चढ़ावे की रकम वापस पाने ‘देवी’ के दरबार में पहुंचने लगे शिक्षक

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  • दर्जनों शिक्षकों को रिश्वत देने के बाद भी नहीं मिली मनपसंद शाला
  • रिश्वत में दिए रुपए वापस मांगने डीईओ दफ़्तर पहुंचने लगे शिक्षक
  • बस्तर शिक्षा जिले में पदस्थापना के नाम पर की गई उगाही का मामला


अर्जुन झा
जगदलपुर. ना माया मिली, ना राम, यह पुरानी उक्ति इन दिनों बस्तर के उन दर्जनों शिक्षकों के साथ चरितार्थ होती दिख रही है, जिन्होंने राम रूपी मनचाही शाला में अपनी पदस्थापना के लिए माया रूपी बड़ी रकम अपने विभाग की ‘देवी’ के चरणों में अर्पित कर दी है. सबकुछ लुटा बैठे इन बेचारे शिक्षकों को उनकी पुरानी शाला से हटाकर दूसरी शालाओं में पदस्थ करने का आदेश जारी कर दिया गया है. अब ये शिक्षक चढ़ावे की रकम वापस पाने के लिए देवी के दरबार में रोजाना हाजिरी लगा रहे हैं. इसे लेकर शिक्षकों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है. खबर है कि पीड़ित शिक्षक संचालनालय लोक शिक्षण में मामले की शिकायत करने की तैयारी में हैं.
बस्तर शैक्षणिक जिले में शिक्षा विभाग की प्राथमिक तथा पूर्व माध्यमिक शालाओं के 1200 शिक्षक – शिक्षिकाओं को पदोन्नत कर प्रधान पाठक बनाया गया है. पहले पदोन्नति देने के लिए शिक्षकों से जमकर वसूली की गई. उसके बाद पदोन्नत शिक्षकों को उनकी मनपसंद शाला में पदस्थ करने के नाम पर एक लाख से डेढ़ लाख रु. तक की रिश्वत ली गई. जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के तीन बाबुओं तथा शिक्षक संघ के कुछ पदाधिकारियों के जरिए वसूली को अंजाम दिया गया. वसूली गई रकम में से तयशुदा हिस्सा संबंधित बाबुओं और शिक्षक संघ के पदाधिकारियों को कमीशन के रूप में दिए जाने की खबर है. जो शिक्षक रिश्वत की रकम एकमुश्त दे पाने में असमर्थ थे, उनसे एडवांस के रूप में 40 हजार से 50 हजार रु. तक ले लिए गए थे. अब ऐसे ही शिक्षक माया से हाथ धो चुके हैं, लेकिन उन्हें देवी का आशीर्वाद नहीं मिल पाया. शायद देवी को अधूरा चढ़ावा रास नहीं आया और उन्होंने शिक्षकों को वरदान में मनवांछित शाला देने से इंकार कर दिया. अब बेचारे शिक्षक करें तो आखिर क्या करें?
ये हुए दैवीय प्रकोप का शिकार
सूत्र बताते हैं कि कम चढ़ावे से नाराज देवी के प्रकोप की मार 150 से भी अधिक शिक्षक शिक्षिकाओं पर पड़ी है. दैवीय प्रकोप का शिकार बनने वालों में बस्तर एवं दीगर विकासखंडों के अलावा बकावंड विकासखंड के भी दर्जनों शिक्षक शिक्षिकाएं शामिल हैं. बकावंड विकासखंड की ग्राम पंचायत टोटापारा प्राथमिक शाला, मटनार पंचायत की प्राथमिक शाला मटनार व ब्राम्हण पारा प्राथमिक शाला मटनार, मंगनार पंचायत की प्राथमिक शाला काँदरागुड़ा तथा छिनारी पंचायत की प्राथमिक शाला सुगधुगुड़ा के शिक्षकों ने एडवांस रकम देकर वांछित शाला में पदस्थापना मांगी थी, लेकिन उन्हें पसंद की शालाओं में नियुक्ति ना देकर दूरस्थ शालाओं में पदस्थ करने का आदेश जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से जारी हो चुका है. बताते हैं कि अब इन शिक्षक शिक्षिकाओं ने अपनी रकम की वापसी के लिए बीईओ तथा डीईओ के दफ़्तरों के चक्कर लगाना शुरू कर दिया है.खबर तो यहां तक है कि ये पीड़ित शिक्षक अब रायपुर जाकर मामले की शिकायत करने वाले हैं. इनके अलावा अन्य शिक्षक भी रायपुर कूच की तैयारी कर चुके हैं.
नहीं रहा ऑप्शन का औचित्य
विभागीय सूत्रों के मुताबिक पदोन्नति के पश्चात नई जगह पदस्थापना के लिए पदोन्नत शिक्षकों को तीन तीन शालाओं का ऑप्शन मांगा गया था. इन्हीं में से किसी एक शाला में उन्हें तैनात करना था. लिहाजा शिक्षकों ने अपना अपना ऑप्शन दे भी दिया था, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने ऑप्शन को नजरअंदाज करते हुए शिक्षकों को अन्य शाला में पदस्थ करने का आदेश जारी कर दिया है.
नहीं हुआ मापदंड का पालन
शिक्षकों की पदोन्नति और पदस्थापना में हुए भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलने के बाद संचालक लोक शिक्षण ने पदोन्नत शिक्षकों की पदस्थापना के लिए मापदंड तय करते हुए प्रदेश भर के संयुक्त संचालकों और जिला शिक्षा अधिकारियों को सरकुलर जारी कर कड़े निर्देश दिए थे. मापदंड के अनुसार पदोन्नति प्राप्त शिक्षकों को उनकी पुरानी शाला में ही पदस्थ रखने पर विशेष बल दिया गया है. वहीं एक शिक्षकीय व शिक्षक विहीन शालाओं में पदोन्नत शिक्षकों को भेजने की भी बात सरकुलर में कही गई है, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी बस्तर ने संचालक लोक शिक्षण के इस सरकुलर के ठीक विपरीत काम करते हुए जिले की कई शालाओं को शिक्षक विहीन बना दिया है. अब तक 50 से अधिक शालाओं के शिक्षक विहीन हो जाने की बात सामने आ चुकी है. इस संवाददाता के पास ऐसे स्कूलों की लिस्ट है, जो जिला शिक्षा अधिकारी की मनमानी का शिकार हुए हैं.