कोन्टा नगर पंचायत चुनाव में कांग्रेस द्वारा सत्ता का खुलकर दुरुपयोग किया गया। मंत्री कवासी लखमा व उनके पुत्र हरीश कवासी द्वारा प्रशासनिकअधिकारियों व कर्मचारियों को डरा धमका कर मतदान प्रभावित करने का प्रयासकिया गया। कोन्टा नपं चुनाव में कुछ अधिकारी कर्मचारी द्वारा कांग्रेस कार्यकर्ता की तर्ज पर कार्य किया गया ये लोकतंत्र के लिए घातक है।
कोन्टा में पदस्थ बीआरसी महेन्द्र बहादुर सिंह द्वारा अपने ही निवास कोअस्थाई कांग्रेस कार्यालय बना कर मंत्री व जिपं अध्यक्ष को बैठा कर खुलेआम लाखों रूपये का बंटवारा किया गया। बीआरसी महेन्द्र बहादुर सिंह का कृत्य लोकतंत्र को शर्मसार कर देने जैसा था, एक ब्लाक स्तर का अधिकारी द्वारा अपने निवास में अधिकारी व कर्मचारी को बुला कर डराना, धमकाना,स्थांतरण की धमकी देने का पर्याप्त सबुत है। इसी तरह सुकमा जिले के पिछले 20 वर्षो से शैक्षणिक कार्य छोड कलेक्टर के बगल में बैठ कर जिले को चलाने वाले डीएमसी श्याम सुंदर सिंह चौहान की नंप चुनाव मे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में कार्य किया गया। उनके स्वयं व अपने छोटो भाई राजेश चौहान के माध्यम से बीआरसी के आवास जो कि डीएमसी का ससुराल है जहां बैठकर संपूर्ण चुनाव को मैनेज किया गया। इसी तरह कोन्टा के बीईओ एस.के.दीप द्वारा बाईबिल लेकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने के लिए इस समुदाय से जुड़े लोगों को कसमें तक खिलाई गई। इसका भी प्रमाण हमारे पास है। इसी तरह कोन्टा के ही बंडा ग्राम पंचायत के सचिव कृष्ण प्रकाश सिंह बैस द्वारा खुलेआम कांग्रेस के पक्ष मे प्रचार किया गया और पैसा वितरण किया गया। उक्त सचिव भी कोन्टा बीआरसी का छोटा भाई है।
कोन्टा के ही वार्ड क्रं. 7 के महिला प्रत्याशी के पति साई श्रीनु द्वारा नामांकन दिवस से लेकर मतदान दिवस तक खुलेआम कांग्रेस के पक्ष में प्रचार प्रसार किया गया। इनके द्वारा सोशल मीडिया मे भी भाजपा को बदनाम करने के उद्देश्य से गलत खबरों को वायरल किया गया जिसकी लिखित शिकायत भी की गई लेकिन कार्यवाही शुन्य रही। कोन्टा नपं के रिटर्निंग अधिकारी श्री नेताम द्वारा एकतरफा कांग्रेस के पक्ष मे कार्य किया गया। भाजपा द्वारा किए जा रहे शिकायतों को बिल्कुल भी नही सुना गया। इसी तरह कोन्टा के शिक्षक जागीर हुसैन सीआरसी व शिक्षाकर्मी नरेश चौहान द्वारा भी कांग्रेस के पक्ष मे कार्य किया गया। कोन्टा के शिक्षक नीली यशु राजा द्वारा तो भाजपा प्रत्याशी बाबुराव को 50 हजार रूपये नगद देकर चुनाव से पृथक होने के लिए कहा गया।
सरकारी तंत्र का इतना बेजा इस्तेमाल लोकतंत्र में देखने को और कही नहीं मिलेगा ! वस्तुतः मंत्री और उसके जिला पंचायत अध्यक्ष पुत्र ने अपनी हार को पहले ही भाँप लिया और उनसे जो कुछ हो सका ,वोटरों को ख़रीद फ़रोख़्त, सरकारी तंत्र का अपने दवाब में पूरी तरह उपयोग किया ,धनबल, बाहुबल, सत्ताबल ,पैसे और शराब की भरपूर डोज कोंटा में इस्तेमाल किया किया !