भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री मुश्ताक अहमद और खदान मजदूर संघ भिलाई के महामंत्री एम पी सिंग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि महारत्न कंपनी सेल में कर्मचारियों का वेतन समझौता विगत 54 महीनों से लंबित है। सेल प्रबंधन द्वारा इस लंबित वेतन समझौते में कर्मचारियों के साथ खुले तौर पर भेद भाव किया जा रहा है। सेल प्रबंधन के इस कपटपूर्ण और भेद भाव भरी नीति के कारण कर्मचारियों का वेतन समझौता नहीं हो पा रहा है। प्रबंधन के इस भेद भाव पूर्ण और कपट रवैये से त्रस्त होकर विगत दिनों सेल के सभी यूनिट में एनजेसीएस एवं नॉन एनजेसीएस यूनियन द्वारा 30 जून 2021 को सम्पूर्ण सेल में हड़ताल का आह्वान किया गया जिसे कर्मचारियों द्वारा खुलकर समर्थन मिला एवं उक्त हड़ताल ऐतिहासिक रूप से सफल रही।
हड़ताल की सफलता से एक तरफ जहाँ कर्मचारियों एवं श्रम संगठनों के नेताओं में खुशी व्यापत है वहीँ दूसरी तरफ सेल प्रबंधन के अधिकारीगण इस सफलता से परेशान होकर उलूल जुलूल बयानबाजी और हरकत करने पर उतर गए हैं। इसका जीता जागता उदाहरण सेल के विभिन्न इकाईओं के अधिकारी संगठन एवं सेफी संगठन के पदाधिकारियों द्वारा दिया जा रहा बयान एवं विभिन्न स्तरों पर उनके द्वारा की जा रही बेतुके पत्राचार हैं। सेफी पदाधिकारियों द्वारा कभी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को तो कभी दुर्ग जिला कलेक्टर को तो कभी केंद्रीय इस्पात मंत्री को तो कभी देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उलूल जुलूल तथ्यों के आधार पर गुमराह करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है जिसका भारतीय मजदूर संघ घोर निंदा करता है और इसे स्पष्ट रूप से सेल में कार्यरत अधिकारीयों और कर्मचारियों के बीच नफरत की दीवार खड़ा करने का प्रयास करार देता है।
इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए भा.म.सं. बालोद के जिला मंत्री मुश्ताक अहमद और खदान मजदूर संघ भिलाई के महामंत्री एम.पी.सिंह ने बताया कि हड़ताल की सफलता को देखकर सेल अधिकारीयों के पसीने छूटने लग गए हैं। उन्हें अब यह लगने लगा है कि इस सफलता के वजह से अगर कर्मियों की मांग मान ली जाती है और 15ः . 35ः अथवा उसके नजदीक पहुँचते हुए सेल प्रबंधन कर्मचारियों का वेतन समझौता संपन्न कर देता है तो उससे उन्हें केक का वो बड़ा हिस्सा नहीं मिलेगा जिसकी आशा लगाकर वे बैठे हुए थे। अतएव अब संभवतः सेल प्रबंधन के इशारे पर अधिकारी संगठन इस तरह की नफरत फैलाने वाली हरकत करना शुरू कर दिया है।
30 जून 2021 को भिलाई में कर्मियों द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से हड़ताल किया जा रहा था और लगभग सभी कर्मचारियों द्वारा स्वस्फूर्त होकर उस हड़ताल का समर्थन किया जा रहा था। हड़ताल की सफलता से उद्द्वेलित होकर बीएसपी प्रबंधन ने रात में कपटपूर्ण तरीके से कर्मियों को गेट के अंदर घुसाने का प्रयास किया। हड़ताली कर्मियों को कहा गया कि बस में पुलिस फोर्स है जबकि पुलिस फोर्स की आड़ लेकर कपटपूर्ण तरीके से कर्मियों को अंदर ले जाने का प्रयास किया गया जिसके पकडे जाने पर स्थिति गरम हो गयी।
अपने बिरादरी के इस कुकृत्य को छुपाते हुए सेफी अध्यक्ष ने इस घटना को आधार बनाकर माननीय मुख्यमंत्री महोदय एवं जिला कलेक्टर को पत्र लिखा गया जिसमे कहा गया की हड़ताल करने वाले श्रम संगठन एवं कर्मचारियों द्वारा नगर में शांति व्यवस्था भंग की जा रही है अतः हड़ताली कर्मियों के विरुद्ध कानूनी कारवाई की जावे। उसके उपरान्त उनके द्वारा इस्पात मंत्रालय एवं माननीय प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर यह कहा गया कि कर्मचारियों द्वारा 15ः एमजीबी और 35ः पर्क्स की मांग पूर्णतः गलत है क्योंकि कर्मचारी केवल आठ घंटे ड्यूटी करते हैं जबकि कानूनी तौर पर अधिकारीयों की ड्यूटी 24 घंटे रहती है।
