सिटू का भूख हड़ताल सिर्फ दिखावा, भारतीय मजदूर संघ

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राजहरा खदान समूह के सीटू से सम्बद्ध श्रम संगठन ने राजहरा में कार्यरत सुरक्षा गार्ड्स के तीन सूत्रीय समस्याओं को लेकर 14.10.2022 से क्रमिक भूख हड़ताल करने बाबत ज्ञापन दिया है और समाचार के माध्यम से इसकी जानकारी सार्वजानिक की है। इस सम्बन्ध में भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध खदान मजदूर संघ भिलाई के अध्यक्ष एम.पी.सिंह ने जानकारी देते हुए बताया के वास्तविकता तो ये है के सीटू श्रम संगठन सुरक्षा गार्ड्स की समस्याओं को लेकर जिस क्रमिक भूख हड़ताल की बात कर रहा है वो केवल एक ढकोसला और दिखावा है। अपने जिन तीन सूत्रीय मांग को लेकर सीटू द्वारा दिनांक 14.10.2022 से क्रमिक भूख हड़ताल करने की बात की जा रही है उन समस्याओं पर बिंदुवार जानकारी देते हुए भा.म.सं. ने कहा कि –

(1) सीटू द्वारा वर्ष 2019 से उप मुख्य श्रमायुक्त केंद्रीय (रायपुर) के कार्यालय में एक औद्योगिक विवाद दायर की गयी थी जिसमें आईओसी राजहरा के सुरक्षा गार्ड्स को केंद्र सरकार द्वारा खदान में कार्यरत ठेका श्रमिकों के अर्ध-कुशल कामगार का वेतन दिलवाने की मांग की गयी थी। उक्त विवाद दो साल तक चलता रहा किन्तु कोई समाधान नहीं हो पाया। इस बीच भारतीय मजदूर संघ ने जनवरी 2022 में उप मुख्य श्रमायुक्त केंद्रीय (रायपुर) के कार्यालय में एक औद्योगिक विवाद दायर की जिसमें संघ ने इन सुरक्षा गार्ड्स को केंद्र सरकार द्वारा सुरक्षा गार्ड्स हेतु शहरों के आधार पर तय किये गए न्यूनतम वेतन दिलवाने की मांग की गयी थी। चूँकि दोनों श्रम संगठनों द्वारा की गयी मांग न्यूनतम वेतन से सम्बंधित थी अतएव उप मुख्य श्रमायुक्त केंद्रीय (रायपुर) ने दोनों प्रकरण को एक साथ जोड़कर सुनवाई की और अंततः दिनांक 22.06.2022 को संघ की मांग को सही मानते हुए सुरक्षा गार्ड्स के लिए क्लेम दर्ज करने का दिशा निर्देश दिया। उक्त बैठक में न केवल सीटू के पदाधिकारी उपस्थित थे बल्कि उन्होंने भी इस मामले में नोट शीट पर स्वयं भी हस्ताक्षर किये।

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किन्तु इसके बाद जहाँ भा.म.सं. ने अपने सदस्यों के लिए माननीय क्षेत्रीय श्रमायुक्त केंद्रीय (रायपुर) के कार्यालय में क्लेम फॉर्म जमा कर दिया वहीँ सीटू ने ऐसा नहीं किया। इस मुद्दे पर और स्पष्ट जानकारी देते हुए एम.पी.सिंह ने कहा कि शुरू से ही सीटू की मांग गलत थी क्योंकि कोई भी सुरक्षा कर्मी का कार्यक्षेत्र माइंस एक्ट और माइंस रूल के हिसाब से माइंस की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है। इसका सबसे बड़ा सबूत यही है कि परिभाषित खदान क्षेत्र में काम करने वाले प्रत्येक कर्मी का, चाहे वह नियमित हो या ठेका कर्मी, खदान अधिनियम के तहत A-Form पंजीयन अनिवार्य है। जबकि आईओसी राजहरा में कार्यरत किसी भी सुरक्षा गार्ड्स का A-Form पंजीयन नहीं है क्योंकि कोई भी कर्मी परिभाषित खदान क्षेत्र में कार्यरत नहीं है।

