32 महिनों के भूपेश बघेल सरकार के जनहितैषी कार्यों से भाजपा में मचा हाहाकार, विरोधी मानसिकता वालों के लिए यह कड़ा जवाब……

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भूपेश है तो भरोसा है…..

बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 32 महीने पूरे कर लिए हैं।इन 32 महीनों में भूपेश सरकार ने कई बड़े काम किए हैं लेकिन उनके कार्यकाल के 32 महीने में चर्चा 32 बड़े कार्यों की।चर्चा उन योजनाओं की जो कि राज्य के साथ देश भर में चर्चित रहीं है। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से ही उन्होंने एक के बाद एक कई बड़े फैसले लेकर यह साफ कर दिया था कि राज्य में राज्य सरकार की प्राथमिकता क्या होगी। करीब 3 साल के कार्यकाल को देखे तो यह साफ दिखता है कि भूपेश सरकार ने गाँव, गरीब, किसान, आदिवासी हितों को ही केंद्र बिंदु में रखा है। सरकार ने योजनाएं भी ऐसी ही तैयार की जिससे कि गाँवों का विकास, ग्रामीणों का विकास, आदिवासियों का विकास प्राथमिकता के साथ हो सके और आज ऐसा होता हुआ दिख भी रहा है।सरकार ने जिन योजनाओं के साथ ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ का नारा दिया।आज उन योजनाओं के ही बदौलत ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़ा जा रहा है फिर चाहे वह किसानों के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना हो, या ग्रामीणों और महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के लिए नरवा-गरवा, घुरवा-बारी या गोधन न्याय योजना हो।इसके साथ ही आदिवासियों की जमीन वापसी, वन अधिकार पट्टा, समुदाय को वन प्रबंधन का अधिकार, आदिवासी जिलों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी में सीधी भर्ती, तेंदूपत्ता का समर्थन मूल्य 4 हजार, छत्तीसगढ़ी संस्कृति और भाषा का उत्थान, राज्य का अपना राजगीत जैसे काम शामिल हैं |

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भूपेश सरकार के 32 महीने में 32 बड़े काम इन कामों ने भूपेश सरकार को देश-विदेश में दिलाई ख्याति

1.कर्जा माफी-

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने से पहले कांग्रेस ने राज्य के किसानों से वादा किया था सत्ता में आते ही कर्जा माफ कर दिया जाएगा. 17 दिसंबर को शपथ लेने के कुछ घंटों बाद ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह वादा पूरा भी कर दिया था. इसके तहत प्रदेश की 16 लाख 56 हजार किसानों का 6100 करोड़ रूपए अल्पकालीन कृषि ऋण माफ किया गया. 30 नवम्बर 2018 पर बकाया अल्पकालीन कृषि ऋण माफी के निर्णय का क्रियान्वयन दस दिनों के भीतर पूरा कर लिया गया है. एक नवम्बर 2018 से 24 दिसम्बर 2018 तक लिकिंग के माध्यम से राज्य की 1276 सहकारी समितियों की तीन लाख 57 हजार किसानों से वसूल की गयी 1248 करोड़ अल्पकालीन कृषि ऋण राशि उनके बचत खातों में वापस कर दी गई है. सरकार के इस निर्णय की चर्चा देश भर में हुई है. वहीं कर्जा माफी से लाखों किसानों को बड़ी राहत और राज्य में आत्महत्याएं की घटनाएं रुक गई.

  1. राजीव गांधी किसान न्याय योजना –

छत्तीसगढ़ धान का कटोरा का कहा जाता है. यहाँ मुख्य रूप से धान का फसल लिया जाता है. धान उत्पादक इस राज्य के किसानों से एक और वादा कांग्रेस ने किया था. सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस वादे को भी तत्काल पूरा किया. किसानों को केंद्र सरकार की ओर से तय समर्थन मूल्य से कहीं ज्यादा राज्य सरकार ने 25 सौ रुपये दिया. 2019 में इसमें कोई रुकावट तो नहीं आई, लेकिन 2020 में केंद्र सरकार ने 25 सौ रुपये पर धान खरीदी में अड़ंगा लगा दिया. इस बाधा से पार पाने भूपेश सरकार ने एक नई योजना की शुरुआत की. इस योजना को नाम दिया गया- ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’. इस योजना के तहत राजीव गांधी की पुण्यतिथि 20 मई 2020 से हुई. योजना के तहत किसानों को चार किस्तों में राशि देने का निर्णय हुआ. किसानों को केंद्र सरकार की ओर से तय समर्थन मूल्य और 2500 रुपये के बीच की राशि दी गई. यह सिलसिला 2021 में भी जारी है. योजना के तहत पिछले वर्ष किसानों को 5702 करोड़ रूपए की आदान सहायता चार किस्तों में दी गई थी. इस वर्ष किसानों को दो किस्तों में 3047 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है. तीसरी किस्त का भुगतान राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर एक नवम्बर को और वित्तीय वर्ष के अंत में चौथी किस्त का भुगतान किया जाएगा.

