जगदलपुर। खरीफ सीजन के लिए बस्तर अंचल में जितनी मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता है उसकी तुलना में 50 फीसदी उर्वरक उपलब्ध नहीं हो पाया है। खाद की किल्लत से किसान हलाकान है और दर्जनों ऐसे किसान है जो दिगर प्रांतों से खाद की व्यवस्था कर कृषि कार्य करने में जुट गये है।
ज्ञातव्य हो कि बस्तर अंचल में खरीफ सीजन के लिए प्रयाप्त मात्रा में खाद की उपलब्धता नहीं होने से किसान हलकान परेशान है। संयुक्त संचालक बस्तर संभाग के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार यूरिया का 50 हजार 8 सौ मिट्रीक टन की आवश्यकता है जिसके एवज में जून तक बस्तर के विभिन्न जिलों में सहकारी एवं निजी खाद विक्रेता के माध्यम से 14 हजार 5 सौ मिट्रीक टन खाद उपलब्ध कराया जा सका है जिसमें सहकारिता के माध्यम से 8170 टन तो वही निजी विक्रेता से 6335 टन उपलब्ध हो पाया है। युरिया औसतन 30 फिसदी ही किसानों को उपलब्ध हो सका है।
डीएसपी 35 हजार 7 सौ टन की आवश्यकता की तुलना में 10 हजार 5 सौ मिट्रीक टन ही उपलब्ध कराया गया है जिसमें सहकारिता के माध्यम से 7274 टन निजी विक्रेताओं के द्वारा 3323 जो महज 32 फीसदी उपलब्ध कराया जा सका है। एएसपी की जहां 9 हजार मेट्रिक टन की आवश्यकता है वहां 4 हजार 9 सौ टन उपलब्ध कराया जा सका हे। एओपी 11680 टन की आवश्यकता की तुलना में 4156 टन उपलब्ध हो सका है।
बस्तर अंचल के बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, बस्तर कांकर कोण्डागांव एवं नारायणपुर जिले में उर्वरक की किल्लत से किसान हलाकान परेशान है। रोजाना लेम्पस के चक्कर लगाते फिर रहे है लेकिन किसी ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
उर्वरक उपलब्ध कराने का प्रयास जारी: बस्तर संभाग के कृषि विभाग के संयुक्त संचालक एमएस ध्रुव ने भी उर्वरक की कमी होने की बात स्वीकारी है। उन्होंने कहा कि उर्वरक उपलब्ध कराने को लेकर लगातार पत्र व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि खाद विक्रेता के बड़े कारोबायों को भी हिदायत दी गई है कि बिना लायसेंसधारको को खाद न बेंचे अगर ऐसा पाया जाता है तो कारोबारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जायेगी।