जगदलपुर। 15 वर्षों की वनवास से कांग्रेस पार्टी बमुश्किल जगदलपुर विधानसभा में कब्जा कर पाया किंतु 3 वर्ष में ही कांग्रेस को बदनाम करने के लिए सोची समझी रणनीति के तहत कार्य किया जा रहा है जिसमें अधिकारी वर्ग भी शामिल है जोकि विपक्ष को बैठे-बिठाए मुद्दा दे रहे हैं तो अपने ही कर्मचारियों को नाराज करने से भी नहीं चूक रहे हैं। इन सबके बीच सत्तारूढ़ दल के नेतागण मुगालते में है कि 15 वर्षों तक राज्य में सरकार रहेगी किंतु क्या जगदलपुर सीट फिर से बच पाएगी उसको लेकर तरह-तरह की बातें भी कहीं जा रही है।
स्वास्थ्य, निगम और निर्माण बदलती है तस्वीर
किसी भी सरकार की छवि सर्वप्रथम उस क्षेत्र की नगरीय संस्थान बदलती है किंतु नगरीय निकाय भगवान भरोसे है जनता भटकने को मजबूर हैं। वही निगम के बाद स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी रहती है किंतु जिस प्रकार का आलम महारानी अस्पताल में है उसको देखकर ऐसा कहा जा सकता है कि जानबूझकर ऐसा कृत्य किया जा रहा है जिससे कांग्रेस की सरकार बदनाम हो। रही सही कसर निर्माण से जुड़े एजेंसियों द्वारा की जा रही है जिससे लोगों में आक्रोशित होना स्वाभाविक है।
कुल मिलाकर कांग्रेस के लिए अभी डैमेज कंट्रोल करना जरूरी है अन्यथा वह दिन दूर नहीं की फिर जगदलपुर सीट हाथ से फिसल जाए।
स्वास्थ सुविधा वेंटीलेटर पर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने प्रथम प्रवास में जनवरी 2021 में जिस महारानी अस्पताल को पुनर्जीवित करने का संकल्प उठाया। उस महारानी अस्पताल को फिर से अघोषित रूप से बंद करने की तैयारी हो रही है। सीटी स्कैन जैसी सुविधा नहीं मिल रही है तो चिकित्सक भी सहीं समय पर अपनी सेवाएं नहीं दे रहे हैं जिसके कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सबसे वाकिफ होने के बावजूद सत्तारूढ़ दल के लोग किसी भी प्रकार की दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
2 कोस चले अढ़ाई कोस
नगर निगम में निर्माण कार्य 2 कोस चले अढ़ाई कोस वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। निर्माण के नाम पर बेतरतीब तरीके से काम करने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जिसके कारण जन आक्रोश पनप रहा है। प्रवीर वार्ड से लेकर संजय गांधी वार्ड तक जो निर्माण कार्य चल रहा है वह प्रशासनिक नुमाइंदों के कारण बेतरतीब हो रहा है जिसकी वजह से लगातार विरोध के स्वर उमड़ रहे हैं। संजय गांधी वार्ड में चक्का जाम तक की स्थिति होना अपने आप में प्रशासनिक कमजोरी को दर्शाता है तो वही नेताओं की दिलचस्पी को बयान करती है।
स्वयंसेवी संस्था भी बन रही जिम्मेदार
जिला के प्रशासनिक अधिकारी द्वारा एक स्वयंसेवी संस्था बनाया गया है जोकि विभागों के काम में हस्तक्षेप कर रहा है जिससे विभागीय कर्मचारियों में धीरे धीरे इस स्वयंसेवी संस्थान के खिलाफ नाराजगी तो है ही वही स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ सरकार के खिलाफ भी नाराजगी झलक रही है।