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  1. नरवा-गरवा-घुरवा-बारी-

सुराजी योजना के तहत राज्य में सरकार बनने के बाद भूपेश बघेल ने एक और महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत की. यह शुरुआत थी छत्तीसगढ़ की ग्रामीण संस्कृति को बचाने की. यह शुरुआत थी नरवा-गरवा, घुरवा-बारी योजना की. दरअसल यह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का वह चुनावी नारा था, जो उन्होंने सत्ता में आने से पहले प्रचार के लिए इस्तेमाल किया था. नारा था- ‘छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा-गरवा, घुरवा-बारी… येला बचाना हे संगवारी’. इस नारे को साकार करने राज्य सरकार ने ग्रामीण विकास को प्राथमिकता में रखते हुए योजना को आगे बढ़ाने काम किया. योजना के मूल में जो बातें कही गई है उनमें- नरवा के तहत गाँवों के नालों को संरक्षित और विकसित करना, गरवा के तहत पशुपालन को बढ़ावा देना, गायों को व्यवस्थित रहवास स्थान(गौठान) देना, गायों के लिए चारे और पानी की व्यवस्था गौठान में करना. घुरवा के तहत घरों से निकलने वाले कचरों से खाद तैयार करना और बारी के तहत स्व-सहायता समूह की महिलाओं को सब्जी की खेती के लिए प्रोत्साहित करना है. आज इसी के अनुरूप भूपेश सरकार काम भी कर रही है. सरकारी आँकड़ों के मुताबिक अब तक 10,057 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 5820 गौठान निर्मित हो चुके हैं और वहां पशुओं के चारे-पानी का बेहतर प्रबंध के साथ पशु टीकाकरण एवं उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है.

  1. गोधन न्याय योजना-

इस योजना की शुरुआत छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े लोक पर्व में से एक हरेली तिहार के मौके पर 20 जुलाई 2020 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की थी. योजना के तहत पशुपालकों और गोबर संग्रहणकर्ताओं से राज्य सरकार 2 रुपये प्रति किलो गोबर खरीदती है. योजना का उद्देश्य सिर्फ गोबर खरीदी नहीं है. सरकार योजना के तहत गायों के संरक्षण पर जोर दे रही है. साथ ही मुख्य उद्देश्य है राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाना. राज्य सरकार गोबर को खरीदकर वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर रही है. वर्मी कम्पोस्ट को सरकार किसानों को 10 प्रति किलो बेच रही है. इस कार्य से रोजगार के नए अवसर भी खुले है. वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने की जिम्मेदारी महिला स्व-सहायता समूहों को दी गई है. वर्मी कम्पोस्ट के साथ-साथ गोबर से अन्य कई तरह के उपयोगी उत्पाद भी तैयार किए जा रहे हैं. सरकारी आँकड़ों के मुताबिक योजना के तहत अब तक 49.54 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है और उन्हें लगभग 99 करोड़ रूपए की राशि का भुगतान किया गया है. महिला स्व सहायता समूहों को लाभांश की राशि के रूप में 20 करोड़ रूपए और गौठान समितियों को 30 करोड़ 76 लाख रूपए राशि का भुगतान किया जा चुका है. इस योजना से 49 प्रतिशत महिलाएं और 78 हजार से अधिक भूमिहीन लोग लाभान्वित हो रहे हैं.

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  1. आदिवासियों की जमीन वापसी-

बस्तर के लोहण्डीगुड़ा टाटा स्टील के लिए आदिवासियों किसानों की हजारों एकड़ जमीन अधिग्रहित पूर्व की रमन सरकार ने की थी. तब आदिवासी अपनी जमीन देना नहीं चाहते थे. स्थानीय आदिवासी लगातार अधिग्रहित जमीन वापस करने की मांग करते रहे. कांग्रेस ने सरकार बनते ही जमीन वापसी करने का वादा किया था. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ये वादा भी तत्काल पूरा किया. लोहंडीगुड़ा में टाटा संयंत्र के नाम पर 1 हजार 707 प्रभावित किसानों की 4,200 एकड़ जमीन वापस दी गई है. आज अब किसान इन जमीनों पर खेती कर रहे हैं. वहीं उन्हें राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है.

  1. सिंचाई कर माफ-

सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक और बड़ा किसानों के हित में लिया था. यह फैसला किसानों का सिंचाई कर माफी का. राज्य सरकार ने किसानों को रहात देते हुए 2018 में 15 वर्षों लंबित सिंचाई कर को माफ कर दिया था. यह कर माफी 200 करोड़ से अधिक का था. यहीं नहीं सरकार ने कोरोना संकट के बीच भी किसानों को राहत दी. और छत्तीसगढ़ के समस्त किसानों की 1 नवंबर 2018 से 30 जून 2020 तक की स्थिति में सिंचाई जल कर की बकाया राशि एवं वर्ष 2020 21 की चालू मांग राशि (खरीफ एवं रबी) को माफ कर दी.

