इस वन अधिकारी ने तो भगवान के साथ भी खेला कर दिया

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रेंजर पर देवगुड़ी निर्माण में घटिया सामग्री के उपयोग का आरोप

स्तरहीन निर्माण को लेकर कोसमी के ग्रामीणों में व्याप्त है आक्रोश

बकावंड. जंगल महकमे के एक अफसर ने तो भगवान से भी खेला कर दिया. इस अफसर ने भगवान के दर पर ही भ्रष्टाचार को अंजाम देकर सारी मर्यादाएं लांघ डाली. देवगुड़ी के संरक्षण के नाम पर खानापूर्ति करते हुए अधिकारी ने स्वीकृत रकम डकार ली. ग्रामीणों में इसे लेकर आक्रोश व्याप्त है. ग्रामीणों ने अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. बताया गया है कि बकावंड विकास खंड की ग्राम पंचायत कोसमी के एकट गुड़ा पारा की देवगुड़ी के संधारण और रखरखाव के लिए विधायक लखेश्वर बघेल की पहल व अनुशंसा पर केंद्रीय केंपर मद से तीन लाख रु. की स्वीकृत दी गई है। इस कार्य की जिम्मेदारी वन परिक्षेत्र अधिकारी बकावंड को दी गई, लेकिन वन विभाग द्वारा खानापूर्ति कर आनन-फानन में चारदीवारी निर्माण कार्य किया गया एवं निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग कर आधी अधूरी दीवार बनाकर राशि में गोलमाल किया गया. इस प्रकार भगवान को भी नहीं बख्शा गया. सूत्रों के मुताबिक वन विभाग के परिक्षेत्र अधिकारी हर निर्माण कार्य में घटिया स्तर की सामग्री का उपयोग कर शासन की राशि की बंदरबांट करने में नहीं चूकते. पूर्व में भी वन परीक्षेत्र अधिकारी राजकुमार ध्रुव पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लग चुके हैं. विधायक द्वारा निरीक्षण कर निर्माण पर नाराजगी व्यक्त भी जताई जा चुकी है. इस संबंध में वन परीक्षेत्र अधिकारी बकावंड राजकुमार ध्रुव से जानकारी चाही गई, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. वहीं वन मंडल अधिकारी बस्तर से चर्चा करने पर उन्होंने भी इस विषय से पल्ला झाड़ लिया. इस तरह जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से हटकर कोई जवाब नहीं देते हैं.


पेड़ों की अवैध कटाई
बकावंड वन परिक्षेत्र के जंगलों में पेड़ों की अवैध कटाई भी धड़ल्ले से चल रही है. इसमें भी अधिकारी की मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं. विकासखंड की ग्राम पंचायत उलनार जुनवानी के जंगलों में सागौन तथा अन्य प्रजाति के पेड़ों की कटाई की जमकर हो रही है. लकड़ी तस्कर बेखौफ होकर पेड़ों पर आरियां चला रहे हैं और काटे गए पेड़ों के गोलों को चिरान के बाद नगरनार के रास्ते से होकर अलावल के एक फर्नीचर मार्ट में खपाया जाता है. सूत्र बताते हैं कि इस सारे खेल में फर्जी बिल, परिवहन पत्र तथा अन्य फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया जाता है. इस रेंज में सक्रिय लकड़ी माफिया अधिकारियों के संरक्षण में जंगलों का सफाया करने पर तुले हुए हैं.