सतरेंगा, गंगरेल और चित्रकूट में खुलेंगे बजट होटल
मुख्यमंत्री ने पर्यटन और संस्कृति विभाग के कार्यो की प्रगति की समीक्षा की
ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहरों, पर्यटन स्थलों में पर्यटकों के लिए विकसित की जाएं सुविधाएं
रायपुर/मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश की कला और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की तर्ज पर बस्तर, सरगुजा और रायपुर में लोककला एवं संस्कृति महाविद्यालय प्रारंभ करने का प्रस्ताव तैयार करने संस्कृति विभाग को निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन महाविद्यालयों के प्रारंभ होने से बस्तर और सरगुजा अंचल की लोककला और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक का एक सेंटर छत्तीसगढ़ में शुरू करने का प्रस्ताव केन्द्र को भेजने के निर्देश भी दिए। मुख्यमंत्री आज यहां अपने निवास कार्यालय में समीक्षा बैठकों के क्रम में पर्यटन एवं संस्कृति विभागों के काम-काज की समीक्षा कर रहे थे।
बैठक में गृह एवं पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू, संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष चित्ररेखा साहू, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के सचिव अन्बलगन पी., मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, संचालक संस्कृति विवेक आचार्य, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के प्रबंध संचालक अनिल साहू, मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव सौम्या चौरसिया सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा, लोककला दलों के माध्यम से आदिवासी अंचलों में स्वास्थ्य, शिक्षा और जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए जनजागरूकता अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा कि कला जत्थों के जरिए स्थानीय बोली-भाषाओं में कार्यक्रम तैयार कराए जाएं, जिससे उनका अच्छा प्रभाव हो। उन्होंने कहा कि इससे विशेष पिछड़ी जनजातियों-सरगुजा के पण्डो, कवर्धा के बैगा और गरियाबंद, सिहावा-नगरी और मगरलोड क्षेत्र की कमार जनजाति के लोगों में शासकीय योजनाओं, स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रति जागरूकता का संचार होगा। उन्होंने कहा कि रामायण मंडली प्रोत्साहन योजना के तहत मानस प्रतियोगिता अगले वर्ष जनवरी में आयोजित की जाए।
दामाखेड़ा में भी विश्वस्तरीय सुविधाएं विकसित किया जाए
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में जहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं, वहां पर्यटकों के रूकने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी से होटलों की सुविधा सहित शौचालय, पेयजल, आवागमन जैसी बुनियादी सुविधाओं को विकसित करने की जरूरत पर बल दिया। शिवरीनारायण, चंदखुरी, राजिम, सतरेंगा, चित्रकोट, चम्पारण, गंगरेल जैसे पर्यटन स्थलों में ये सुविधाएं विकसित की जाएं। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहरों पर्यटन स्थलों में पर्यटन के दृष्टिकोण से सुविधाएं विकसित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सिमगा तहसील के समीप स्थित ऐतिहासिक कबीरभूमि दामाखेड़ा में भी विश्वस्तरीय सुविधाएं विकसित किया जाए। अधिकारियों ने बताया कि दामाखेड़ा (कबीर तालाब) को विकसित करने के लिए 22.43 करोड़ रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने पर्यटन विभाग के पुराने मोटल्स के निजी क्षेत्र की भागीदारी से सुचारू संचालन की कार्ययोजना की प्रगति की जानकारी ली। राम वन गमन पर्यटन परिपथ के तहत विकसित किए जा रहे पर्यटन स्थलों की प्रगति की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे कार्य पूर्ण होते जाते हैं, उनका लोकार्पण किया जाए, जिससे लोगों को जल्द सुविधाओं का लाभ मिल सके। उन्होंने अमरकंटक मार्ग के सुदृढ़ीकरण के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बांधों और जलाशयों के समीप उपलब्ध शासकीय भूमि में निजी क्षेत्र की भागीदारी से वोटिंग, वाटर स्पोटर्स, पर्यटकों के ठहरने के लिए सुविधाएं विकसित की जाएं।