यहाँ यह भी सोंचने की बात है कि सीटू जो वेतन दिलवाने हेतु इतना प्रपंच कर रहा है और जिस वेतन हेतु संघ ने वाद दायर की और माननीय उप श्रमायुक्त केंद्रीय ने क्लेम करने का दिशा निर्देश दिया है वो वेतन सीटू द्वारा मांगे गए और मांगे जा रहे वेतन से अधिक है। सीटू के इस प्रपंच से यह साफ़ हो जाता है कि सीटू प्रबंधन के गोद में बैठने हेतु अपने श्रमिकों का नुकसान करना चाहता है और उन्हें कम वेतन दिलवाकर प्रबंधन से वाहवाही लूटना चाहता है। जहां तक संघ की बात है तो संघ ने क्लेम जमा कर दिया है और उसपर सुनवाई भी जारी है। अगर वास्तव में सीटू श्रमिकों का हितैषी होता तो वो भी अबतक क्लेम जमा कर चुका होता किन्तु सीटू के नेताओं की नियत में खोट है जिसका खामियाजा सुरक्षा गार्ड भुगत रहे हैं। यहाँ यह भी गौर करने की बात है कि भा.म.सं द्वारा वाद दायरा करने के पश्चात केंद्र सरकार के लेबर एनफोर्समेंट अधिकारी ने भी खदान का दौरा किया और जांच करने के उपरान्त माननीय क्षेत्रीय श्रमायुक्त केंद्रीय (रायपुर) के समक्ष केंद्र सरकार द्वारा सुरक्षा गार्ड्स हेतु शहर के आधार पर तय किये गए वेतन सुरक्षा गार्ड्स को दिलवाने हेतु न केवल सिफारिश की बल्कि नियमानुसार 06 माह का क्लेम भी पेश किया है।
इन सब तथ्यों को सीटू के नेतागण भी जानते हैं किन्तु श्रेय लेने की होड़ में और प्रबंधन की गोद में बैठने की चाहत में ये लोग कर्मियों का नुकसान करने से भी बाज नहीं आते हैं। सीटू के नेतागण तो अपने द्वारा किये गए समझौते को, सार्वजानिक करना तो दूर की बात है, अपने ही श्रमिकों को नहीं दिखाते हैं। ऐसे में इनके नियत में छिपी खोट स्वयं उजागर हो जाती है।
(2) जहाँ तक खदान भत्ता और रात्रि पाली भत्ते की बात है तो इस मुद्दे पर भी सीटू द्वारा कर्मियों को बरगलाया ही जा रहा है क्योंकि इस मुद्दे पर संघ ने महाप्रबंधक कार्मिक (खदान मुख्यालय) से चर्चा की थी जिसपर उन्होंने यह कहा कि चूँकि उक्त ठेका भिलाई से संचालित हो रहा है अतः आईओसी राजहरा के सुरक्षा कर्मियों को खदान भत्ता और रात्रि पाली भाता देने हेतु अलग से स्वीकृति लेनी होगी जिसका प्रयास शुरू किया जा चुका है।
(3) जहाँ तक संवेदनशील जगहों पर गार्ड्स की कमी की बात है तरो इसके लिए भी सीटू के ही नेतागण जिम्मेदार हैं। ठेका शर्तों के मुताबिक हर दो माह में गार्ड्स का रोटेशन होना लिखा गया है किन्तु संघ की जानकारी के अनुसार आज आईओसी राजहरा में सीटू के कुछ नेतागण के करीबी रिश्तेदार सुरक्षा गार्ड के पद पर कार्यरत हैं और उनके कार्यस्थल को सुरक्षित रखने हेतु सीटू द्वारा रोटेशन का विरोध किया गया और उसे बंद करा दिया गया। ऐसे में ये दिखावे की नौटंकी को बंद करते हुए सीटू के नेतागण सीधे तरीके से कर्मियों के हितार्थ क्लेम जमा करें और रोटेशन पद्धति को पुनः शुरू करें।
अंत में उन्होंने कहा कि दरअसल में सीटू एक ऐसा श्रम संगठन है जो केवल समस्या को पैदा करना और उसे जिन्दा रखने में विश्वास करता है। उसे समस्या के समाधान से कोई लेना देना नहीं है। सीटू द्वारा आह्वान किया गया उक्त क्रमिक भूक हड़ताल को केवल नौटंकी कहते हुए एमपी सिंह ने कहा कि जब समस्या समाधान की तरफ बढ़ रहा है तो ऐसे में समाधान के दिशा में न बढ़कर इस दिखावे की क्या आवश्यकता है इसका खुलासा सीटू के नेतागण करें। जहाँ तक संघ की बात है तो संघ ने क्लेम कर दिया है, सुनवाई जारी है और अगर सीटू के इस दिखावे की नौटंकी से सुरक्षा कर्मियों को अगर कोई नुकसान होता है तो संघ इस मामले तो समुचित न्यायलय के समक्ष रखते हुए प्रबंधन एवं सीटू को भी पार्टी बनाने से नहीं चुकेगा। एम पी सिंग केन्द्रीय अध्यक्ष खदान मजदूर संघ भिलाई संबद्ध भारतीय मजदूर संघ