  1. तेंदूपत्ता का समर्थन मूल्य 4 हजार –

आदिवासियों की आजीविका का मुख्य आधार वनोपज है. इसमें भी तेंदूपत्ता का संग्रहण आदिवासियों का मुख्य कार्य. ऐसे में सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहणकर्ताओं के लिए बड़ा फैसला लिया. सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तेंदूपत्ता संग्राहकों से किए वादे को भी पूरा किया. उन्होंने तेंदूपत्ता का समर्थन मूल्य 25 सौ रुपये प्रति मानक बोरा बढ़ाकर सीधे 4 हजार रुपये कर दिया. राज्य बनने के बाद यह अब तक की सबसे ज्यादा मूल्य वृद्धि थी. भूपेश सरकार के इस फैसले आज राज्य के लाखों तेंदूपत्ता संग्राहक आदिवासियों को फायदा हो रहा है. बता दें कि छत्तीसगढ़ में 31 ज़िला युनियन, 901 प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति, 10300 संग्रहण केंद्र और 13.76 लाख परिवार तेंदूपत्ता के संग्रहण का काम करते हैं.

  1. शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना-

तेंदूपत्ता संग्राहकों के समर्थन मूल्य में वृद्धि के साथ ही भूपेश सरकार ने संग्राहक परिवारों को एक और बड़ी सौगात दी. यह सौगात थी सामाजिक सुरक्षा की. 5 अगस्त 2020 को बस्तर में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे महेन्द्र कर्मा की जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत कुल चार लाख रुपये सहायता के तौर पर संग्राहक को दी जाएगी. इसमें सामान्य मृत्यु पर 2 लाख रुपए दिये जाएँगे. दुर्घटना से मौत होने पर 2 लाख रुपए अतिरिक्त सहायता राशि के रूप में दिये जाएँगे. कुल मिलाकर 4 लाख रुपये दिए जाएंगे. वहीं दुर्घटना में पूर्ण विकलांगता की स्थिति में 2 लाख रूपए की सहायता राशि और आंशिक विकलांगता की स्थिति में 1 लाख रूपए की सहायता अनुदान राशि दी जाएगी.

  1. लघु वनपोज की संख्या 52 –

लघुवनोपज संग्राहक आदिवासियों के लिए भूपेश सरकार ने एक और बड़ा काम किया. यह काम था न्यूनतम समर्थन मूल्य वनोपज खरीदी की संख्या 7 से बढ़ाकर 52 करने का. 2018 तक सिर्फ 7 ही वनोपज की खरीदी राज्य सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करती थी. लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने के बाद आज 52 वनोपज की खरीदी की जा रही है. वहीं हाट बाजार स्तर पर 3500 महिला स्व-सहायता समूहों का गठन भी किया गया है. वर्ष 2018 में जहां 1600 करोड़ रूपए का ही कुल वनोपज क्रय किया गया था, उसे बढ़ाकर 2100 करोड़ रूपए का क्रय किया गया, जो कि वर्ष 2018 की तुलना में 32 प्रतिशत की वृद्धि प्रतिवर्ष हुई है. इस तरह राज्य में लघु वनोपजों की संख्या एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि के फलस्वरूप 13 लाख से अधिक गरीब और आदिवासी लघु वनोपज संग्राहकों को प्रतिवर्ष 501 करोड़ 70 लाख रूपए की राशि की अतिरिक्त आय हो रही है. दरों में वृद्धि से अतिरिक्त आय होने वाले 17 मुख्य प्रजातियों में तेन्दूपत्ता, महुआ फूल, इमली (बीज सहित), महुआ बीज, चिरौंजी गुठली, रंगीनी लाख, कुसुमी लाख, फूल झाड़ृ, गिलोय, चरोटा बीज, धवई फूल, बायबिडिंग, शहद, आंवला (बीज रहित), नागरमोथा, बेल गुदा तथा गम कराया शामिल है.

  1. बिजली बिल हाफ-

उपभोक्ताओं को राहत देने का वादा सत्ता में आने से पहले भूपेश बघेल ने किया था. बाकी वादा की तरह इस वादा को भी उन्होंने पूरा किया. 2019 में उन्होंने बिजली बिल हाफ की शुरुआत की. सरकार के इस निर्णय से राज्य के 38 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को फायदा हुआ. सरकार ने इसके लिए 1645 करोड़ की राशि छूट के तौर पर उपभोक्ताओं की माफ की.

