जीवनदायिनी इंद्रावती को बचाने अनोखा प्रयास…आसना के युवक ललित जोशी ने नदी तट पर स्थापित किया ब्रह्म वाटिका…

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जगदलपुर… इंद्रावती नदी को बस्तर में जीवनदायिनी और प्राण दायिनी कहा जाता है लेकिन विगत कुछ वर्षों से बाढ़ के दौरान लगातार हो रहे मृदा क्षरण और अलग-अलग जगहों पर बन रहे स्टॉप डेमो की वजह से नदी लगातार अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है गर्मी के दिनों में विशेषकर नदी में पानी का बहाव बेहद कम हो जाता है बस्तर की विविधता भरी संस्कृति की मुख्य पोषक भी इंद्रावती नदी को ही माना जाता है वहीं दूसरी तरफ उड़ीसा के साथ जोरा नाला विवाद की वजह से भी नदी में पानी का बहाव वर्तमान में बहुत कम ही हो पा रहा है…

ऐसी परिस्थिति को समझते हुए नदी के संरक्षण के लिए नदी तट से सटे ग्राम आसना के रहने वाले युवक ललित जोशी ने नदी के तट पर ब्रह्म वाटिका की स्थापना की है युवक ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2014 में उनके दादा जी स्वर्गीय श्री काशी प्रसाद जोशी का देहांत हो गया था जिन्होंने नदी की प्राकृतिक बनावट पर लगातार हो रहे परिवर्तन को देखते हुए युवक से नदी तट पर ब्रह्म वाटिका की स्थापना करने की बात कही थी जिसके बाद वर्ष 2020 में इसी वर्ष युवक के द्वारा इंद्रावती नदी के तट पर ब्रह्म वाटिका की स्थापना की गई |

ब्रह्म वाटिका की स्थापना करने वाले ललित ने आगे वाटिका की विशेषता बताते हुए कहा कि इसमें सात प्रकार के वृक्षों का रोपण नदी तट पर किया गया है जिसमें बरगद, पीपल, नीम, शमी,पलाश(फरसा ), बेल और गूलर( डूमर) जैसे पेड़ों के पौधे रोपित किया गए हैं युवक ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि इन पौधों के संगम को पौराणिक शास्त्रों में कल्पवृक्ष की संज्ञा भी दी गई है जिसे कोई भी अपने घर के गमले में छोटे-छोटे पौधों के रूप में एक साथ स्थापित कर रोजाना दीपक भी जला सकता है