भानुप्रतापपुर में भूपेश और रमन सिंह ने किया चुनावी शंखनाद

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  • अपने – अपने पार्टी प्रत्याशी की नामांकन रैली में हुए शामिल
  • दोनों दिग्गज नेताओं के लिए नाक की लड़ाई है कांकेर जिले की इस विधानसभा सीट का उप चुनाव

अभय शर्मा

कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट के लिए होने जा रहे उप चुनाव की सियासी जंग में गुरुवार को छत्तीसगढ़ के मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह ने ताल ठोंक दी। भूपेश बघेल कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी की और डॉ. रमनसिंह भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम की नामांकन रैली में शामिल हुए। इस दौरान रिटर्निंग ऑफिसर कार्यालय के बाहर दोनों दलों के सैकड़ों वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे। यह उप चुनाव भूपेश बघेल और डॉ. रमन सिंह के लिए नाक की लड़ाई साबित होने वाली है। विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी के निधन से रिक्त हुए भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट के लिए कांग्रेस और भाजपा ने शंखनाद कर दिया है।

कांग्रेस ने स्व. मनोज मंडावी की धर्मपत्नी सावित्री मंडावी को मैदान पर उतारा है। वहीं भाजपा ने इस सीट से एक बार विधायक रह चुके ब्रम्हानंद नेताम पर दांव खेला हैं। दोनों ही प्रत्याशी गोंड़ आदिवासी समुदाय से आते हैं। भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र में इस आदिवासी समाज के मतदाताओं की बहुलता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज हेलीकाप्टर से कांकेर पहुंचे और सावित्री बघेल की नामांकन रैली में शामिल हुए। इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जोश देखते ही बन रहा था। कार्यकर्त्ता बाजे गाजे के साथ पहुंचे थे और भूपेश बघेल व सावित्री मंडावी जिंदाबाद तथा स्व. मनोज मंडावी अमर रहे जैसे नारे लगा रहे थे। सावित्री मंडावी की नामांकन रैली में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम, उद्योग एवं आबकारी मंत्री कवासी लखमा, जिला प्रभारी मंत्री तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया, कांकेर के विधायक शिशुपाल सोरी, अंतागढ़ के विधायक अनूप नाग, केशकाल के विधायक संतराम नेताम, सिहावा की विधायक डॉ. लक्ष्मी ध्रुव, जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुभद्रा सलाम समेत अन्य वरिष्ठ उपस्थित थे। मुख्यमंत्री बघेल ने भानुप्रतापपुर में चुनावी सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पूर्व की भाजपा सरकार ने समूचे बस्तर संभाग की घोर उपेक्षा की। आदिवासियों को उनके मूल अधिकारों से वंचित कर दिया। ऐसी आदिवासी विरोधी भाजपा को सबक सिखाने का यही सही मौका है। श्री बघेल ने स्व. मनोज मंडावी का स्मरण करते हुए कहा कि स्व. मंडावी जुझारू नेता थे। अपने क्षेत्र के विकास तथा आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए वे हमेशा संघर्षरत रहे। स्व. मंडावी के अधूरे सपने को पूरा करने तथा उनके मिशन को आगे बढ़ाने के लिए सावित्री मंडावी को चुनकर विधानसभा में भेजें। श्री बघेल ने कहा कि भानुप्रतापपुर से सावित्री बहन नहीं, बल्कि भूपेश बघेल चुनाव लड़ रहा है, ऐसा मानकर चलें। इधर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी अपने प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम को विजयी बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों का अधिकार छीना है। कोर्ट में भूपेश सरकार सही ढंग से अपना पक्ष नहीं रख पाई। इस वजह से आदिवासियों के आरक्षण में कटौती हुई है। डॉ. रमन ने कहा कि ब्रम्हानंद अनुभवी नेता हैं। वे पहले भी इस क्षेत्र के विधायक रह चुके हैं। उनका कामकाज आप देख चुके हैं। इसलिए एक अनुभवी नेता को चुनना इस क्षेत्र के हित में होगा। गोंड़, हल्बा मतदाता निर्णायक भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र में गोंड़ और हल्बा जनजाति के मतदाताओं की बहुलता है। क्षेत्र के हर चुनाव में इन आदिवासी मतदाताओं की भूमिका निर्णायक होती है। वहीं दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशी गोंड़ आदिवासी समुदाय से आते हैं। जो भी दल इन आदिवासी मतदाताओं को ज्यादा से ज्यादा संख्या में अपने पक्ष में करने में कामयाब होगा, ताज उसी दल के प्रत्याशी के सिर पर सजेगा। बस्तर संभाग में अभी आदिवासियों के आरक्षण में कटौती का मुद्दा गरमाया हुआ है। भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। नेशनल हाईवे पर चक्काजाम और कांग्रेस विधायकों के निवास के समक्ष भाजपाई आंदोलन भी कर चुके हैं। वहीं कांग्रेस आरक्षण कटौती पर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को दोषी बता रही है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा सरकार ने जानबूझकर इस मसले को उलझाया है।