  1. हाट बाजार क्लीनिक योजना-

भूपेश सरकार की यह महत्वकांक्षी और सफल योजनाओं में से एक है. इस योजना की शुरुआत गाँधी जयंती 2 अक्टूबर 2019 में हुई थी. शुरुआत में इस योजना को बस्तर तक सीमित रखा गया. लेकिन योजना की सफलता को देखते हुए आज इसका विस्तार समूचे छत्तीसगढ़ में हो चुका है. योजना से अब तक लाखों लोग लाभांवित हो चुके हैं. योजना के तहत एक मेडिकल यूनिट टीम गाँव-गाँव के हाट-बाजारों में जाकर चिकित्सा शिविर आयोजित करती है. बाजार में आने वाले ग्रामीणों का हेल्थ चेकअप किया जाता और उन्हें दवाइयाँ दी जाती है.

  1. सुपोषण अभियान-

छत्तीसगढ़ में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. भूपेश सरकार ने इससे लड़ने के लिए सरकार बनने के करीब साल भर में सुपोषण महाअभियान की शुरुआत कर दी थी. अभियान की शुरुआत दंतेवाड़ा से 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर हुई थी. बीते 32 महीनों में राज्य सरकार ने इस अभियान के तहत बड़ी सफलता हासिल की है. राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने से पूर्व कुपोषण 40 प्रतिशत से अधिक था. लेकिन आज कुपोषण घटकर 32 प्रतिशत तक पहुँच गया है. करीब 1 लाख 41 हजार बच्चे कुपोषण मुक्त हो चुके हैं.

  1. मलेरिया मुक्त बस्तर-

मलेरिया बस्तर के लोग दशकों से लड़ते रहे हैं. राज्य बनने के पूर्व से भी यहाँ मलेरिया एक बड़ी समस्या रही है. लेकिन भूपेश सरकार ने इस समस्या को जड़ खत्म करने लिए मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की शुरुआत की. 2020 में इस अभियान की शुरुआत हुई थी. और एक साल में इस अभियान बस्तर से मलेरिया से मुक्त करने में बड़ी सफलता हासिल कर ली है. मई-2020 की तुलना में वहां मई-2021 में मलेरिया के मामलों में 39 प्रतिशत की कमी आई है. पिछले मई में बस्तर संभाग के सातों जिलों में जहां इसके कुल 2298 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं इस मई में केवल 1404 प्रकरण सामने आए हैं.

  1. शहरी स्लम स्वास्थ योजना-

छत्तीसगढ़ के स्थापना दिवस एक नवंबर 2020 को मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना का शुभारंभ सांसद राहुल गांधी की मौजूदगी में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया था. राज्य के सभी 14 नगर पालिक निगमों में आधुनिक उपकरण से सुसज्जित 60 मोबाइल मेडिकल यूनिट यानी एमएमयू स्वास्थ्य सेवाएं दे रही हैं. छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना की चलित चिकित्सा इकाइयां कोरोना-काल में भी राहतकारी रही. इसके जरिए अब तक 14 शहरों में 10 हजार शिविरों का आयोजन किया जा चुका है. अब तक पांच लाख से ज्यादा मरीजों को नियमित स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिला है.

  1. डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना-

भूपेश सरकार ने समूचे छत्तीसगढ़वासियों के स्वास्थ्य के हित में एक और बड़ा काम किया है. यह स्वास्थ्य बीमा का. केंद्र सरकार जहाँ आयुष्मान के तहत 5 लाख तक स्वास्थ्य बीमा देती है. वहीं भूपेश सरकार राज्य के निवासियों को डॉ. खूचंद बघेल स्वास्थ्य योजना के तहत 5 साल 20 लाख तक स्वास्थ्य बीमा दे रही है. इस योजना के अंतर्गत लगभग 56 लाख लोगों को कवर किया जाएगा.

  1. नई औद्योगिकी नीति-

छत्तीसगढ़ में ग्रामीण विकास के साथ औद्योगिक विकास पर भी भूपेश सरकार ने पूरा जोर दिया है. राज्य में एक साथ हरित क्रांति और औद्योगिक क्रांति चल रही है. इसके पीछ वजह राज्य सरकार की नई औद्योगिक नीति-2019. इस नीति के राज्य में निवेश को लेकर एक व्यापक और सकारात्मक माहौल बना है. सरकारी आँकड़ों के मुताबिक दो साल में प्रदेश में जहां 1207 नये उद्योगों की स्थापना हुई है, वहीं राज्य में इन उद्योगों के माध्यम से 16 हजार 897 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश हुआ है, जिसमें 22 हजार से अधिक लोगों को सीधा रोजगार मिला है. इसी तरह इस दौरान मेगा औद्योगिक परियोजनाओं हेतु कुल 104 एम.ओ.यू. किए गए हैं. इन इकाइयों का प्रस्तावित कुल पूँजी निवेश 42 हजार 714.48 करोड़ रूपए है, जिसके माध्यम से करीब 65 हजार लोगों को रोजगार प्राप्त होगा.

