे है। आगामी दिनों में छत्तीसगढ़ सरकार की मंडी संशोधन अधिनियम कानून लागू होगी जिसके कारण प्रभारवाद खत्म कर जनहित में वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी देनी चाहिए जिससे किसानों को शासन की योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक मिल सके।