डेंगू और मलेरिया नियंत्रण : डॉ चतुर्वेदी

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जगदलपुर वैसे तो बस्तर में डेंगू का प्रकोप पिछले तीन महीनों से जारी रहा है। लगातार आ रही खबरों और आंकड़ों से हम लगातार बस्तर में अलग अलग ?लॉक में स्थितियों की जानकारी लेते रहें है। लेकिन आज की स्थिति में डेंगू पर काफी हद तक काबू पाया जा चुका है। जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी श्री आर के चतुर्वेदी ने बताया कि बस्तर जिले का वातावरण और जलवायु मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल होता है जिसकी वजह से यहाँ हर बार लोगों को डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। डेंगू एक वायरल डीजिस हैं और यह एडिस मच्छर के द्वारा एक संक्रमित मच्छर से दूसरे स्वास्थ्य व्यक्ति में फैलता है। इसका लक्षण संक्रमण के 5 दिन बाद दिखाई देता है। जिसमें तेज बुखार, आँखों के पिछले हिस्से में दर्द, जोड़ों में दर्द और मांसपेशियों में ऐंठन जैसी स्थिति का सामना मरीज को करना पड़ता है। यह दर्द 3-4 दिन रहता है। 5 से 7 दिनों के भीतर वह ठीक हो जाता है। डेंगू से ग्रसित व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा द्रव्य आहार का सेवन करना चाहिए। आराम करना चाहिए और यदि बुखार है तो चिकित्सक की सलाह से दवाओं का सेवन करें। कई बार मरीज बिना किसी चिकित्सकीय सलाह लिए, कैसे भी दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करके केस बिगाड़ लेते हैं, ऐसी स्थिति से बचना चाहिए। अपने आस पास के स्वास्थ्य केंद्र से आप अधिक जानकारी ले सकतें हैं। उन्होंने आगे बताया कि हमारे जिले में इसके उपचार कि समुचित व्यवस्था है। अगर किसी मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है तो मेडिकल कॉलेज में उसकी भी उड्डाम व्यवस्था है। रोग के नियंत्रण और रोकथाम के उपाय के लिए जब से हमें पहली बार डेंगू के मरीज मिलने शुरू हुए तब से ही सजगता से विभागीय कर्मी और अमला लगा हुआ है। जून के अंतिम सप्ताह से डेंगू के केसेस आने शुरू हुए थे तब से ही हमारे द्वारा रैपिड रीस्पान्ड टीम बनाया गया है, हमारा कंट्रोल रूम बनाया गया है और प्रतिदिन घर घर सर्वे करनें के लिए एक टीम गठित की गई है जो संक्रमण फैलाव रोकने का कार्य करती है, मरीजों का फॉलो अप का कार्य इनके द्वारा किया जाता है। प्रचार प्रसार और मरीजों की काउन्सीलिंग का कार्य भी निरंतर चल रहा है। कलेक्टर महोदय की दिशानिर्देश के द्वारा, हमने इसके लिए अंतर्विभागीय समन्वय की बैठक में राजस्व विभाग, नगर निगम, आई सी डी एस और और शिक्षा विभाग जैसा अमला भी हमारे साथ मिलकर काम कर रहा है। इसके बदौलत हम बहुत अच्छी योजना बनाकर कार्य कर रहें हैं, जिसमें डेंगू आज की स्थिति में काफी नियंत्रित हुआ है। पिछले एक हफ्ते में डेंगू के मामलों में गिरावट देखी गई है। जांच भी लगातार उतना ही किया जा रहा है। हम उ्मीद कर सकतें हैं कि डेंगू का संक्रमण जो हमारे शहर और आस पास के इलाकों में हो रहा है, उससे बहुत जल्दी पूरी तरह से निजात पा ली जाएगी। उन्होंने आगे आंकड़ों की चर्चा करते हुए कहा कि पिछले एक हफ्ते में कुल 20 के औसत के आसपास डेंगू के प्रकरण पूरे जिले में हैं। वहीं मलेरिया के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि मलेरिया हमारे लिए एक एंडेमीक डीसिस के रूप में है। मलेरिया के उन्मूलन के लिए शासन के दिशानिर्देशानुसार हम कटिबद्ध हैं। इसके लिए 2020 में विशेष अभियान मलेरिया मुक्त बस्तर के नाम से प्रारंभ हुआ। जिसके तहत बस्तर जिले में इसका प्रभाव बहुत व्यापक रहा। इसकी वजह से एपीआई में लगातार गिरावट दर्ज किया गया है। पूरे छत्तीसगढ़ में समस्त आदिवासी इलाकों में यह अभियान चलाया गया है। इस अभियान के तहत हमारे विभाग ने प्रत्येक घर प्रत्येक व्यक्ति की जांच करके हमें पता चला कि बहुत से ऐसे लोग थे जिन्हे मलेरिया का कोई लक्षण नहीं था, परंतु उन लोगों में भी पैरासाइट पाया गया। इससे हमें पता चल कि 50 से 60 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिनके शरीर लक्षण रहित मलेरिया के पैरासाइट के कैरियर के रूप में कार्य कर रहें हैं। वही संक्रमण का बहुत बड़ा स्त्रोत था। तो इस अभियान के दौरान ऐसे लोगों की पहचान हुई, और अब तक 6 चरणों में इस अभियान को संचालित किया गया है। और इसमें 20 के आसपास हमारा वार्षिक परजीवी सूचकांक था, वह पिछले वर्षकरीब 8 तक आ चुका था। वर्तमान 2021-22 में यह सूचकांक 2 तक आ चुका है। यह कहा जा सकता है की यह हमारे जिले के लिए एक बहुत बड़ी सफलता है। भविष्य में हमें एनिमिया और कुपोषण पर भी अच्छा असर इस नियंत्रण की वजह से दिखाई देगा।