  1. मछली पालन को खेती का दर्जा-

छत्तीसगढ़ राज्य की आर्थिक निर्भरता खेती आधारित है. राज्य की उन्नति और प्रगति का मुख्य आधार खेती ही है. भूपेश सरकार ने मछलीपालन को खेती का दर्जा देकर इस व्यवसाय जुड़े हजारों व्यवासायी किसान परिवार को लाभांवित करने का काम किया है. मुख्यमंत्री ने 20 जुलाई 2021 को कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया कि राज्य में मछली पालन को आज से कृषि का दर्जा दिया जाता है. सरकारी आकड़ों के मुताबिक सरकार के इस कदम से मछली पालन से जुड़े 2 लाख 20 हजार लोगों की स्थिति में सकारात्मक बदलाव आएगा. बता दें कि राज्य में मत्स्य पालन के लिए अभी मछुआरों को एक प्रतिशत ब्याज पर एक लाख तक तथा 3 प्रतिशत ब्याज पर अधिकतम 3 लाख रुपए तक ऋण मिलता था. इस क्षेत्र को कृषि का दर्जा मिलने से अब मत्स्य पालन से जुड़े लोग सहकारी समितियों से अब अपनी जरूरत के अनुसार शून्य प्रतिशत ब्याज पर सहजता से ऋण प्राप्त कर सकेंगे. किसानों की भांति अब मत्स्य पालकों एवं मछुआरों को क्रेडिट कार्ड की सुविधा मिलेगी. छत्तीसगढ़ राज्य में वर्तमान में 288 करोड़ मत्स्य बीज फ्राई तथा 5.77 लाख मैट्रिक टन मछली का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है. राज्य की मत्स्य उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 3.682 मीटरिक टन है, जो राष्ट्रीय उत्पादकता 3.250 मीटरिक टन से लगभग 0.432 मीटरिक टन अधिक है. जानकारी के मुताबिक राज्य में ढाई सालों में मत्स्य बीज उत्पादन के मामले में 13 प्रतिशत और मत्स्य उत्पादन में 9 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है.

  1. सार्वभौम पीडीएस-

छत्तीसगढ़ में पीडीएस पहले से ही संचालित है. लेकिन भूपेश सरकार में इसमें एक कदम और आगे बढ़ाते हुए एक बड़ा काम किया है. यह था वर्ष 2019 में गांधी जयंती 2 अक्टूबर के मौके पर सार्वभौम पीडीएस की शुरुआत. दरअसल वर्ष 2018 के पहले पीडीएस के राशनकार्ड धारियों हेतु प्रति माह 1.71 लाख टन चावल का आबंटन जारी किया जा रहा था जबकि वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा प्रतिमाह 2.25 लाख टन चावल का आबंटन जारी किया जा रहा है. सार्वभौम पीडीएस के अंतर्गत प्राथमिकता राशनकार्डों के खाद्यान्न पात्रता में वृद्धि की गई है. वर्तमान में प्राथमिकता राशनकार्डों में 01 सदस्यीय परिवार के लिए 10 किलो, 02 सदस्य वाले परिवार के लिए 20 किलो, 3 से 5 सदस्यीय परिवार के लिए 35 किलो तथा 5 से अधिक सदस्य वाले परिवार के लिए 7 किलो प्रति सदस्य प्रति माह चावल 1 रुपए प्रति किलो निर्धारित किया गया है. सीतानदी उदंती टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्रों में बसे जिन पांच गांवों को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दिए गए हैं.

  1. वन अधिकार पट्टा-

छत्तीसगढ़ में वन अधिकार कानून का सबसे अच्छा क्रियान्वयन हुआ. पूरे देश में छत्तीसगढ़ वन अधिकार पट्टा वितरण करने के मामले में अग्रणी राज्यों में शुभार है. भूपेश बघेल ने सत्ता में आने से पहले जो वादा आदिवासियों से किया था उसे बखूबी पूरा भी किया. व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वन अधिकारों की मान्यता देने के मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ पूरे देश में अग्रणी है. प्रदेश में अब तक के अंत तक 4 लाख 41 हजार से अधिक व्यक्तिगत और 46 हजार से अधिक सामुदायिक वनाधिकार का प्रदाय अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वनवासियों को किया गया है. इस प्रकार व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वन अधिकारों में कुल 51 लाख 06 हजार एकड़ से अधिक व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वन अधिकारों को स्थानीय समुदायों को वितरण किया गया है.

