भानपूरी के विश्रामपूरी में तेंदुपत्ता संग्रहण में लापरवाही, वन प्रबंधकों के निक्कमेपन के कारण ग्रामीण व सरकार को नुक्सान

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भानपुरी। बस्तर सामान्य वन मंडल ग्रामीणों को फायदा पहुंचाने के बजाए ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने में लगा है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण भानपुरी के विश्राम पूरी में देखने को मिला। इस क्षेत्र में तेंदुपत्ता संग्रहण में बड़ी लापरवाही सामने आई है जिसके कारण जनता के साथ-साथ सरकार को भी बड़ी मात्रा में आर्थिक नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है।

वन परीक्षेत्र भानपुरी सामान्य वन मंडल के बस्तर ब्लॉक के ग्राम पंचायत विश्रामपुरी में बीते 25 दिन पहले बस्तर का हरा सोना से नाम से प्रचलित तेंदूपत्ता ग्रामीणों द्वारा संग्रहण किया गया था। *प्राथमिक वनोपज सरकारी समिति द्वारा तेंदूपत्ता खरीदी की जानी थी तथा इस वर्ष भी सैकड़ों ग्राम पंचायतों में तेंदूपत्ता का खरीदी नहीं किया गया दरअसल ग्राम पंचायत विश्रामपुरी में वनोपज सहकारी समिति द्वारा ग्राम के फड़ मुंशी को सूचना दी गई थी, तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए ग्रामीणों को बताया गया। इस योजना का लाभ लेने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ग्रामीणों को तेंदूपत्ता संग्रहण करने पर 400 रू. प्रति मानक बोरा 4000 रुपये की दर से लिया जाता है।

देश में चल रहे कोरोना वायरस महामारी प्रकोप गांव- शहर तक पैर पसारा हुआ है वहीं बात करें तो बस्तर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में इस बीमारी का बड़ी तेजी के साथ फैल चुका है।

आज रोजी रोटी के संकट में ग्रामीण अपना आजीविका रोजगार का जरिया वन संपदा से आधारित अपना जीवनयापन करते हैं किंतु इस प्रकार की मामला जो देखने को मिल रहा है कि ग्राम पंचायत विश्रामपुरी के ग्रामीणों द्वारा बड़ी मात्रा में कड़ी धूप में जाकर तेंदूपत्ता का संग्रहण किया गया जिसके बाद प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति द्वारा गांव- गांव में चल रहे कोविड-19 कंटेंटमेंट जोन होने के कारण तेंदूपत्ता खरीदी पर और बेमौसम लगातार बारिश होने के कारण खरीदी पर रोक लगाया गया था। इसके पश्चात वहीं इस पंचायत के ग्रामीणों के तेंदुपत्ता को समिति के द्वारा नहीं खरीदा गया और अब हम नहीं लेंगे कह कर ग्रामीणों को द्वारा बताया गया की संग्रहण किए गए तेंदू पत्ते को गड्डी बनाकर घर में रखे रहो । पानी छूटने के बाद हम इसे खरीदी करेंगे। समिति द्वारा बताया गया तथा 15 दिन बीतने के बाद पता चला कि संग्रहण किए गए हितग्राही परिवार द्वारा तेंदूपत्ता सड़ चुका था जिसके कारण ग्रामीणों के द्वारा घर में बने गोबर खाद गड्ढे में फेंका गया। ‌कईयों द्वारा ग्रामीणों के द्वारा तेंदू पत्ते को जलाया गया ग्रामीण समिति के इस रवैया से काफी नाराज देखने को मिला हमारे ग्रामीणों का विरोध को देखकर वन समिति के कर्मचारी जिम्मेदार अधिकारी लीपापोती में लगे हुए हैं,जिससे वन संपदा का नुकसान तो हुआ ही साथ ही साथ ग्रामीणों के रोजगार और तेंदूपत्ता हरे सोना से होने वाला फायदा भी नुकसान हुआ।.

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