Breaking कोरोना के बाद अब बर्ड फ्लू की दस्तक की आशंका, राजहरा माइंस क्षेत्र और चिखलाकसा में मरे हुए कौवे मिले

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दल्लीराजहरा – कोरोना से जंग लड़ रहे लोगों के लिए ‘बर्ड फ्लू’ बड़ी परेशानी बन गया है। अभी हाल ही में राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल के बाद अब केरल में ‘बर्ड फ्लू’ से दहशत मच गई है। इसी वजह से राज्य सरकारों ने हाई अलर्ट जारी किया है तो वहीं केरल ने इसे राजकीय आपदा घोषित कर दिया है। इन राज्यों में बड़े स्तर पर बर्ड फ्लू के मामलों की पुष्टि हुई है और लोगों से चिकन ना खाने और पक्षियों से दूर रहने की अपील की गई है। आपको बता दें कि साल 2016 में भी इस बीमारी ने देश में काफी कहर बरपाया था।

छत्तीसगढ़ में अब तक बर्ड फ्लू के बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं मिली थी किन्तु आज सुबह दल्लीराजहरा के माइन्स क्षेत्र में 6 और चिखलाकसा में 1 कौवो की मौत की खबर सामने मिलने से नगर में खलबली मची हुई है | मौके पर पशु चिकित्सा विभाग की टीम पहुची चुकी हैं और कौवो को जलाने की तैयारी की जा रही हैं।बता दे कि अब तक कुल 13 कौवों की मौत हो चुकी हैं। वही लगातार कौवो की हो रही मौत से बर्ड फ्लू रोग के संकेत मिल रहे हैं। विभाग भी नए बर्ड फ्लू रोग की आशंका जता रहा हैं। लोगों से आग्रह है कि मरे हुए पक्षियों से दूर रहें अगर आपके आस-पास किसी पक्षी की मौत हो जाती है तो संबंधित विभाग को सूचित करें |

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कलेक्टर जनमेजय महोबे ने बताया कि वर्तमान में पक्षियों की मौत के कारणों के संबंध में किसी प्रकार का अनुमान लगाया जाना उचित नहीं होगा। कलेक्टर महोबे ने पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों से जिले में शासकीय योजनाओं के तह्त संचालित पोल्ट्री फार्म और निजी पोल्ट्री फार्म की जानकारी विकासखण्डवार ली।

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क्या है बर्ड फ्लू

दरअसल ‘बर्ड फ्लू’ ( Bird Flu) के नाम से जानी जाने वाली यह बीमारी एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस एच5एन 1 के कारण होती है। ये वायरस बहुत ज्यादा खतरनाक है,ये अपनी चपेट में आए इंसानों और पक्षियों को बहुत अधिक प्रभावित करता है। बर्ड फ्लू इंफेक्शन चिकन और बत्तख की प्रजाति जैसे पक्षियों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इससे इंसान और पक्षियों की मौत तक हो सकती है इसलिए इसके प्रति काफी सावधान रहने की जरूरत है।

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कैसे इंसान होता है संक्रमित

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अक्सर इंसान इस घातक बीमारी की चपेट में तब आता है, जब वो वायरस से संक्रमित मुर्गियों या अन्य पक्षियों के संपर्क में आ जाता है, दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि ये बीमारी मुर्गी की अलग-अलग प्रजातियों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क आने पर फैलती है, फिर चाहे मुर्गी जिंदा हो या मरी हुई हो। इंसानों में ये वायरस उनकी आंखों, मुंह और नाक के जरिए फैलता है।