खैरागढ़। प्रयत्न की ऊँचाई जहाँ बड़ी हो जाती है, वहां लक्ष्य छोटा हो ही जाता है। भारतीय स्त्री ने अपनी योग्यता और क्षमता से इस वाक्य को सही साबित किया है।
![This image has an empty alt attribute; its file name is kgn.jpg](https://i0.wp.com/citymediacg.com/wp-content/uploads/2022/03/kgn.jpg?resize=696%2C140&ssl=1)
उक्त बातें इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति, प्रख्यात लोकगायिका और पद्मश्री से सम्मानित ममता मोक्षदा चंद्राकर ने कही। वे अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर केन्द्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित एक परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में संबोधित कर रहीं थीं। बेहतर कल के लिए लैंगिक समानता विषय पर आयोजित उक्त संगोष्ठी में पद्मश्री ममता चंद्राकर ने कहा कि एक महिला के संघर्ष में बहुत कुछ दांव पर लग जाता है। उन्होंने कला और संगीत को लेकर स्वयं के संघर्ष की प्रेरणास्पद कहानी सारगर्भित ढंग से बताते हुए कहा कि ऐसे प्रयासों को जब समाज सम्मान की दृष्टि से देखता है, तो आत्मिक खुशी मिलती है।
![This image has an empty alt attribute; its file name is Bestonline_Logo-copy.png](https://i0.wp.com/citymediacg.com/wp-content/uploads/2021/12/Bestonline_Logo-copy.png?w=696&ssl=1)
घर बैठे Amazon के साथ ऑनलाइन शॉपिंग करें, स्पेशल ऑफर के साथ लिंक क्लिक करें
https://36bestonlinesale.com/home
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने अपने संक्षिप्त किंतु आकर्षक संबोधन में आश्वस्त किया कि बिलासपुर केन्द्रीय विश्वविद्यालय अपने कैम्पस में महिलाओं को श्रेष्ठतम सुविधाएँ उपलब्ध कराने वाला संस्थान साबित होगा। विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद सौराष्ट्र विश्वविद्यालय राजकोट की पूर्व कुलपति निलांबरी दवे ने भी महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षाणिक और पारिवारिक दशा के संदर्भ में अपनी बातें रखी।
![](https://i0.wp.com/citymediacg.com/wp-content/uploads/2022/03/sangeet2.jpg?resize=696%2C439&ssl=1)
की-नोट स्वीकर के रूप में नीपा, दिल्ली से पहुँचीं प्रो. आरती श्रीवास्तव ने विभिन्न शोध और रिपोर्ट्स का जिक्र करते हुए महिलाओं के संदर्भ में लैंगिक समानता पर अपने विचार व्यक्त किए। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित सुविख्यात उद्यमी मीनाक्षी टूटेजा ने स्वयं का उदाहरण देते हुए बताया कि पारिवारिक पाबंदियों से घिरी महिलाएँ भी अपने कौशल और निपुणता के बल पर समाज में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त कर सकती हैं। उन्होंने ‘‘स्किल डेवलपमेंट’’ और ‘‘शिक्षा’’ को महिलाओं की आत्मनिर्भरता के लिए बड़ा हथियार बताया। कार्यक्रम की मुख्य संयोजिका व केन्द्रीय विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रो.अनुपमा सक्सेना ने अपने आकर्षक स्वागत-संबोधन से कार्यक्रम की बेहतरीन शुरुआत की। कार्यक्रम में खैरागढ़ विश्वविद्यालय के कुलसचिव व अंग्रेजी साहित्य के विद्वान प्रो. डाॅ. आई.डी. तिवारी, केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो.शैत्लेंद्र कुमार, छत्तीसगढ़ी कला-संस्कृति पर केन्द्रित सांस्कृतिक लोकमंच ‘चिन्हारी’ के निर्देशक प्रेम चंद्राकर, खैरागढ़ विश्वविद्यालय के थिएटर और लोक संगीत विभाग के हेड प्रो.योगेन्द्र चैबे, फाँर्मेसी विज्ञान की हेड डाॅ. भारती अहिवार, प्रो. डी. एन. सिंह, डाॅ.एम.एन. त्रिपाठी, डाॅ. सान्तवना पाण्डे, शासकीय इंजीनियरिंग काॅलेज से प्रो. अनिता खन्ना, डाॅ. सीमा राय, डाॅ. श्वेता सिंह, डाॅ. सीमा पाण्डे, डाॅ. भावना शुक्ला, डाॅ. सोनिया स्थापक, एस. लोन्हारे, डाॅ. मुकेश अग्रवाल, डाॅ. मनीष श्रीवास्तव समेत अनेक गणमान्य, प्राध्यापक, डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, शिक्षिकाएँ, छात्र-छात्राएँ व कर्मचारी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
![This image has an empty alt attribute; its file name is diyabati.jpg](https://i0.wp.com/citymediacg.com/wp-content/uploads/2022/03/diyabati.jpg?w=696&ssl=1)