पदस्थापना में भर्राशाही, दर्जनों स्कूल हो गए शिक्षक विहीन

0
126
  • पदोन्नति-पदस्थापना के बाद जिले के 50 से अधिक स्कूल हुए वीरान
  • सैकड़ों विद्यार्थियों के भविष्य से डीईओ ने किया सरेआम खिलवाड़

अर्जुन झा
जगदलपुर। बस्तर शिक्षा जिले में शिक्षकों की पदोन्नति और पदस्थापना में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा की गई मनमानी ने सैकड़ों विद्यार्थियों के भविष्य को अंधकारमय बना दिया है. रुपयों की उगाही के चक्कर में पदोन्नत शिक्षकों को उनकी मनचाही शालाओं में तैनात करने का ऐसा खेल खेला गया कि जिले के करीब 50 शालाएं अब पूरी तरह शिक्षक विहीन हो गई हैं. जिला शिक्षा अधिकारी के इस रवैये से पालकों में भारी रोष देखा जा रहा है.
शिक्षा जिला बस्तर में 1200 शिक्षकों को पदोन्नत कर प्रधान पाठक बनाया गया है. पदोन्नत शिक्षकों में में लगभग 50 शिक्षक ऐसे हैं, जो अपनी पूर्व शाला का संचालन अकेले करते आ रहे थे यानि उनका स्कूल एकल शिक्षक वाला था. अब इन शिक्षकों को भी दूसरी शालाओं में पदस्थ कर दिया गया है. इन शिक्षकों को अन्यत्र पदस्थ कर दिए जाने से उनकी पूर्व शाला अब शिक्षक विहीन हो गई है. उल्लेखनीय है कि बस्तर शैक्षणिक जिले के 1200 शिक्षक – शिक्षिकाओं को पदोन्नति देने के मामले में शिक्षकों की वरीयता का भी ध्यान नहीं रखा गया. अनेक ऐसे शिक्षकों को भी पदोन्नत कर दिया गया, जो पात्र ही नहीं थे. ऐसा धन बल के प्रभाव में आकर किया गया. पदोन्नति प्राप्त शिक्षक – शिक्षिकाओं की पदस्थापना के मामले में भी धन की अवैध उगाही का खेल जमकर खेला गया. अवैध उगाही में जिला शिक्षा कार्यालय के तीन बाबुओं और शिक्षक संघ के कुछ पदाधिकारियों को लगाया गया था. जिन पदोन्नत शिक्षकों ने अधिकारी की डिमांड पूरी की उन्हें उनकी पसंदीदा शालाओं में पदस्थ कर दिया गया तथा डिमांड से कम रकम देने वाले शिक्षकों को दूरस्थ शालाओं में भेज दिया गया. पदोन्नत शिक्षकों की पदस्थापना में संचालक लोक शिक्षण द्वारा जारी गाइड लाईन का खुलकर उल्लंघन किया गया. शिक्षकों की पदस्थापना करते समय इस बात का भी ध्यान नहीं रखा गया कि शालाएं शिक्षक विहीन या एकल शिक्षकीय हैं. इसका नतीजा अब सामने आने लगा है. जिला शिक्षा कार्यालय के बाबू और शिक्षक संघ के कुछ पदाधिकारी पदोन्नत शिक्षकों से उगाही कर अधिकारी को प्रसन्न करने तथा कमीशन के रूप में स्वयं मोटी रकम पाने में कामयाब तो हो गए, लेकिन जिले में शिक्षकों की नई पदस्थापना के बाद 50 से अधिक स्कूलों के शिक्षक विहीन हो जाने की खबर सामने आई है. उगाही के चक्कर में अधिकांश शिक्षकों की नियम विरूद्ध पदस्थापना की जाने की बात शिक्षा विभाग के राजधानी स्थित मुख्यालय तक पहुंच गई है. जिन शिक्षकों को मनपसंद शाला नहीं मिली है, वे नई पदस्थापना वाले स्कूलों में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा रहे हैं.ऐसे शिक्षकों की नई शाला में ज्वाइनिंग के लिए आज अंतिम अवसर है। ऐसे शिक्षकों को उनकी पसंदीदा शाला में पदस्थ कराने बाबू और शिक्षक संघ के तथाकथित पदाधिकारी अब फिर से जुगाड़ में लगगए हैं। ज्ञातव्य हो कि बस्तर जिले में शिक्षकों की पदोन्न्नति और पदस्थापना के नाम पर लाखों रु. की सौदेबाजी हुई है. खबर है कि इसकी जानकारी लोक शिक्षण संचालनालय तक भी पहुंच चुकी है। मामले का संज्ञान में भी लिए जाने की तैयारी है। लोक शिक्षण संचालनालय मामले में गंभीरता दिखाता है, तो बस्तर के शिक्षा विभाग में बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है।
