(अर्जुन झा)
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में शराबबंदी का वायदा भी करके सत्ता में आई कांग्रेस की सरकार व्यावहारिक कठिनाइयों की वजह से अब तक इसे लागू नहीं कर सकी है। इस बीच भाजपा इस मुद्दे पर लगातार निशाना साध रही है तो जनता भी जानना चाहती है कि शराब से छुटकारा कब मिलेगा? इधर बस्तर का प्रतिनिधित्व कर रहे छत्तीसगढ़ कांग्रेस के मुखिया मोहन मरकाम भी राजधानी में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में बता चुके हैं कि आदिवासी संस्कृति में शराब का क्या महत्व है। जगदलपुर के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा के पास आबकारी विभाग भी है और जब तक शराबबंदी लागू न हो जाए, तब तक राज्य में सलीके से मदिरा विक्रय उनका दायित्व है और वे इसे निभा रहे हैं। दीगर राज्यों में अवैध जहरीली शराब पीने से मौत की खबर मिलती रहती हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा कुछ नहीं है। दूसरे राज्यों से आने वाली अवैध शराब बरामद करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी जाती। अब बात करें राज्य की महिला बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिया की, तो उनकी नसीहत सोशल मीडिया पर धूम मचा रही है। वायरल वीडियो में यह बताया जा रहा है कि राज्य की इकलौती महिला मंत्री अनिला भेंडिया कथित तौर पर पीने वालों को यह नसीहत दे रही हैं कि कम पिया करो और सो जाया करो। इस वायरल वीडियो के हवाले से यह बताया जा रहा है कि शराब के मुद्दे पर घिरने पर मंत्री ने पुरुषों को समझाया कि पियो और सो जाओ। कहा जा रहा है कि मंत्री का यह मंत्र सुनकर ठहाके गूंज उठे। देखा जाए तो मंत्री भेंडिया ने अगर यह कथित समझाइश दी है तो ठीक ही है। बहुत साल पहले एक ग़ज़ल बहुत चर्चित हुई थी कि महंगी हुई शराब , थोड़ी थोड़ी पिया करो, पियो लेकिन रखो हिसाब, थोड़ी थोड़ी पिया करो… उसी दौर में यह भी खूब चर्चित हुआ कि शराब चीज ही ऐसी है, न छोड़ी जाय, ये मेरे यार के जैसी है, न छोड़ी जाय..! बात अब भी वही है।
अगर मंत्री अनिला यह समझातीं कि लोग पीना छोड़ दें तो कोई उनकी बात मानता क्या? जो पीने वाले अपने परिवार की नहीं मान रहे, वे इनकी कैसे मान लेंगे। ऊपर से यह अपेक्षा और खड़ी हो जाती कि सरकार दारू बेचना बंद कर दें। अब एकदम से तो यह मुमकिन नहीं। तनिक सोचें कि अगर शराब बंदी हो जाती तो कोरोना काल में क्या दूध पर सेस लगाते? समझना चाहिए कि शराब से मिलने वाला राजस्व कितने काम आता है। फिर एक झटके में शराब बंदी व्यावहारिक होती तो भाजपा कमेटी कमेटी क्यों खेल रही थी? सरकारी शराब दुकान संचालन तो भाजपा सरकार की ही देन है तो कांग्रेस को क्या दोष दिया जाय और क्यों दिया जाय? वैसे भी वह वादे से मुकर कहां रही है। कहती तो है कि पांच साल का समय मिला है, वादे पूरे कर देंगे। फिर अगर शराबबंदी जैसा कोई वादा पूरा नहीं भी हुआ तो भाजपा ने कौन से अपने तमाम वादे निभाए थे? राजनीति में भविष्य के लिए कुछ वादे अधूरे रखना भी एक नीति ही है।