केंद्र सरकार द्वारा भारतीय रेलवे की ट्रेनों एवं विभिन्न सेवाओं को निजी करण करने के खिलाफ 16 एवं 17 जुलाई को सीटू द्वारा पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किया गया।

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दल्ली राजहरा – केंद्र सरकार द्वारा भारतीय रेलवे की ट्रेनों एवं विभिन्न सेवाओं को निजी करण करने के खिलाफ 16 एवं 17 जुलाई को सीटू द्वारा पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किया गया। इसी कड़ी में दल्ली राजहरा में भी हिंदुस्तान स्टील एंप्लाइज यूनियन सीटू राजहरा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने दल्ली राजहरा रेलवे स्टेशन के सामने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सरकार के इस देश विरोधी फैसले का जबरदस्त विरोध किया । प्रदर्शन के दौरान उपस्थित लोगों ने केंद्र सरकार की इस देश विरोधी नीति के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और रेलवे निजीकरण के फैसले को वापस लेने की मांग की है।
इस दौरान यूनियन के अध्यक्ष प्रकाश क्षत्रिय ने कहा कि देश नहीं बिकने देंगे का नारा देने वाले प्रधानमंत्री आज हर हाल में देश के तमाम सरकारी संस्थानों एवं सार्वजनिक उपक्रमों को जल्द से जल्द बेच देना चाहते है । जबकि यह तमाम सरकारी संस्थान और सार्वजनिक उपक्रम देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने एवं देश के लोगों को सस्ती सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए बनाए गए थे। उन्होंने कहा कि रेलवे के निजीकरण का मामला केवल रेलवे के कर्मचारियों से जुड़ा हुआ नहीं है,बल्कि यह पूरे देश के लोगों का मामला है इसलिए हर हाल में इस फैसले को सरकार को वापस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले ही एक प्राइवेट ट्रेन तेजस को चालू करके उसका अनुभव प्राप्त किया है जो लोगों के लिए अच्छा नहीं रहा है । उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए यूनियन के सचिव पुरुषोत्तम सिमैया ने कहा कि केंद्र सरकार ने रेलवे की लगभग 109 जोड़ी ट्रेनों को प्राइवेट खिलाड़ियों के हाथों सौंपने के लिए फैसला किया है। इससे पहले रेलवे ने मैन्युफैक्चरिंग एवं मेंटेनेंस में 100% एफडीआई लागू कर दिया है। सरकार के इस फैसले से जहां एक ओर रेलवे में कर्मियों की छटनी एवं रोजगार की कमी होगी वही देश में ट्रेनों के किराये में बेतहाशा बढ़ोतरी होगी जिसका बोझ जनता के ऊपर आएगा। सरकार ने बेहद बेरहमी के साथ यह फैसला लिया है। इसलिए देश की पूरी जनता इस फैसले का विरोध कर रही है । यूनियन के उपाध्यक्ष विनोद मिश्रा ने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार इसी तरह कोल इंडिया के निजीकरण पर आमादा है जिसके खिलाफ कोयला मजदूरों ने 3 दिन तक लगातार सरकार के फैसले के खिलाफ हड़ताल की है यह हड़ताल कोयला मजदूरों ने अपने वेतन भत्ते के लिए नहीं बल्कि देश की आत्मनिर्भरता को बढ़ाने वाले खनिज संसाधनों को बचाने के लिए किया है । इसी तरह रेलवे भी हमारे देश में आवागमन के लिए रीड की हड्डी है जिसे हम किसी भी हालत में बेचने नहीं देंगे । उन्होंने कहा इस मुद्दे पर संघर्षरत रेलवे कर्मचारियों के साथ सीटू कंधे से कंधा मिलाकर उनके हर संघर्ष का समर्थन करेगी । आगे इस संबंध में जो भी बड़ी रणनीति आएगी उस पर चलते हुए रेलवे के निजीकरण के खिलाफ तमाम आंदोलनों में हम पूरी ताकत से शामिल होंगे । उन्होंने आम जनता से भी आह्वान किया यह देश की आत्मनिर्भरता से जुड़ा हुआ मुद्दा है , इसलिए पूरी जनता को सरकार के फैसले के खिलाफ खड़ा होना चाहिए ।