जगदलपुर। बस्तर विकासखण्ड के अंतर्गत के ग्राम देवड़ा (सोनारपाल) निवासी छेंडियाराम मौर्य ने अपने ही पुत्रवधु सुशीला मौर्य पति स्व. चैनुराम मौर्य पर अपने बेटे की अनुकम्पा नियुक्ति सर्विस को फर्जी तरीके से नियुक्ति करने का आरोप लगाकर अनुकम्पा नियुक्ति के संबंध में जिला कलेक्टर बस्तर व जिला शिक्षा बस्तर को लिखित पत्र शिकायत कर इस मामले में उचित जांच कर कार्रवाई करने की मांग किया गया है।
छेंडियाराम मौर्य ने कलेक्टर बस्तर को शिकायत पत्र में कहा है कि मेरे सुपुत्र स्व. चैनुराम मौर्य सहायक शिक्षक प्राथमिक शाला सिवनी में सेवारत रहते हुए दिनांक 20.02.2021 को मृत्यु हो गई थी। मेरे पुत्र की मृत्यु के उपरांत तीन माह बाद परिवार के बिना सहमति के मेरी पुत्रवधु सुशीला मौर्य की अनुकम्पा नियुक्ति फर्जी तरीके से किये जाने के संबंध में लेख किया गया था। सन्दर्भित पत्र सरल क्रमांक 02 के द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा कार्यालय में उपस्थित होकर यह अवगत कराने लेख किया गया कि किस आधार पर श्रीमती सुशीला मौर्य पति स्व. भूषण बघेल को दिये गये अनुकम्पा नियुक्ति को हमारे द्वारा फर्जी बताया गया है। (पत्र में दर्शित अनुसार मेरे पुत्र का नाम भूषण बघेल लेख किया गया है जो कि गलत है)। मैं जिला शिक्षा अधिकारी महोदया के समक्ष दिनांक 29.07.2021 को उपस्थित होकर निवेदन किया कि मेरे स्व. पुत्र की नियुक्ति वर्ष 2008-09 में हुई थी तथा मेरे पुत्र का विवाह वर्ष 2013-14 में हुआ था, नियुक्ति के समय मेरा पुत्र अविवाहित था तो फिर सेवा पुस्तिका में मेरी पुत्रवधु का नाम कब अंकित किया गया। साथ ही मेरे पुत्र के मृत्यु के उपरांत वारिसान प्रमाण पत्र पर पुत्रवधु का ही नाम कैसे लेख करते हुए अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की गई है, जबकि परिवार के किसी सदस्य के द्वारा मेरे पुत्रवधु के वारिसान हेतु सहमति प्रदान नहीं की गई है। तब जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ स्थापना-4 के बाबू द्वारा मुझे नासमझ आदमी कहकर यह कहा कि अनुकम्पा नियुक्ति के लिये माता पिता अथवा अन्य किसी की सहमति की आवश्यकता नहीं होती है नियम बदल चुका है और समहमति प्राप्त करने का नियम खत्म हो चुका है, आप लोग का इसमें कोई रोल नहीं है यह सब बातें सुनकर भी जिला शिक्षा अधिकारी महोदया मौन थी। मेरा पुत्र ही परिवार का एक मात्र कमाई करने वाला पुत्र था। लेकिन जैसी ही अनुकम्पा नियुक्ति होते ही मेरी पुत्र वधु सुशीला मौर्य हमारे घर एवं परिवार को छोड़कर अलग जगह रहकर निवास कर रही है जिससे हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। बेटा जब जीवित था तो वो हर आर्थिक जिम्मेदारी एवं परिवार को संभालता था।
अत: प्रार्थी ने जिलाधीश से निवेदन किया है कि अपनी पुत्रवधु की फर्जी तरीके से की गई अनुकम्पा नियुक्ति मामले पर उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच कर अपने पुत्र की मृत्यु उपरांत प्राप्त होने वाले शेष उपादान की राशि के आहरण पर रोक लगाने एवं हम माता पिता की दयनीय स्थिति को देखते हुए उपादान की राशि हम माता पिता को दिलवाने के लिये प्रार्थना करते हैं।
ससूर ने बताया कि मेरी पुत्र वधु (बहु) विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर अनुकम्पा नियुक्ति सर्विस फर्जी तरीके लगी है, जो कि गलत है।
जिला शिक्षा अधिकारी बस्तर ने क्या कुछ कहा आइये एक नजर देखते हैं।
भारती प्रधान की बताई गई जानकारी के अनुसार यह कहा कि चैनुराम मौर्य की जो प्रकरण है जो उसमे जो परिवार सूची मिली है उसमें चैनुराम मौर्य और उनकी पत्नी सुशीला मौर्य का नाम है।उसके अलावा राशनकार्ड में भी उन दोनों का ही नाम है,दोनों के अतिरिक्त किसी का नाम नही है,इसके अलावा खंड शिक्षा अधिकारी की छानबीन है उसमें भी तो इनी दोनों का नाम था,और जो ग्राम पंचायत का जो प्रस्ताव था उनी दोनों के नाम से प्रस्ताव पारित किया गया है।चैनुराम की कोई संतान नही थी केवल दोनों पति पत्नी का नाम अंकित था।चैनुराम की देहांत के पश्चात उनकी पत्नी का आवेदन पर विचार करके उनको उनकी अनुकम्पा नियुक्ति के लिये समिति द्वारा वांछित योगिताधारी पाया गया और उनको अनुकम्पा नियुक्ति दी गई ,चैनुराम के शिकायत द्वारा सुशीला मौर्य को बुलाया गया तो उन्होंने लिखित सहमति दी है कि वह अपनी परिवार का भरण पोषण करेगी अपने सास ससुर का और आर्थिक सहायता प्रदान करेगी ।परिवार सूची में माता पिता का नाम नही मिला संबंधित जो थे चैनुराम उन्होंने उनका नाम उसमे अंकित नही पाया गया ।सुशीला मौर्य को बुलाया गया तो लिखित आश्वासन दिया है जो भरण पोषण करेगी कहा।