जगदलपुर / शिवसेना । छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में धर्मपरिवर्तन के विषय पर शिवसेना के ज़िला अध्यक्ष अरुण पाण्डेय् अपने शोसल मीडिया पोस्ट के माध्यम से सवाल उठाते रहें हैं। बीते दिनों समाचार पत्र में सुकमा पुलिस अधीक्षक के एक पत्र अनुसार समाचार प्रकाशित होने के बाद इस मामले पर ईसाई फोरम द्वारा दिये बयान को भी प्रमुखता से प्रकाशित किया गया जिसमें उनके द्वारा पुलिस अधीक्षक के कार्यवाही को ग़लत भी बताया जा रहा है। देशभर में हिंदुत्व का झंडा बुलंद करने वाली शिवसेना ने अब इस विषय पर प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा हैकि हिंदुस्तान तो धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और यहां धर्म परिवर्तन एक कानूनी प्रक्रिया है तब क़ानून का पालन किए बगैर ही जो लोग वर्षों से बस्तर अंचल में धर्मपरिवर्तन कर चुके हैं या जिसके माध्यम से यह कार्य करवाया जा रहा है ऐसे तमाम लोगों की पहचान करके उनपर अब तक कार्यवाही क्यों नही की गई?
शिवसेना के जिलाध्यक्ष अरुण पाण्डेय् ने बताया कि संवैधानिक नियमानुसार धर्म परिवर्तन करने के लिए ऐसा करने वाले को एक शपथ पत्र बनाना होता है। जब कोई व्यक्ति धर्म बदलने का फैसला करता है, तो प्रक्रिया को कानूनी रूप से पूरा भी करना होता है ताकि नया धर्म अपनाने वाले व्यक्ति का देश भर में सभी स्वीकृत सरकारी परिचय पत्र में परिलक्षित हो। ऐसा करने के लिए, धर्म परिवर्तन शपथ पत्र को अनिवार्य रूप से तैयार करना होगा। शपथ पत्र एक कानूनी दस्तावेज है जिसमें नाम, नया धर्म, पुराना धर्म और पता जैसे विवरण शामिल हैं। इसे स्टांप पेपर पर बनाया जाना चाहिए और नोटरी पब्लिक द्वारा नोटरी किया जाना होता है। ऐसे व्यक्ति को किसी प्रचलित राष्ट्रीय या क्षेत्रीय समाचार पत्र में विज्ञापन देना होता है, यह भी सुनिश्चित किया जाता हैकि उस व्यक्ति के धर्म परिवर्तन करने पर कोई सार्वजनिक आपत्ति तो नहीं है और यह किसी भी कपटपूर्ण या अवैध कारणों से नहीं किया जा रहा है।
ऐसे विज्ञापन में स्पष्ट रूप से लिखा होता हैकि उस व्यक्ति द्वारा अपना धर्म बदला जा रहा है और किसी भी भविष्य के संदर्भ के लिए विज्ञापन की एक प्रति को सहेजना भी आवश्यक है। अंतिम चरण राष्ट्रीय राजपत्र में अधिसूचना है, जो भारत सरकार के केंद्र द्वारा प्रकाशित एक ऑनलाइन रिकॉर्ड है। सभी सरकारी आईडी में भी धर्म परिवर्तन होना आवश्यक है।
शिवसेना के जिलाध्यक्ष का कहना हैकि वैसे तो बस्तर अंचल में धर्मपरिवर्तन पृथक राज्य निर्माण के बाद ही किसी विशेष मदद के कारण पैर पसारना आरंभ कर चुका था, और तब किसी ने इसका विरोध भी नही किया लेकिन अब धीरे धीरे यह मिशनरियों द्वारा बढ़ाया जाने लगा है, इस बात से कोई गुरेज नही कर सकता है। मिशनरियों को बस्तर की भूमि पर किसने लीज़ दिया और वह दी गई लीज़ कैसे कब और किसने आगे बढ़ाई ऐसे तमाम विषयों सहित अब तो बस्तर अंचल के प्रत्येक देवालयों में प्रार्थना के लिए पहुंचने वालों की भी जांच करनी ही चाहिए कि वे मूलतः उसी धर्म के हैं या संविधान अनुसार बताएं गए विधि से धर्म परिवर्तन करके यहां आते जाते हैं..? बस्तर के आदिवासियों में जिन्होंने संवैधानिक तरीक़े से धर्म परिवर्तन किया हो उन्हें संरक्षण भी क़ानून दें लेकिन ऐसे आदिवासी जिन्होंने क़ानून के बताएं नियमों के विरुद्ध धर्म परिवर्तन किया है ऐसे लोगों पर तथा इस कार्य के लिए प्रेरित करने वाले पर क़ानूनी कार्यवाही किया जाना सुनिश्चित करना चाहिए। बस्तर अंचल के माननीय संभाग आयुक्त महोदय जी से प्रत्येक ज़िला अनुसार सीस धर्म से किस किस धर्म में परिवर्तन आज़ादी के बाद से व मुख्यरूप से पृथक राज्य निर्माण पश्चात हुए हैं, इसकी जनाकरी को इस समय सार्वजनिक करके अंचल में इनकी संख्या से आम लोगों को अवगत कराना चाहिए ऐसा भी शिवसेना की मांग है।