जगदलपुर
आबकारी वृत्त (जगदलपुर) में पदस्थ एक आबकारी सिपाही से विभाग से सम्बंधित नियमित समाचार की जानकारी मांगने पर उक्त आबकारी सिपाही को काफी नागवार गुजरा और उसने जानकारी चाहने वाले पत्रकार के खिलाफ जिला पुलिस अधीक्षक के नाम एक पत्र लिखकर उक्त पत्रकार पर कार्यवाई करने की मांग कर डाली. अमूमन, पत्रकार एवं विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी के बीच किसी गंभीर समाचार अथवा किसी अन्य मामले को लेकर नोकझोंक की खबरें सामने आती रहती है लेकिन, आबकारी विभाग में वर्षों से पदस्थ उक्त सिपाही को आखिरकार नियमित जानकारी देने में क्या परेशानी हुई कि उसने इस मामले का हौव्वा खड़ा करते हुए, कई स्थानीय पत्रकारों को पुलिस प्रशासन के सामने, अपने कई चाहिते मित्रों के माध्यम से कटघरे में खड़े करने का प्रयास किया है |
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गौरतलब है कि जगदलपुर शहर के ही मूल निवासी, उक्त आबकारी सिपाही, वर्षों से शराब की दुकान में सेल्समेन का कार्य करते हुए आबकारी सिपाही के पद पर पदस्थ हुए. इनके बारे में प्राप्त जानकारी के अनुसार, आबकारी विभाग जब शराब की दुकानों का सञ्चालन स्वयं कर रहा था, तब उक्त सेल्समेन/सिपाही द्वारा अपने विभिन्न कोचियों के माध्यम से जमकर उगाही की गयी थी. बताया जा रहा है कि इसी उगाही की रकम से उनके द्वारा नया बस स्टैंड रोड पर एक पक्का मकान, अपने परिवार के नाम पर भी ख़रीदा गया. कालांतर में पिछले सरकार के अंतिम कार्यकाल के दौरान आबकारी सिपाही द्वारा अपने चाहितों के माध्यम से प्रयास कर इस मकान को आबकारी दुकान के रूप में परिवर्तित कर दिया गया. निश्चित ही इसके माध्यम से आने वाले वार्षिक लाखों रुपयों की आय उक्त आबकारी सिपाही के संबंधितों को प्राप्त होता है |
सरकार बदलने के बाद भी उक्त आबकारी सिपाही ने अपने दिव्यांग होने का फायदा उठाकर अपने कुछ चाहिते अधिकारियों के माध्यम से आबकारी दुकान की दुकानदारी बरक़रार रखी. स्थानीय होने का फायदा उठाकर उन्होंने यहाँ के स्थानीय दोनों दल के नेताओं एवं शहर के कुछ प्रबुद्धजनों के साथ ऐन-केन-प्रकरेण अच्छे सम्बन्ध बनाकर, अपनी दुकानदारी विभाग में भी चलानी प्रारंभ कर दी.
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आबकारी विभाग से सम्बंधित शहर के सभी दुकानों में कार्यरत कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें विभाग के अधिकारियों से कभी किसी प्रकार से परेशानी नहीं हुई, किन्तु उक्त आबकारी सिपाही द्वारा उन्हें प्रतिदिन अनावश्यक रूप से परेशान किया जाता है. पिछले 10 वर्षों के दौरान पदस्थ आबकारी निरीक्षक के अलावा आबकारी अधिकारी से भी मिली जानकारी के अनुसार, उक्त सिपाही द्वारा विभाग के कई मामलों में अपने ओहदे से बाहर हटकर अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप किया जाता है, जिससे हमें कार्य करने में परेशानी होती थी. उक्त सिपाही से सम्बंधित कई मामले जब सामने आने लगे तब स्थानीय लोगों में उक्त सिपाही के प्रति रोष और बढ़ता गया. शहर में अवैध शराब की बिक्री को प्रोत्साहन देने, कोचियों से सांठ-गाँठ कर सभी शराब की दुकानदारों पर दबाव डालकर थोक मात्रा में शराब उपलब्ध कराना, इसकी नियमित दिनचर्या में शामिल हो गया.
कई बार, स्थानीय पत्रकारों ने भी इस मामले पर आबकारी विभाग के बड़े अधिकारियों से जानकारी चाही गयी किन्तु उनके द्वारा कोई न कोई बहाना बनाकर टाल दिया जाता रहा. लेकिन, इस शेखी बघारने वाले सिपाही से जब सीधे-सीधे पत्रकारों ने कुछ मामलों पर जानकारी प्राप्त करनी चाही तो उसके द्वारा जानकारी नहीं देने के साथ ही साथ दुर्व्यवहार किया गया.
चोरी ऊपर से सीनाजोरी की कहावत को चरितार्थ करते हुए उक्त आबकारी सिपाही द्वारा अब जानकारी मांगने वाले पत्रकारों के खिलाफ एक षड्यंत्र के तहत अपने कुछ साथियों के माध्यम से पुलिस का भय दिखाकर दबाव बनाया जा रहा है ताकि ऐसे सवाल-जवाब करने वाले पत्रकारों को अपने से दूर रखा जा सके. राज्य सरकार के निर्देश के अनुसार, अवैध रूप से शराब व्यवसाय करने वाले कोचियों पर कठोर कार्यवाई की जाए के निर्देश पुलिस एवं आबकारी विभाग को दिए गए हैं जहाँ पुलिस विभाग अपने उच्च-अधिकारियों के दिशा-निर्देश का पालन करते हुए ऐसे अवैध शराब की बिक्री करने वाले कोचियों के खिलाफ कार्यवाई कर रही है वहीँ, आबकारी विभाग का एक अमला ऐसे लोगों को प्रोत्साहन देने में जुटा है जिससे राज्य शासन की छवि जनता के सामने धूमिल होती हुई दिख रही है.