  1. आदिवासी समुदाय को वन संसाधन प्रबंधन का अधिकार-

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गरियाबंद जिले के सीतानदी उदंती टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्रों में बसे पांच गांवों को 5553.26 हेक्टेयर के जंगल पर सामुदायिक वन संसाधन अधिकार सौंपा है. राज्य में टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार सौंपने का यह पहला मौका है. खास बात यह है कि सीतानदी उदंती टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्रों में बसे जिन पांच गांवों को अधिकार मान्य करने के बाद छत्तीसगढ़ उन गिने चुने राज्यों में शुमार हो गया है जहां यह अधिकार टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र में भी दिया है. इनमें ग्राम मासुलखोई को 975.58 हेक्टेयर करही को 984.92 हेक्टेयर, जोरातराई को 551.42 हेक्टेयर, बरोली को 1389.615 हेक्टेयर और बहिगांव को 1651.725 हेक्टेयर शामिल है. उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पहली बार राज्य सरकार द्वारा जनवरी 2019 के बाद सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के 23 प्रकरण के अंतर्गत 26 हजार हेक्टेयर वन भूमि पर ग्राम सभाओं को प्रबंधन के अधिकार की मान्यता प्रदाय की गई है.

  1. पढ़ई तुँहर दुआर-

छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग ने लॉकडाउन के दौरान बिना किसी बाह्य सहायता के एनआईसी के सहयोग से बच्चों की पढ़ाई के लिए ‘‘पढ़ई तुंहर दुआर‘‘ नाम से ऑनलाइन पढ़ाई शुरु की. जिसे आज लखनऊ के समारोह में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उपस्थिति में कैबिनेट मंत्री रविंद्र जायसवाल ने बेस्ट ई-गवर्नेंस अवार्ड दिया. वर्तमान समय में पढ़ई तुंहर दुआर वेबसाईट में 25.97 लाख विद्यार्थी और 2.07 लाख शिक्षक जुड़े हुए है. यह योजना कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मील का पत्थर साबित हुई है.

  1. तुँहर सरकार तुँहर दुआर –

छत्तीसगढ़ सरकार की ‘तुँहर सरकार, तुँहर दुआर’ को साकार करते हुए परिवहन विभाग ने 1 जून से ड्राइविंग लाइसेंस एवं पंजीयन प्रमाण पत्र को आवेदकों के घर पर पहुंचाने का काम शुरू किया है. योजना के प्रारंभ होने से प्रदेश के लोगों को विभाग की 22 से भी अधिक सेवाएं घर बैठे प्राप्त होंगी. इसके तहत केवल जून महीने में 14 हजार 604 स्मार्ट कार्ड आधारित पंजीयन प्रमाण पत्र और ड्राइविंग लाइसेंस आवेदकों के घर अब तक भेजे जा चुके हैं. भूपेश सरकार की यह योजना देश में एक अनूठी योजना है.

  1. भूमिहीन न्याय योजना-

राजीव गाँधी किसान योजना के तहत जहाँ भूपेश सरकार राज्य के लाखों को पंजीकृत किसानों को लाभ पहुँचा रही है. वहीं राज्य सरकार ने भूमिहीन किसानों को लाभ पहुँचाने के लिए ‘राजीव गांधी भूमिहीन न्याय’ योजना की शुरुआत की है. योजना का लाभ राज्य के 12 लाख भूमिहीन परिवारों को होगा. इसके लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. योजना के तहत किसानों को 6 हजार रुपये की राशि सलाना दी जाएगी.

  1. स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल-

छत्तीसगढ़ में सरकारी शिक्षा को उन्नत और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय. यह निर्णय राज्य में सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने का. छत्तीसगढ़ के संत और समता के प्रतीक स्वामी आत्मानंद की स्मृति में भूपेश सरकार ने स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल खोलने का निर्णय. साल 2020 में इसकी शुरुआत हुई. पहले चरण में 52 स्कूल खोले गए. राज्य भर से और स्कूल खोलने की मांग आई. सरकार ने साल 2021 में 120 नए अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोले हैं. इसके लिए अलग शिक्षकों की भर्ती की जा रही है. इससे अब गरीब वर्ग के बच्चें अच्छी सुविधाओं के साथ अंग्रेजी की पढ़ाई करा सकेंगे.

  1. 14 हजार 580 शिक्षकों की भर्ती-

छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार बेरोजगारी दूर करने की दिशा में भी एक बड़ा काम किया है. राज्य निर्माण के बाद 2018 तक शिक्षा विभाग में नियमित भर्ती के लिए पद नहीं निकाले गए थे. लेकिन भूपेश बघेल सरकार ने 2019 में 14 हजार 580 शिक्षकों की भर्ती के विज्ञापन जारी किया. हालांकि इस प्रकिया को पूरी करने में सरकार को थोड़ा वक्त लगा. क्योंकि इस दौरान सरकार ने कोरोना का संकट भी झेला. बावजूद इसके लिए शिक्षक भर्ती की प्रकिया को पूरी की. राज्य में अब सभी 14 हजार 580 पदों की नियुक्ति कर दी है. यह शिक्षा के लिए किया गया एक बड़ा काम है.

