बघेल के बोल ने पत्ते दिए खोल…छत्तीसगढ़ पंजाब नहीं बन सकता

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(अर्जुन झा)

रायपुर। छत्तीसगढ़ की सियासी आबोहवा रह रहकर सर्द गर्म हो रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यह कहकर सारे पत्ते खोल दिए कि छत्तीसगढ़ कभी पंजाब नहीं बन सकता। बघेल जी का आशय समझ में आ जाना चाहिए कि यहां पंजाब जैसा कुछ नहीं होने वाला। अभी हाल ही स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का बयान सामने आया था कि फैसला आलाकमान के पास सुरक्षित है। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का यह बयान खबरों की दुनिया में धूम मचा रहा है कि पंजाब और छत्तीसगढ़ में कोई समानता नहीं है। छत्तीसगढ़ कभी पंजाब नहीं बन सकता। मुख्यमंत्री बघेल ने जिस दमदारी के साथ यह बात कही है, उससे सियासी गलियारों में यही अर्थ निकाला जा सकता है कि छत्तीसगढ़ में पंजाब की तरह बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है। खबर है कि बेमेतरा और मुंगेली दौरे पर रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री बघेल ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कांग्रेस विधायकों के दिल्ली प्रवास से जुड़े सवाल का सधा हुआ जवाब देने के साथ ही यह भी कह दिया कि छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ रहेगा। पंजाब नहीं बन सकता है। दोनों में कोई भी समानता नहीं है। कांग्रेस के विधायकों के दिल्ली दौरे के मद्देनजर बघेल का कहना था कि जो विधायक दिल्ली गए हैं, वे जाने को स्वतंत्र हैं। घूमकर आ जाएंगे।

दरअसल कांग्रेस के विधायकों का दिल्ली दौरा सियासी गहमागहमी बढ़ा रहा है। विधायकों का दिल्ली भ्रमण खूब चर्चा में है। इस पर भरपूर सियासी शोध भी होते नजर आ रहे हैं, निष्कर्ष तलाशे जा रहे हैं, अटकलों का दौर जारी है। लेकिन जहां तक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आत्म विश्वास से भरे ताजा बयान की गहराई में झांका जाय तो साफ झलक रहा है कि न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी वाली कहावत चरितार्थ हो सकती है। राजनीति उम्मीद का सौदा है, यहां असम्भव कुछ भी नहीं। लेकिन आसान भी कुछ नहीं होता। सबकी अपनी अपनी उम्मीदें हैं, कोशिशें हैं। यहां बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना वाले अंदाज में चहक रही भाजपा को भी मुख्यमंत्री के खुल्लम खुल्ला बोल से अपनी सियासी ढोल की थाप दब जाने का अहसास हो सकता है। भाजपा सियासी उम्मीद पाले बैठी बताई जा रही है कि पंजाब में हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद छत्तीसगढ़ में भी बदलाव हो सकता है। किंतु यहां तो मुख्यमंत्री ने यह कहकर सारे उबाल को ठंडा कर दिया कि छत्तीसगढ़ कोई पंजाब नहीं है।