व्यापारी से सांठगांठ कर, प्रभारी चला रहा कमीशन खोरी का खेल, वर्षों से पदस्थ इस प्रभारी के कार्यकलाप से हलाकान पंचायत वासी

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जगदलपुर:छत्तीसगढ़ दुग्ध महासंघ की बस्तर इकाई जिसे जगदलपुर शहर से दूर सेमरा ग्राम पंचायत में स्थापित किया गया है। इस औद्योगिक इकाई को बस्तर में स्थापित करने के पीछे उद्देश्य यही था कि इस पंचायत के लोगों को रोजगार मिले एवं जिले के लोगों को सरकारी देवभोग दुग्ध प्रतिष्ठान के माध्यम से शुद्ध एवं ताजा दूध उपलब्ध हो सके।

लेकिन पिछले अविभाजित मध्यप्रदेश के जमाने में करोड़ो रुपए की लागत से बना यह दुग्ध संयंत्र अब लगभग बंद होने की कगार पर है।सेमरा ग्राम पंचायत के ग्रामीणों के अनुसार वर्ष 1989-90 में सांची दुग्ध के नाम से इस संयंत्र के माध्यम से दुग्ध का प्रसंस्करण कर दूध की पैकेजिंग के अलावा दूध से बनने वाले अन्य वस्तुओं का निर्माण एवं उसकी बिक्री सुचारू रूप से की जाती थी।

समूचे बस्तर जिले के विभिन्न विकास खंड से दूध का संग्रहण किया जाता था। साथ ही साथ क्षेत्र के पशुपालकों को उनके पशुओं द्वारा दूध के उत्पादन विकास हेतु विभिन्न प्रकार की योजनाएं भी संचालित की जाती थी। जिससे ग्राम पंचायत के लोगों को इस औद्योगिक इकाई लगने का फायदा मिलता था।

किंतु छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल के दौरान दुग्ध महासंघ का पुनर्गठन किया गया।जिमसें अध्यक्ष रसिक परमार के बनने के साथ ही समस्त इकाइयों में नए प्रभारी की नियुक्ति हुई।

मिली जानकारी के अनुसार सेमरा स्थित देवभोग दुग्ध इकाई प्लांट के प्रभारी के रूप में जब से वर्तमान प्रभारी की नियुक्ति हुई है ।उसके पश्चात से ही इस इकाई का दोहन राजधानी के दुग्ध महासंघ अधिकारियों द्वारा किए जाने लगा है। इस इकाई से प्रतिदिन 8000 लीटर दूध की खरीद बिक्री होती थी।

गौपालकों की उपेक्षा कर व्यापारी से साठगाँठ
इस प्रभारी अधिकारी ने अपने पद स्थापना के बाद से इसमें स्थानीय गौपालको की उपेक्षाकर बाहर से दुग्ध मंगाना प्रारंभ कर दिया ।साथ ही इसके द्वारा ग्राम पंचायत की किसानों की उपेक्षा कर शहर के बड़े व्यापारियों को अपने निश्चित कमीशन के बदले दुग्ध की खरीद बिक्री का काम दे दिया गया। जो अब तक अनवरत जारी है।

देवभोग दुग्ध इकाई सेमरा से प्रतिदिन करीब 5000 लीटर दूध की आवक कांकेर जिले के पखांजूर क्षेत्र से होती है। इस दूध की पैकेजिंग सहित खुली बिक्री के तहत करीब 3000 लीटर दूध इस प्रभारी द्वारा अपने एक चहेते दुग्ध संचालक को दे दिया जाता है। बाकी बचे दूध को बस्तर के बाहर कुछ विभिन्न जगहों पर औपचारिकता के तौर पर भेजा जाता है।

वहीं कुछ दूध से पनीर अथवा दूध से दही बनाया जाता है।प्रतिदिन देवभोग की सेमरा इकाई के माध्यम से दूध की बिक्री अथवा उससे बनने वाले पदार्थों की बिक्री से करीब डेढ़ से दो लाख रुपए की आवक होने की संभावना बनती है।

प्रभारी ने बेरोजगारी बढ़ाया और खुद मलाई खाया
किंतु इस प्रभारी के माध्यम से अपने कार्यकाल से आज तक इस ग्राम पंचायत के बेरोजगारों के लिए किसी प्रकार की दुग्ध से संबंधित किसी भी प्रकार के रोजगार हेतु क्षेत्र के बेरोजगार महिला पुरुष को प्रोत्साहित नहीं किया जा रहा है।बल्कि इस प्रतिष्ठान की साख को गिराकर बस्तर जिले के अन्य निजी दूध एजेंसी को प्रोत्साहित किए जाने की बात सामने आ रही है।

यह भी जानकारी मिली है कि इस दुग्ध इकाई से जुड़े मार्केटिंग कर्मचारी जो पिछले कई महीनों से यहां पदस्थ हैं वे अपने दूध इकाई की मार्केटिंग नहीं करके दूसरे दुग्ध इकाइयों की मदद करते हैं। देवभोग दुग्ध इकाई प्रभारी के इस संयंत्र के माध्यम से ग्राम पंचायत एवं वहां के निवासियों को किसी भी प्रकार से प्रोत्साहित नहीं किए जाने की बात पर कई बार इस प्रभारी एवं पंचायत के प्रतिनिधि के बीच बातचीत हुई।किंतु इस प्रभारी के असहयोग पूर्ण रवैये के कारण आज तक इस औद्योगिक इकाई के माध्यम से पंचायत का विकास नहीं हो पाया।

सरकार बदली है तो प्रभारी क्यों नही ?
अब बदले राजनीतिक परिवेश में जब कांग्रेस की सरकार है। इस पंचायत के लोगों में विश्वास जाग उठा है कि अगर इस देवभोग दुग्ध इकाई के प्रभारी को हटाकर किसी ऊर्जावान अधिकारी को मौका दिया जाए तो इस जर्जर दुग्ध प्रतिष्ठान का कल्याण संभव हो सकता है। इन्हीं पंचायत के प्रतिनिधियों ने बताया कि वर्तमान देवभोग दुग्ध इकाई प्रभारी के द्वारा जो अपने चहेते दुग्ध विक्रय करने वाले ठेकेदार को काम दिया जाता है। उससे केवल इसी प्रभारी का फायदा होता है।

अगर दुग्ध महासंघ देवभोग रायपुर के अन्य पदाधिकारी इस प्रभारी के कार्यकाल की जांच कर इसे इसके चहेते ठेकेदार को हटाकर अगर इसी पंचायत के महिला स्व सहायता समूह के द्वारा दुग्ध का वितरण समेत अन्य पदार्थ बनाने का कार्य सौंपा जाए तो इससे पंचायत के लोगों को विशेषकर महिला स्व सहायता समूह को इसका लाभ मिलेगा। जिससे महिलाएं इस रोजगार के माध्यम से अपने आप को आत्मनिर्भर बना पाएंगी।

छत्तीसगढ़ महाप्रबंधक ने कहा होगी जांच
इस मामले पर जब छत्तीसगढ़ देवभोग दुग्ध महाप्रबंधक नरेंद्र दुग्गा से बात की गई तो उनका कहना था कि हमारे द्वारा स्वस्छ एव ताजा दूध उपलब्ध कराने का प्रावधान है। लेकिन बस्तर स्थित सेमरा देवभोग इकाई प्रभारी द्वारा अगर इस प्रकार की गड़बड़िया की जा रही है तो इसकी जांच अवश्य करायी जाएगी में स्वयं इस मामले को संज्ञान में लेकर कुछ दिनों के भीतर इसकी जांच कराऊंगा।