  1. छत्तीसगढ़ी भाषा में राजगीत-

छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण नवंबर 200 में हो गया था. लेकिन राज्य निर्माण के बाद राज्य का अपना कोई राजगीत नहीं था. चूँकि छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण भाषा और सांस्कृति तौर हुआ है लिहाजा राज्य की संस्कृति को पहचान राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर दिलाने की कोशिश भूपेश बघेल सरकार ने की. छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा तो मिल गया था. लेकिन राज्य के निवासी अपना राजगीत भी चाहते थे. इस मांग को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साल 2019 में राज्योत्सव के मौके पर पूरी की. स्व. डॉ. नरेन्द्र वर्मा रचित- अरपा पइरी के धार, महानदी हे अपार..को राज्यगीत का दर्जा प्रदान किया. यह छत्तीसगढ़ियों को लिए एक गौरव दिन था.

  1. छत्तीसगढ़ी संस्कृति को मान-सम्मान और लोक पर्व अवकाश-

राज्य निर्माण के 20 सालों में जो नहीं हुआ था वह भूपेश बघेल के सरकार में देखने को मिला. यह था छत्तीसगढ़ी संस्कृति को मान-सम्मान और अधिकार देने का. यह था लोक पर्व पर अवकाश देने का. यह था आदिवासियों को सम्मान देने का. दरअसल अभी तक मुख्यमंत्री निवास में छत्तीसगढ़ के लोक पर्व को नहीं मनाया जाता था. लेकिन भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब सीएम हाउस में हरेली, तीजा-पोरा, देवारी का आयोजन भव्य रूप में हो रहा है. वहीं भूपेश बघेल ने लोक पर्व हरेली, तीजा-पोरा, आदिवासी दिवस, कर्मा जयंती पर सार्वजनिक अवकाश भी दिया है. किसी राज्य सरकार की ओर से अपनी लोक संस्कृति को आगे बढ़ाने के दिशा में किए गए इन कार्यों चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर रही है.

  1. गढ़ कलेवा योजना-

छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति और पर्वों को राष्ट्रीय सम्मान दिलाने के साथ-साथ भूपेश सरकार ने जो एक और बड़ा काम किया वह है छत्तीसगढ़ी खान-पान को बढ़ावा देने का. इसके लिए राज्य सरकार ने गढ़ कलेवा योजना की शुरुआत की है. योजना के तहत सभी जिला मुख्यालयों और प्रमुख पर्यटन स्थलों पर गढ़ कलेवा केंद्र खोले गए गए हैं. साथ ही मंत्रालय में अब छत्तीसगढ़ी कैंटिन है. आज राज्य की खान-पान की खुशबू दूर-दूर तक फैल रही है. पहले छत्तीसगढ़ी खान-पान को उपेक्षा का शिकार होना पड़ता था, लेकिन भूपेश सरकार ने आज इसे एक ब्रांड बनाने का काम किया है. इस योजना की चर्चा भी देश में खूब है.

  1. मनेरगा के क्रियान्वयन में नंबर वन-

छत्तीसगढ़ ने बीते दो साल में कई बड़ी उपलब्धियों को हासिल किया है. देश में छत्तीसगढ़ कई क्षेत्रों में अन्य राज्यों से काफी आगे रहा, पहले स्थान पर रहा, नंबर वन रहा. वह भी उस स्थिति में जब बीते एक साल से कोरोना का संकट है. बावजूद इसके आर्थिक मोर्चे पर भी छत्तीसगढ़ की स्थिति मजबूत रही. यही वजह है कि राज्य वनोपज के संग्रहण, खरीदी-बिक्री से लेकर रिकॉर्ड धान खरीदी में अग्रणी रहा है. मनरेगा के सफल क्रियान्वयन और रोजगार के मामले में तो छत्तीसगढ़ लगातार देश में पहले स्थान को हासिल कर रहा है. एक बार फिर राज्य के हिस्से यह कामयाबी आई है. वर्ष 2020-21 में रिकॉर्ड 17 करोड़ 20 लाख मानव दिवस कार्य के साथ छत्तीसगढ़ देश में अव्वल रहा है.

