आबकारी विभाग में आखिर क्या है 60-20-20 का खेल, क्यूँ नहीं मिली स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता?

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पूर्व-सेल्समैन ने खोली जुबान, किये कई बड़े खुलासे, लगाये गंभीर आरोप…
दुकानों में कार्यरत कर्मचारियों से शैक्षणिक दस्तावेज़ मंगाने का सिलसिला हुआ शुरू
भाजपा करेगी निष्पक्ष जांच की मांग, जरुरत पड़ी तो होगा आन्दोलन

जगदलपुर

बस्तर जिले के शासकीय शराब दुकानों में जनता को लूट कर बंदरबांट किये जाने का खेल शायद कभी खत्म ही न हो, ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें कहीं न कहीं बड़े अधिकारियों के संलिप्तता की बू आ रही है. विगत कई वर्षों से विभागीय अधिकारियों की जानकारी में होने के बावजूद भी केवल इक्का-दुक्का ही छुटपुट कार्यवाई की गयी है जिसमें भी दुकानों में कार्यरत कर्मचारी किसी न किसी तरह अपना पेंच बैठाते हुए वापस काम कर रहे हैं और धड़ल्ले से शासकीय स्थल पर जनता को लूटने का कारोबार जारी है.

विभाग नहीं कस रहा नकेल, शय देने में मशगूल

राज्य शासन ने इन दुकानों को कुछ वर्ष पूर्व शासन के अधीन इस मंशा से किया था की राज्य में राजस्व की बढ़ोतरी होगी, क्यूंकि राज्य आबकारी विभाग निश्चित तौर पर राज्य की राजस्व व्यवस्था को बढाने में अहम् भूमिका अदा करता है. लेकिन जब इस विभाग के अधीन आने वाले शराब दुकानों के कर्मचारी ही राज्य को महीने में करोड़ों का राजस्व का नुकसान कर रहे हैं तो ऐसी परिस्थितियों में आबकारी विभाग के आला-अधिकारियों को नकेल कसने की आवश्यकता है. लेकिन, निरंतर हो रही शिकायतों से तो यही प्रतीत हो रहा है कि ये अधिकारी, कर्मचारियों पर नकेल कसने के बजाय उन्हें शय देने में ज्यादा मशगूल हैं.

अधिकारियों के कहेनुसार होती है आरएसपी से अधिक दर में बिक्री

शहर के ही एक दूकान में कार्य करने वाले पूर्व-सेल्समैन ने इस सम्बन्ध में कई बड़े खुलासे किये हैं. इस कर्मचारी का कहना है कि यहाँ की दुकानों में स्थानीय लोगों को कुछ वर्ष पूर्व जबरन कई आरोप लगाते हुए नौकरी से निकाल दिया गया था, जिसके बाद वे काफी परेशान हो चुके थे. बाद में इन्हें पता चला की बगैर शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच किये अन्य राज्यों से आये युवकों को नौकरी पर रख लिया गया. ऐसा इसलिए की स्थानीय लोग इन दुकानों में होने वाले बंदरबांट को अन्य लोगों को साझा कर देंगे. इस सेल्समैन ने बताया कि शराब की दुकानों में सबसे बड़ा जिम्मेदार दुकान का मैनेजर होता है, जिसके मार्फ़त ही अधिकारियों के कहे अनुसार सभी बोतलों की ऊपरी दर तय होती है. उदहारण के लिए केवल नया बस स्टैंड दुकान के मैनेजर की ऊपरी कमाई देखी जाए तो महीने के एक-डेढ़ लाख रुपये की है.

अनर्गल आरोप लगाते हटाये गए कई स्थानीय कर्मचारी, अब अन्य राज्यों को महत्त्व

पूर्व-सेल्समैन ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ऐसे कई कर्मचारी हैं जिनके द्वारा इसका विरोध करने पर उन्हें अनर्गल आरोप लगाते हुए हटा दिया गया है. नया बस स्टैंड की दुकान में कार्यरत मैनेजर के विषय में इस सेल्समैन ने बताया कि उसके ऊपर कई गंभीर आरोप लग चुके हैं और कई तो सिद्ध भी हो गए हैं, बावजूद इसके इस मैनेजर को हटाने के बजाय केवल शहर की अन्य दुकानों में स्थानांतरण कर दिया जाता रहा. जबकि, इसके विपरीत ईमानदारी से कार्य करने वाले अन्य युवकों को गाली-गलौज और फटकार कर नौकरी से ही निकाल दिया गया.

क्या है 60-20-20 का खेल, वीआईपी आयोजनों का राज…

सेल्समैन के मुताबिक, विभाग के ही अधिकारियों के निर्देश पर आरएसपी से ऊपर शराब को बेचा जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है कि विभाग को कई जगह, अन्य विभाग के अधिकारियों को अथवा मंत्री के कार्यक्रमों में या फिर अन्य वीआईपी आयोजनों में शराब की सप्लाई करनी होती है. सेल्समैन ने कहा कि ऊपरी कमाई में सभी लोगों का प्रतिशत बंधा हुआ है, 60 प्रतिशत विभाग के हिस्से जाता है, बचे 40 में 20 प्रतिशत मैनेजर की जेब में और बाकी का 20 प्रतिशत सेल्समैन और अन्य कर्मचारियों में चला जाता है. हालाँकि, इस बात की पुष्टि करने के लिए उच्च स्तरीय जांच की जरुरत है.

दस्तावेजों का मंगाना केवल औपचारिकता, उच्च स्तरीय जांच जरुरी

मीडिया में निरंतर प्रकाशित ख़बरों के के बाद विभाग ने दुकानों में कार्यरत कर्मचारियों को शनिवार को मौखिक निर्देश दिया है कि सभी कर्मचारी अपने शैक्षणिक और अन्य जरुरी दस्तावेज़ विभाग में जमा कर देवें और इनकी जांच उपरांत फर्जी दस्तावेजों से नौकरी करने वालों पर ठोस कार्यवाई की जाएगी. इस तथ्य पर पूर्व-सेल्समैन ने बताया कि यह केवल औपचारिक जांच ही साबित होने वाला है. शहर की दुकानों में कार्यरत कई कर्मचारी तो ठेके पद्दति के समय के हैं और समयांतराल में दंतेवाडा और बीजापुर जिलों से राजस्व विभाग से सेटिंग कर अपना निवास और अन्य दस्तावेज़ बना लिए हैं. अगर इनकी जांच करनी है तो सम्बंधित जिलों से ही पुख्ता जानकारी प्राप्त हो सकेगी.

भाजपा के संजय पांडे ने इस विषय को गंभीर बताते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार राज्य में शराब बंदी तो नहीं कर पायी वरन इसके उलट जनता को लुटने का काम कर रही है. स्थानीय लोगों को नौकरी देने के बजाय अन्य राज्यों के लोगों को बुलाकर प्राथमिकता दी जा रही है. फर्जी दस्तावेजों के साथ ये नौकरी कर रहे हैं और बस्तर की जनता को खुलेआम लूटा जा रहा है. भाजपा यह कभी बर्दाश्त नहीं करेगी और आबकारी मंत्री, कलेक्टर सहित सम्बंधित विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपेगी. जरुरत पड़ी तो भाजपा आन्दोलन के रूप में इस जनहित के मुद्दे को उठाएगी.