राजहरा खदान समूह में दुर्घटना घटित होना आम बात हो गई, खदान समूह प्रबंधन सजग होने के बजाय कर्मियों की जान से खिलवाड़ कर रहे

0
462

महारत्न कंपनी सेल के इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र के बंधक खदान राजहरा खदान समूह में आये दिन दुर्घटना घटना एक आम बात हो गयी है। कभी बिजली का काम करते हुए एक कर्मी की मौत हो जाती है, तो कभी गाड़ी पलटने से कर्मी की मौत हो जाती है। इसके बावजूद राजहरा खदान समूह प्रबंधन के शीर्षस्थ अधिकारी इन दुर्घटनाओं से सीख लेकर सुरक्षा के प्रति सजग होने के बजाय सरकार के बनाये नियम और कानून की खुली धज्जियां उड़ाते हुए कर्मियों के जान के साथ लगातार खिलवाड़ करते आ रहे हैं और इनके इस कार्य में सरकारी विभाग के अधिकारीयों का भी पूर्ण योगदान स्पष्ट रूप से नजर आता है। दिनांक 24.09.2021 को दल्ली यंत्रीकृत खदान में कैंटीन वैन के पलटने की घटना इसका ज्वलंत उदाहरण है।

इस सम्बन्ध में संयुक्त रूप से विस्तृत जानकारी देते हुए भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध खदान मजदूर संघ भिलाई के महामंत्री एम.पी.सिंह, एटक से सम्बद्ध एस.के.एम.एस के महामंत्री कवलजीत सिंह मान एवं इंटुक के संगठन सचिव अभय सिंह ने उक्त दुर्घटने के लिए पूर्ण रूप से राजहरा खदान समूह के महाप्रबंधक (रख रखाव और सेवा) गोपाल चंद्र वर्मा को जिम्मेदार बताया। संयुक्त रूप से इन श्रमिक नेताओं ने जानकारी देते हुए कहा कि उक्त कैंटीन वैन CG07ZH0274, 39 वर्ष 05 माह 29 दिन पुरानी है। उक्त गाड़ी की फिटनेस आरटीओ कार्यालय के दस्तावेज के मुताबिक 09.09.2016 को समाप्त हो चुकी है। इसके अलावा उक्त गाड़ी के रोड टैक्स की अवधि भी 30.03.2021 को समाप्त हो चुकी है। लेकिन गौर करने की बात ये है कि 2016 से अनफिट घोषित उक्त गाड़ी का इन्शुरन्स 30 मार्च 2022 तक वैध है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि पांच वर्ष पूर्व अनफिट घोषित गाड़ी का इन्शुरन्स कैसे किया गया। एक आम आदमी जब अपने गाड़ी का इन्शुरन्स कराने जाता है तो इन्शुरन्स कंपनी द्वारा गाड़ी का रजिस्ट्रेशन, फिटनेस एवं प्रदुषण सर्टिफिकेट की मांग करते हैं और उसके उपरांत ही गाड़ी का इन्शुरन्स किया जाता है। ऐसे में पांच वर्ष पूर्व अनफिट घोषित गाड़ी का इन्शुरन्स किस आधार पर किया गया यह एक गंभीर जांच का विषय है। साथ ही उन्होंने यह सवाल भी किया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि उक्त गाड़ी के पुराने इन्शुरन्स के कागजात के साथ छेड़ छाड़ करके गलत तरीके से सरकारी दस्तावेज में इन्शुरन्स के डेट को दर्शाया जा रहा है क्योंकि सरकारी नियमानुसार किसी अनफिट एवं रोड टैक्स की अवधि समाप्त गाड़ी का इंस्युरेन्स होना एक गंभीर अनियमितता को दर्शाता है जिसमे भ्रष्टाचार की स्पष्ट बू आती है।

श्रमिक नेताओं ने आगे कहा कि कर्मियों के माध्यम से उन्हें इस बात की भी जानकारी मिली है कि कुछ समय पूर्व आरटीओ के अधिकारीयों ने उक्त गाड़ी को चलने लायक नहीं बताया था जिसपर प्रबंधन के अधिकारीयों ने उक्त गाड़ी को तत्काल सेवा से अलग करने की बात कही थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इन नेताओं ने प्रश्न पूछते हुए प्रबंधन से इस बात का जवाब माँगा है कि अधिकारीयों के लिए जब गाड़ी किराये पर ली जाती है तो निविदा में यह शर्त डाली जाती है कि गाड़ी 03-05 वर्ष पुरानी ही होनी चाहिए। ठीक इसी तरह से जब किसी परिवहन कार्य की निविदा होती है तो प्रबंधन द्वारा निविदा में अधिक से अधिक 07 वर्ष पुरानी टिप्पर होने की शर्त डाली जाती है। ऐसे में कर्मियों के जान से खिलवाड़ करते हुए 40 वर्ष पुरानी अनफिट गाड़ी चलवाकर कर्मियों के जान के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार अधिकारीयों को किसने दिया है? इस सम्बन्ध में कुछ दिन पूर्व एक चर्चा के दौरान महाप्रबंधक रख-रखाव एवं सेवा गोपाल चंद्र वर्मा ने कहा था कि ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अधिकारीयों को गाड़ी में बैठने पर किसी तरह की कोई असुविधा न हो और सुरक्षित तरीके से वे आना जाना कर सकें। इसी तरह से टिप्पर के लिए भी शर्त डाली जाती है ताकि प्रस्तावित निविदा का विभागीय रेट बढ़ सके और सुरक्षा के दृष्टिकोण से परिवहन कार्य सुरक्षित ढंग से चले। ऐसे में लगभग 40 वर्ष पुरानी उक्त कैंटीन वैन जिसका की फिटनेस अवधि भी 05 वर्ष पूर्व समाप्त हो चुका है उसे महाप्रबंधक रख रखाव गोपाल चाँद वर्मा ने किस आधार पर चलने की स्वीकृति दी यह एक जांच का विषय है क्योंकि किसी भी अनफिट गाड़ी को किसी भी तरह के परिवहन कार्य में लगाना एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है जिसके वजह से कभी भी किसी भी तरह की दुर्घटना घटने एवं कर्मियों की मौत होने की पूर्ण सम्भावना बनी रहती है।