नेताओं के नाम पर भी उगाही
सूत्रों से जानकारी मिली है कि पदोन्नति प्राप्त शिक्षकों से वसूली करने में लगे रहे अधिकारी के एजेंटो ने सत्ताधारी दल के नेताओं के नाम पर भी जमकर उगाही की है. इस कृत्य में डीईओ की भी भूमिका को कतई नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अधिकारी के इन एजेंटो ने खुद को नेताओं का करीबी बताकर पदोन्नति एवं पदस्थापना में नेताओं के नाम पर भी जमकर उगाही की है। इस बात की भनक लगने के बाद नेता भी बेहद खफा हैं। अधिकारी के एजेंट तो उगाही कर अपने विभाग प्रमुख को प्रसन्न करने में कामयाब रहे लेकिन नियम विरूद्ध पदस्थापना की जाने से राज्य स्तर के बड़े अफसर नाराज हो गए हैं। वैसे भी शिक्षा अधिकारी की कार्यप्रणाली ने नाराज चल रहे वरिष्ठ अफसर पूर्व में जिला शिक्षा अधिकारी को फटकार भी लगा चुके हैं। स्थानीय शिक्षा विभाग के एवं लोक शिक्षण संचालनालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नियमों के तहत पदोन्नति के बाद शिक्षकों की उसी शाला में पदस्थापना को प्राथमिकता देनी होती है, लेकिन बस्तर शिक्षा जिले में थोक के भाव में पदोन्नत शिक्षकों को उनकी पसंद की शालाओं में पदस्थ किया जाना घोर अनियमितता को दर्शाता है। ऐसी खबर है कि इस मामले में लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर डीईओ को तलब कर सकता है।
ये स्कूल हो गए शिक्षक विहीन पदस्थापना में की गई भर्राशाही ने जिले की दर्जनों शालाओं को शिक्षक विहीन बना दिया है. बस्तर विकासखंड के संकुल केंद्र आड़वाल की प्राथमिक शाला भरनी व प्राथमिक शाला झपटगुड़ा तथा एकटगुड़ा संकुल केंद्र की प्राथमिक शाला टाकरागुड़ा व प्राथमिक शाला महुपाल बरई के पूरी तरह शिक्षक विहीन हो जाने की पुष्टि इन गांवों के ग्रामीणों ने की है. इन शालाओं के आलावा जिले के अन्य कई शालाएं भी या तो शिक्षक विहीन हो गई हैं या फिर एकल शिक्षकीय. मुख्यालय तक इस भर्राशाही की जानकारी पहुंच जाने की खबर से शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अफसर एवं वसूली करने वाले एजेंट दहशत में हैं. अब ये लोग यह कहते फिर रहे हैं कि जो करना था, कर चुके हैं, आगे जो होगा देखा जाएगा. ये तथाकथित एजेंट यह भी कह रहे हैं कि वसूली का हिस्सा उपर तक पहुंचाया गया है, तो फिर डर काहे का ? आवभगत में जुटे बीईओ
शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक की मौत एवं जिले में शिक्षा विभाग को आबंटित करोड़ों रूपए की बंदरबाट के मामले की जांच करने रायपुर से 4 सदस्यीय टीम जगदलपुर पहुंची है. यह टीम बीईओ जगदलपुर से जुड़े मामले की पड़ताल कर रही है। ऐसी खबर है कि एक निजी होटल ठहरे जांच दल के अधिकारियों की खूब खातिरदारी बीईओ द्वारा की जा रही है। जांच के लिए आए अफसरों को खुश करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी जा रही है. ऐसे में जांच का नतीजा कैसा रहेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.