कोविड सेंटर के मरीजों के भोजन और नाश्ते में निकल रहे कीड़े… प्रभारी अधिकारी का हास्यास्पद बयान भोजन अगर कुत्ते खा रहे तो मरीजों को खाने में क्या परेशानी है

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जगदलपुर… विगत पखवाड़े भर पहले से शुरू हुए वैश्विक महामारी कोविड-19 की दूसरी लहर ने पूरे छत्तीसगढ़ के लगभग सभी जिलों को अपनी चपेट में ले लिया है जिससे बस्तर जिला भी अधूरा नहीं रहा है वर्तमान में पूरा बस्तर जिला कंटेंटमेंट जोन घोषित किया गया है साथ ही साथ बस्तर जिला प्रशासन जिले वासियों को कोविड-19 महामारी से बचाने के लिए लगातार प्रयासरत है विशेषकर बस्तर कलेक्टर रजत बंसल लगातार सक्रिय हैं |

लेकिन संभाग मुख्यालय जगदलपुर के कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के लिए धरमपुरा में बनाए गए कोविड-19 हॉस्पिटल की अव्यवस्थाओं के चलते मरीज इन दिनों खासे परेशान हैं जिसकी सुध लेने वाला फिलहाल कोई नजर नहीं आ रहा है धरमपुरा के कोविड-19 हॉस्पिटल की क्षमता 250 बेड की है वहीं वर्तमान में लगभग 200 मरीज इलाज करवा रहे हैं मरीजों ने नाम न छापने की शर्त पर अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि भर्ती हुए मरीजों को भर्ती होने के उपरांत पहले दिन में दवाइयों के नाम पर दवाइयों की किट दे दी जाती है उसके बाद कोई भी डॉक्टर मरीजों का इलाज करने अथवा हाल-चाल जानने नहीं आता है अस्पताल में उपस्थित नर्स और स्वास्थ्य कार्य कर्ता भर्ती मरीजों के ऑक्सीजन लेवल की जांच और ब्लड प्रेशर की जांच के लिए मरीजों के पास नहीं जाते बल्कि असहाय मरीजों को बुलाए जाने पर मजबूरी वश स्वयं चलकर नर्स और स्वास्थ्य कार्य कर्ताओं के पास जाना पड़ता है मरीजों को अधिक परेशानी होने की स्थिति में महज औपचारिकता निभाते हुए अस्पताल में मौजूद नर्सों और स्वास्थ्य कार्य कर्ताओं के द्वारा संबंधित डॉक्टर का नंबर दे दिया जाता है और उनसे परामर्श लेकर स्वयं ही निराकरण करने की बात कही जाती है |

इसके अलावा मरीजों को अपने कमरे से लेकर बरामदे के आस-पास तक झाड़ू लगाने के लिए कहा जाता है दवाइयों के खाली डिब्बे, फेंके गए कांच के बॉटल और प्लास्टिक कचरे को मरीज स्वयं साफ करने के लिए मजबूर हैं जिसके बारे में पूछने पर अस्पताल में मौजूद स्टाफ का कहना होता है कि झाड़ू लगाने पर मरीजों के रोग प्रतिरोधक क्षमता वृद्धि होगी समझने वाली बात यह है कि जो व्यक्ति कोरोना संक्रमण से पहले से ही संक्रमित होकर कमजोरी की हालत में अपनी जान बचाने के लिए जूझ रहा हूं वह भला कैसे झाड़ू लगाने पर स्वस्थ अथवा इम्यून सिस्टम मजबूत कैसे कर लेगा… कोविड-19 संक्रमित मरीजों को गर्म पानी उपलब्ध कराना अत्यंत आवश्यक होता है लेकिन सेंटर में लगे दोनों गीजर खराब होने की स्थिति में मरीजों के परिजनों को स्वयं ही विवश होकर गर्म पानी उपलब्ध कराना पड़ रहा है कोविड मरीजों के पौष्टिक भोजन व्यवस्था हेतु एक ठेकेदार 24 घंटे में दो बार नाश्ता और भोजन उपलब्ध कराने के लिए अनुबंधित किया गया है लेकिन ठेकेदार द्वारा जो भोजन मरीजों को उपलब्ध कराया जा रहा है उसे अधिकांश मरीज स्वयं ना खाकर अस्पताल परिसर में विचरण कर रहे गाय बकरियों जैसे पशुओं को खिला देते हैं |

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मरीजों का कहना है कि चाय के नाम पर रंगीन कसैला पानी और नाश्ते में पोहा के बदले रात के बासी भात को फ्राई कर मरीजों को दिया जाता है कच्चे और आधे पके रोटियों को मरीजों को दिया जाता है जिसे कई मरीज गायों को खिलाते देखे गए इसके अलावा मरीजों को उपलब्ध कराए जा रहे भोजन और नाश्ते में कीड़ों के साथ मरे हुए कॉकरोच भी निकल रहे हैं बस्तर संभाग के एक मंत्री की अनुशंसा पर भोजन व्यवस्था का ठेका अल्ताफ खान को दिया गया है जानकारी के अनुसार कोविड सेंटर धरमपुरा का प्रभार गीता रायस्थ दिया गया था किंतु अस्पताल की अवस्थाओं के चलते उन्हें प्रभार से मुक्त कर एसडीएम जगदलपुर जीआर मरकाम को प्रभार दिया गया लेकिन नए प्रभारी मरकाम के प्रभार लेने उपरांत भी कोविड सेंटर के मरीजों की समस्याएं जस की तस बनी हुई है कोविड सेंटर की व्यवस्था बद से बदतर होने के कारण मरीजों का जीवन खतरे में पड़ गया है…

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अव्यवस्थाओं के संबंध में जब नए प्रभारी मरकाम जी से चर्चा की गई तो उन्होंने बेतुकी बात करते हुए कहा कि इंसान तो खुद के लिए बनाए गए भोजन से भी अच्छा भोजन कुत्तों को खिलाता है इसीलिए मरीज अपने हिस्से का भोजन कुत्तों को खिला रहे हैं कोविड सेंटर के भोजन को जब कुत्ते खा सकते हैं तो मरीजों को खाने में क्या परेशानी है मरीजों को मिल रहे घटिया भोजन के लिए उन्होंने मजदूरों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि मजदूरों के लेट आने की वजह से घटिया भोजन बन रहा है मजदूरों के लेट आने और घटिया भोजन का आपस में भला क्या संबंध हो सकता है यह तो प्रभारी अधिकारी ही समझ सकता है कोविड सेंटर की व्यवस्थाएं सुधारने जिला प्रशासन ने एसडीएम जी.आर. मरकाम को जिम्मेदारी सौंपी है लेकिन इतने संवेदनशील मामले को लेकर भी प्रभारी अधिकारी का मरीजों के भोजन और कुत्तों के भोजन की तुलना कर इस तरीके का बयान देना हास्यास्पद और मरीजों की समस्याओं को और अधिक बढ़ाने के लिए काफी है…
प्रभारी अधिकारी के संवेदनहीनता का अंदाजा आप ऑडियो क्लिप सुनकर आसानी से लगा सकते हैं |