  1. राम वनगमन पर्यटन परिपथ-

छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल कहा जाता है. भगवान राम छत्तीसगढ़ में भाँजे के रूप में पूजे जाते हैं. भगवान राम राज्य में संस्कृति के प्रतीक है. ऐसा माना जाता है उत्तर सरगुजा से लेकर दक्षिण बस्तर भगवान राम के वनवास के दौरान के 12 साल इसी छत्तीसगढ़ में बीते हैं. भगवान राम के पाँव जहाँ-जहाँ पड़े हैं अब उन स्थानों को भूपेश सरकार विकसित कर रही है. सत्ता में आने के बाद भूपेश बघेल सरकार ने इस दिशा में पहल की है. राज्य में कुल ऐसे 51 स्थानों को चिन्हित किया गया. प्रथम चरण में 9 स्थानों को विकास किया जा रहा है. इसमें माता कौशल्या की जन्म स्थली चंदखुरी भी शामिल है. चंदखुरी में कौशिल्या माता मंदिर परिसर में तीन चरणों में कार्य किया जा रहा है, जिसमें से प्रथम एवं दूसरे चरण के 90 प्रतिशत विकास कार्य पूर्ण हो चुके हैं. वहीं शिवरीनारायण में विकास कार्य प्रगति पर है. यहां प्रथम चरण के विकास कार्य दिसम्बर 2021 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है. राम वन गमन पर्यटन परिपथ के चिन्हित 9 स्थलों में से 4 स्थल रामगढ़, तुरतुरिया, सिहावा-सत्पऋषि आश्रम एवं तीरथगढ़ वन क्षेत्र में होने के कारण यहां का कार्य वन विभाग के माध्यम से कराया जा रहा है.

  1. कोरोना संकट और बेरोजगारी दर –

दुनिया के साथ छत्तीसगढ़ ने भी भीषण कोरोना संकट को झेला है. लेकिन इस संकट के दौरान छत्तीसगढ़ देश और दुनिया को यह भी दिखाया है कि कैसे एक छोटा और कम संससाधन वाला राज्य अपनी नीति और नीयत के साथ बेहतर कर सकता है. कोरोना के संकट काल में बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने न सिर्फ खुद को साबित किया, बल्कि राज्य कों आर्थिक रूप से सशक्त भी किया. राज्य के लोगों को कोरोना से बचाने, पीड़ितों को इलाज मुहैय्या कराने में भूपेश बघेल अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहीं अधिक सफल रहे हैं. लेकिन इन सबके बीच में जो सबसे अहम काम हुआ वह बेरोजगारी दूर करने का. संकट के काल में भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और स्व-रोजागर के नए अवसर पैदा करने का जो काम हुआ वह देश में एक रोल मॉडल राज्य की तरह है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है. ऐसी बात न तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी ओर से कही, न उनके मंत्रिमंडल के सदस्य, न सरकार की ओर से ये दावा किया गया है. ये बातें सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की ओर से जारी रिपोर्ट में कही गई है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश की बेरोजगारी दर 12 महीने के सबसे निचले स्तर पर 3.4 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो कि राष्ट्रीय बेरोजगारी की दर (23.5 प्रतिशत) से काफी कम है. सीएमआईई के द्वारा किये गए सर्वेक्षण के अनुसार छत्तीसगढ़ की बेरोजगारी दर सितंबर 2018 में 22.2 प्रतिशत थी, जो घट कर अप्रैल 2020 में 3.4 प्रतिशत दर्ज की गई है.

  1. चार नए जिले-

2021 का स्वतंत्रता दिवस छत्तीसगढ़वासियों के लिए इस बार बेहद ही खास रहा. विशेषकर उन क्षेत्रवासियों के लिए बेहद ही खास, जो कि दशकों से जिले की मांग को लेकर संघर्ष कर थे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चार नए जिलों की घोषणा कर मांग पूरी कर दी. जिन चार नए जिलों के नामों का ऐलान किया गया उनमें- सारंगढ़-बिलाईगढ़, सक्ति, मोहला-मानपुर-चौकी और मनेन्द्रगढ़ शामिल हैं.सारंगढ़-बिलाईगढ़ नया जिला बनने से सारंगढ़ क्षेत्र की जनता को अब अपने काम-काज के लिए रायगढ़ तथा बिलाईगढ़, सरसींवा क्षेत्र के लोगों को बलौदाबाजार नही जाना पड़ेगा। गौरतलब है कि सारंगढ़ की दूरी रायगढ़ से लगभग 55 किलोमीटर और बिलाईगढ़, सरसींवा अंचल की दूरी बलौदाबाजार से तकरीबन 75-80 किलोमीटर है. बिलाईगढ़ और सरसींवा अंचल के आखरी छोर के गांव की जिला मुख्यालय से दूरी 100-125 किलोमीटर है. नया जिला बनने से लोगों को जिला मुख्यालय आना-जाना आसान होगा. इसी तरह मोहला-मानपुर की दूरी जिला मुख्यालय राजनांदगांव से 100 किलोमीटर है। मानपुर का औंधी अंचल राजनांदगांव से 125 किलोमीटर दूर है। इस अंचल के लोगों को मानपुर-मोहला जिला बन जाने से प्रशासनिक कामकाज के लिए अब राजनांदगांव जाने की जरूरत नहीं होगी. कमोबेश इसी तरह की सुविधाएं सक्ती अंचल और मनेन्द्रगढ़ इलाके के लोगों को मिलेंगी। नये जिले के गठन से स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं और सुदृढ़ होंगी।