अपने बिरादरी के इस कुकृत्य को छुपाते हुए सेफी अध्यक्ष ने इस घटना को आधार बनाकर माननीय मुख्यमंत्री महोदय एवं जिला कलेक्टर को पत्र लिखा गया जिसमे कहा गया की हड़ताल करने वाले श्रम संगठन एवं कर्मचारियों द्वारा नगर में शांति व्यवस्था भंग की जा रही है अतः हड़ताली कर्मियों के विरुद्ध कानूनी कारवाई की जावे। उसके उपरान्त उनके द्वारा इस्पात मंत्रालय एवं माननीय प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर यह कहा गया कि कर्मचारियों द्वारा 15ः एमजीबी और 35ः पर्क्स की मांग पूर्णतः गलत है क्योंकि कर्मचारी केवल आठ घंटे ड्यूटी करते हैं जबकि कानूनी तौर पर अधिकारीयों की ड्यूटी 24 घंटे रहती है।
संघ ने सेफी अध्यक्ष के इस कृत्य की निंदा करते हुए उनसे पुछा है कि ऐसा कौन सा अधिकारी है जो पूरे 24 घंटे ड्यूटी करता है? और ऐसा कौन सा कर्मचारी है जो मामले की गंभीरता को देखते हुए जरूरत पड़ने पर अपने आठ घंटे के ड्यूटी के बाद भी काम करने से इंकार करता है? सेफी अध्यक्ष का यह कहना दुर्भाग्यपूर्ण है और अधिकारिओं एवं कर्मचारियों के बीच नफरत की दीवार खड़ा करने का एक कुत्सित प्रयास है। इसके अलावा सेफी अध्यक्ष का यह कहना कि अधिकारी होने के नाते उनपर कंपनी के उत्थान की अधिक जवाबदारी है अतएव उन्हें केक का बड़ा हिस्सा दिया जावे एक हास्यास्पद कथन है। इस सम्बन्ध में संघ के तरफ से दोनों पदाधिकारियों ने यह सवाल पुछा कि अगर सचमुच में अधिकारी यह सोचते हैं कि उनके ऊपर सेल को लाभ में लाने की जिम्मेदारी अधिक है तो क्यों सेफी अध्यक्ष के नाक के नीचे बीएसपी प्रबंधन के कुछ अधिकारी खुले आम भ्रष्टाचार कर रहे हैं? क्यों सेल का एक्सपेंशन प्रोग्राम अभी तक पूर्ण रूप से पूरा नहीं हो पाया है? इससे साफ हो जाता है कि अधिकारीयों की जिम्मेदारी केवल भ्रष्टाचार बढा़ने और उसके मार्फत अपनी कमाई करने की है और इस लिहाज से सभी दोषी अधिकारी कर्मियों के गुनहगार हैं क्योंकि उनके द्वारा की जा रही काली कमाई उनकी अपनी निजी संपत्ति नहीं है बल्कि अधिकारियों की काली कमाई की एक एक पाई कर्मचारियों के मेहनत की गाढ़ी कमाई है जिसे ये अधिकारी अपना मानकर भ्रष्ट तरीके से गबन करने में लगे हुए हैं। जिसका ताजा उदाहरण बोकारो, भिलाई और राजहरा खदान में देखने को मिला है। ऐसे में सेफी अध्यक्ष का कथन यह साबित करता है कि सेल में अधिकारियों की जवाबदारी भ्रष्टाचार को संरक्षण देना है जिसे अधिकारीगण पूरे तन्मयता के साथ निभा रहे हैं और सेफी अध्यक्ष अपने इस दुर्भाग्यपूर्ण कथन से अधिकारियों के इस भ्रष्ट आचरण का समर्थन करते हैं।
पदाधिकारीद्वय ने कहा कि उनके पास ऐसे कई सबूत हैं जो यह साबित करते हैं कि बीएसपी प्रबंधन के अधिकारीगण भ्रष्ट तरीके से कमाई करने और भ्रष्टाचार करने वाले को पूर्ण संरक्षण देने का काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी प्रश्न किया कि अगर सेफी अध्यक्ष यह मानते हैं कि कंपनी के उत्थान में केवल अधिकारियों का ही हाथ है तो वे इस बात का जवाब देवें कि 30 जून को हड़ताल में अधिकारियों द्वारा प्लांट अथवा खदान में उत्पादन क्यों नहीं किया गया? क्यों अधिकांश इकाइयों में महत्वपूर्ण यूनिट्स को केवल जिन्दा रखा गया और उत्पादन नहीं किया गया? इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि काम कर्मचारी करता है और कर्मचारियों के मेहनत के बदौलत ही कंपनी लाभ अर्जित करती है। विगत दो दशकों में मैनपावर में निरंतर कमी के बावजूद सेल के उत्पादन और उत्पादकता में जो वृद्धि हुई है वह केवल कर्मचारियों की मेहनत का नतीजा है वर्ना अधिकारियों के भ्रष्टाचार से सेल कंपनी कब का बीआईएफआर घोषित हो चुकी होती। अंत में उन्होंने पुनः सेफी अध्यक्ष के प्रयास को कुत्सित करार देते हुए कहा कि अब संघ भी सेल में हो रहे भ्रष्टाचार को सबूतों के साथ माननीय इस्पात मंत्री एवं माननीय प्रधानमंत्री के सामने रखते हुए दोषी अधिकारियों पर समुचित कारवाई करने की मांग करेगा और साथ ही कुछ अधिकारियों की आय से अधिक संपत्ति की भी जांच की मांग करेगा, क्योंकि संघ को ऐसी जानकारी मिली है कि सेल के कुछ अधिकारी सेल से निकाले जाने वाले ठेकों में ठेकेदार के साथ मिलकर खुद पैसा लगा रहे हैं और खुल कर भ्रष्टाचार करने में लगे हैं।साथ ही सेल के सभी अधिकारियों की जवाबदारी लिखित रूप से तय करने की मांग करेगा ताकि किसी भी तरह की भ्रष्टाचार होने पर सम्बंधित अधिकारी पर समुचित कानूनी कारवाई की जा सके।