30 मई सीटू स्थापना दिवस के अवसर पर स्थानीय हिंदुस्तान स्टील एंप्लाइज यूनियन के सदस्यों ने सोशल डिस्टेंसिंग,एवं मास्क की अनिवार्यता के साथ सादगीपूर्ण, स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर सुबह 8:00 बजे यूनियन कार्यालय में उपस्थित यूनियन सदस्यों ने ध्वजारोहण किया तथा मजदूर आंदोलन एवं कोरोना महामारी में मारे गए लोगों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी । इसी कड़ी में शाम 5:00 बजे यूनियन कार्यालय में ही एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया । इस अवसर पर यूनियन के अध्यक्ष कामरेड प्रकाश क्षत्रिय ने कहा कि देश में तत्कालीन समय में वर्ग संघर्ष को प्रखर बनाने की आवश्यकता को देखते हुए 30 मई 1970 को सीटू की स्थापना हुई थी, अपने स्थापना के बाद सीटू ने देश में मजदूर आंदोलन को काफी ऊंचाइयों तक पहुंचाया । लगभग 17 राष्ट्रीय हड़ताले एवं अनेक उद्योगों में बड़े-बड़े मजदूर आंदोलन के जरिए मजदूर वर्ग के एक बड़े हिस्से को शोषण से मुक्ति दिलाने में सीटू ने कामयाबी हासिल की है।
ईमानदारी और संघर्ष ही सीटू का मूल मंत्र है और इसी के नाम से सीटू पहचाना जाता है । इसलिए सीटू के सदस्यों मे सीटू के सिद्धांतों के प्रति अटूट आस्था रहती है । यूनियन के सचिव पुरुषोत्तम सिमैया ने कहा कि पूरे देश में सीटू हमेशा संयुक्त संघर्ष की वकालत करता है तथा सरकार की उदारवादी एवं निजीकरण की नीतियों के खिलाफ संघर्ष के लिए हर संभव लामबंदी का प्रयास करता है, जिसमें सभी यूनियनों को एक मंच में लाने का प्रयास भी शामिल है। संयुक्त एकता एवं संयुक्त मोर्चा के जरिए सीटू ने सरकार की तमाम जनविरोधी नीतियों का पुरजोर विरोध किया और सफलता भी हासिल की है। हम कई उद्योगों के निजीकरण को रोक पाने में भी सक्षम रहे है। वर्तमान समय में केंद्र की सरकार मजदूरों के अंदर भी धर्म, के नाम पर विभाजनकारी बीज बो रही है जिसे हम किसी भी हालत में कामयाब नहीं होने देंगे । यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि सीटू के सिद्धांत हर क्षेत्र में आज ही प्रासंगिक है ।, सीटू केवल मजदूर वर्ग के लिए नहीं बल्कि किसानों के लिए, नौजवानों के लिए, महिलाओं के लिए एवं तमाम शोषित वर्गों के लिए लगातार संघर्ष करता आ रहा है। सेल में वेज रिवीजन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रबंधन के अड़ियल रवैया के खिलाफ भी सीटू चट्टान की तरह खड़ा हुआ है, और हम किसी भी हालत में कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाने वाले समझौते का समर्थन नहीं करेंगे।
मजदूरों ने कोरोना महामारी के दौरान अपने एवं अपने परिवार की जान जोखिम में डालकर कंपनी और देश की सेवा की है, कर्मचारियों के योगदान को मैनेजमेंट और सरकार इस तरह नजरअंदाज नहीं कर सकती है।आज मैनेजमेंट जो भी कर रहा है वह सरकार के इशारों पर कर रहा है। चूंकि सरकार की नीतियां मजदूर विरोधी है इसलिए प्रबंधन का रवैया भी मजदूर विरोधी है। इस रवैया के खिलाफ सभी को लामबंदी के साथ संघर्ष करना होगा तभी सेल में नियमित एवं ठेका मजदूरों के शोषण को रोका जा सकता है । इसके लिये सीटू द्वारा लगातार जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है । समाज के हर वर्ग व क्षेत्र में शोषण को समाप्त करना ही सीटू. का अंतिम लक्ष्य है ।