(अर्जुन झा)
जगदलपुर। बस्तर कलेक्टर रजत बंसल की बस्तर से विदाई पर उनके प्रति सम्मान का भाव बस्तर की परंपरा के अनुरूप व्यक्त किया जा रहा है। वे इसके हकदार हैं क्योंकि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपने दायित्ब निर्वाह के सबसे अहम पहलू जन संवाद को भरपूर अहमियत देते हुए शासन के प्रति जनता का विश्वास बढ़ाने में बेहद रुचि दिखाई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के मुताबिक पारदर्शी, सक्रिय, जनोन्मुखी प्रशासन देने के लिए जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में केम्प करके रात गुजारी। जनता से निरंतर रूबरू हुए और जनता की समस्याओं का समाधान करने के साथ साथ जन भावनाओं के अनुरूप विकास की अवधारणा को आगे बढ़ाया। भूपेश बघेल सरकार का यही तो ध्येय है कि जनता की भावना के अनुरूप विकास हो। यह सरकार जनता पर अपने फैसले नहीं थोपती बल्कि जनता जो चाहती है, सरकार उसे लोकदेवता का आदेश मानती है। बस्तर कलेक्टर रहते हुए रजत बंसल ने मुख्यमंत्री की नीतियों के अनुरूप विकास और विश्वास का अध्याय लिखा है। उनके बाद बस्तर के प्रशासनिक प्रमुख चंदन कुमार से भी यही उम्मीद है कि वे रजत बंसल के काम को आगे बढ़ाएंगे। चंदन कुमार भी असीम संभावनाओं के प्रतीक हैं। यहां अवसर बंसल की विदाई का है तो कहना होगा कि पदस्थापना और नवीन पदस्थापना एक प्रक्रिया है। नई चुनौतियों का सामना करना ही कार्यसंस्कृति का पर्याय है। बस्तर की चुनौतियों पर खरे उतरे बंसल को बलौदाबाजार के विकास की जिम्मेदारी दी गई है। यह कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव की तैयारियों के तहत प्रशासनिक फेरबदल किया गया है तो हमारी दृष्टि में यह पूर्ण सत्य नहीं है। फिर भी इसे अर्द्ध सत्य के तौर पर देखें तो बलौदाबाजार भाटापारा जिले में चुनौती है और यह भी हो सकता है कि इस चुनौती पर खरे उतरने की चुनौती बंसल को मिली है। बलौदाबाजार सीट पर जनता कांग्रेस ने बाजी मारी तो भाटापारा में भाजपा ने। ये दोनों सीटें सत्ताधारी दल के पास नहीं हैं तो यहां सरकार की भावना के अनुसार पर्याप्त विकास में कमी महसूस की जा रही है। बंसल में कसौटी पर रजत साबित हुए बंसल को अब स्वर्ण साबित होने का अवसर मिला है, यह सकारात्मक सोच भी तो विचार करने के योग्य हो सकती है। बस्तर से विदा ले रहे रजत बंसल को अशेष शुभकामनाओं के साथ बस्तर का सलाम।
इस भावना के साथ बस्तर उन्हें विदा कर रहा है कि
“जाओ कहीं भी सनम, तुम्हें इतनी कसम, हमें याद रखना…”