This image has an empty alt attribute; its file name is bhupes-1024x512.jpg

इसके अलावा इन श्रमिक नेताओं ने आरटीओ कार्यालय एवं आरटीओ अधिकारीयों के कार्यशैली पर भी ऊँगली उठाते हुए कहा कि इस तरह की अनियमितताएं के लिए आरटीओ कार्यालय में पदस्थ अधिकारी भी पूर्ण रूप से जिम्मेदार हैं। क्या आरटीओ कार्यालय के अधिकारीयों का कार्य केवल सड़क पर चलने वाले आम नागरिक के गाड़ी के कागजात चेक करना और उनको परेशान करने तक ही सीमित है? क्या आरटीओ कार्यालय का कार्य केवल गाड़ियों का रोड टैक्स, आम आदमियों के गाड़ियों के प्रदुषण सर्टिफिकेट, लाइसेंस और इन्शुरन्स की जांच करने तक ही सीमित है? इस पूरे प्रकरण में आरटीओ कार्यालय की कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह उठाते हुए उन्होंने पुछा कि जब आरटीओ कार्यालय में पूरे दस्तावेज उपलब्ध हैं तो ऐसे में इस तरह की अनफिट गाड़ियां खदान पर कैसे चलती हैं? क्यों कभी आरटीओ कार्यालय के अधिकारीगण बीएसपी के सभी गाड़ियों के कागजात चेक नहीं करते हैं? हाल ही में दुर्ग भिलाई में आरटीओ कार्यालय द्वारा प्लांट के अंदर घुस कर गाड़ियों के कागजात चेक किये गए जिसमे कई तरह की अनियमिततायें उजागर हुई। लेकिन राजहरा खदान में लगातार अनफिट गाड़ियों को अधिकारियों के दबाव में चलाने को मजबूर कर्मचारि दुर्घटना में अपनी जान गंवा रहे हैं।

This image has an empty alt attribute; its file name is image-21.png

जिसका ज्वलंत उदाहरण अभी कुछ माह पूर्व एक पुरानी गाड़ी की मरम्मत के बाद टेस्टींग के दौरान दुर्घटना होने से एक श्रमिक साथी को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। और वह गाड़ी भी रख रखाव और सेवा विभाग के महाप्रबंधक गोपाल चंद वर्मा की देखरेख में उनके विभाग के द्वारा चलवाई जा रही थी। जिसमें उनके लापरवाही के कारण एक श्रमिक को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।आरटीओ कार्यालय के अधिकारी अनफिट और 40 साल पुरानी गाड़ीयों को खदान में क्यों चलने दे रहे हैं और श्रमिकों को जान से खिलवाड़ करने में प्रबंधन के सहयोगी क्यों बन रहें हैं ? क्या राजहरा खदान के महाप्रबंधक रख रखाव द्वारा आरटीओ कार्यालय के अधिकारीयों को किसी तरह का कोई अनैतिक लाभ उपलब्ध कराया जाता है जिसके एवज में आरटीओ कार्यालय के अधिकारी अपना आँख बंद कर बीएसपी प्रबंधन को गलत कार्य करने की पूरी छूट देते हैं? अंत में उन्होंने कहा कि वर्तमान में ऐसे कई गाड़ियां हैं जो सर्वे ऑफ हो चुकी हैं, जिनका फिटनेस नहीं है फिर भी महाप्रबंधक रख रखाव द्वारा उन्हें विभिन्न परिवहन कार्य में उपयोग किया जा रहा है जिससे कर्मियों की जान हमेशा खतरे में पड़ी रहती है। अगर महाप्रबंधक रख रखाव द्वारा ऐसे सभी गाड़ियों को पंद्रह दिनों के अंदर उपयोग से बाहर नहीं किया गया और अगर आरटीओ कार्यालय के अधिकारीगण इस सम्बन्ध में समुचित कारवाई नहीं करते हैं तो तीनों श्रम संगठन संयुक्त रूप से महाप्रबंधक रख रखाव एवं आरटीओ कार्यालय के सम्बंधित अधिकारीयों के विरुद्ध वाद दायर करते हुए इस तरह के असुरक्षित वातावरण में डर-डर कर कार्य करने वाले कर्मियों को भयमुक्त वातावरण उपलब्ध कराने की दिशा में कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। जरूरत पड़ने पर इनके विरुद्ध जानबूझ कर कर्मियों के जान से खिलवाड़ करने के लिए आईपीसी की धारा( 304) के तहत एफआईआर दर्ज करने की भी मांग करेंगे।

This image has an empty alt attribute; its file name is image-1.png