छत्तीसगढ़ में झूठ की खेती करने वाली सरकार को जनता निलंबित करेगी : विक्रम ध्रुवे..

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अनु. जनजाति मोर्चा जिलाध्यक्ष व सांसद प्रतिनिधि विक्रम ध्रुवे ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार जनहित और जन-समस्याओं से जुड़े मुद्दों पर विधानसभा में चर्चा करने से भाग रही है और इसलिए पहले उसने भाजपा के 11 विधायकों को निलंबित करवाया और फिर समय से पहले ही सत्रावसान करा दिया।

ध्रुवे ने कहा कि सत्ता और संख्याबल के ज़ोर पर भाजपा विधायकों को बदनीयती से निलंबित कराने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यह बात अच्छी तरह गाँठ बांध लें कि अगले विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता उन्हें अपने मतों से निलंबित ही नहीं, पूरी तरह बर्ख़ास्त करने के लिए तैयार बैठी है और जनता नगरीय निकाय के हो रहे चुनाव में प्रदेश कांग्रेस और उसकी सरकार को इसका ट्रेलर दिखाने जा रही है।
ध्रुवे ने कहा कि झूठ की खेती करने और चिठ्ठियाँ लिखकर अपने नाकारापन का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ने में मशगूल मुख्यमंत्री बघेल और उनकी सरकार के लोग ज़िम्मेदारियों से मुँह चुराने का शर्मनाक उपक्रम कर रहे हैं। ध्रुवे ने कहा कि केंद्र सरकार की योजनाओं के सीधे लाभ से छत्तीसगढ़ के लोगों को वंचित रखने के लिए राज्यांश नहीं देने वाली प्रदेश सरकार षड्यंत्रपूर्ण इरादों के साथ काम कर रही है।

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ध्रुवे ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल भ्रष्टाचार के मामलों की जाँच में भाजपा द्वारा अड़ंगा लगाने का एक नया झूठ गढ़कर प्रदेश को फिर ग़ुमराह कर रहे हैं। मुख्यमंत्री बघेल भाजपा शासनकाल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नाते जिन अधिकारियों आलोक शुक्ला व अनिल टुटेजा के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए चिठ्ठियाँ लिखते थे, आज अपनी सरकार के रहते उन्हीं अधिकारियों को उपकृत कर रहे हैं, जबकि उनके ऊपर गंभीर आरोप हैं। यह मुख्यमंत्री बघेल की कथनी और करनी का फ़र्क़ है।

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ध्रुवे ने कहा कि झीरम घाटी कांड रोना रो रहे मुख्यमंत्री बघेल पहले इस बात का ज़वाब दें कि अपनी जेब में रखे झीरम मामले के सबूत पूरी जाँच प्रक्रिया में मुख्यमंत्री बघेल ने बाहर क्यों नहीं निकाले? साक्ष्य छिपाना भी एक गंभीर अपराध है, क्या बघेल इससे अनभिज्ञ हैं? केंद्र की जिस यूपीए सरकार ने इस मामले की जाँच का ज़िम्मा एनआईए को सौंपा था और जाँच आयोग गठित किया था, उस एनआईए और आयोग के जाँच प्रतिवेदन पर केवल अपनी ओछी राजनीति के लिए शक करने का मुख्यमंत्री बघेल के पास क्या आधार था? आख़िर मुख्यमंत्री बघेल झीरम मामले की जाँच में अड़ंगेबाजी करके किसे बचाने की नापाक़ कोशिश कर रहे है?

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