- राज्यपाल पर दबाव डालकर मसला लटकाने का लगाया आरोप
जगदलपुर :- बस्तर के यंग टाईगर कहे जाने वाले कांग्रेस सांसद दीपक बैज बुधवाआदिवासी आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार पर बरसे सांसद बैजर को लोकसभा में फिर गरजे। इस दफे वे आदिवासियों के आरक्षण के मसले को लटकाने का आरोप सीधे प्रधानमंत्री, गृहमंत्री पर लगाया। बैज ने कहा कि राजयपाल पर दबाव डालकर आदिवासियों को उनके हक से वंचित करने का प्रयास केंद्र सरकार कर रही है।
लोकसभा की कार्यवाही के दौरान सांसद दीपक बैज ने अनुसूचित जनजाति पांचवा संशोधन विधेयक लाए जाने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस संशोधन विधेयक छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों की जातियों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में लाने का प्रावधान है। बिल में छत्तीसगढ़ की 12 और जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाना स्वागत योग्य पहल है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री को पहले ही पत्र लिखकर इन जातियों को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में लाने का आग्रह किया था। अभी तक 30 जातियों के 80 लाख लोग अनुसूचित जनजाति के श्रेणी में थे। नए बिल से छत्तीसगढ़ की 78 तहसीलों में निवासरत अन्य जातियों के करीब एक लाख और लोग अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आ जाएंगे। बैज ने कहा इसके लिए केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का मैं आभार व्यक्त करता हूं।
छत्तीसगढ़ के साथ सौतेला व्यवहार
छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के आरक्षण में कटौती का मसला उठाते हुए बैज ने कहा कि छ्ग की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने हाईकोर्ट में सही ढंग से अपना पक्ष नहीं रखा। इस वजह से आदिवासियों के आरक्षण में कटौती हुई है। वर्तमान भूपेश बघेल सरकार ने आरक्षण को यथावत रखने संबंधी प्रस्ताव पारित कर स्वीकृति के लिए राजयपाल के पास भेजा है, मगर राजभवन में फाइल लटकी हुई है। बैज ने सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री, गृहमंत्री ने राजयपाल पर दबाव डालकर आरक्षण का मामला रुकवा दिया है? उन्होंने केंद्र सरकार पर छत्तीसगढ़ सरकार के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते कहा कि भूपेश बघेल सरकार जनता की सेवा में समर्पित होकर काम कर रही है, लेकिन केंद्र सरकार हर काम में अड़ंगा डाल रही है। श्री बैज ने कहा कि पूरे देश में केवल दो आदिवासी केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं। एक केंद्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय बस्तर में भी खोला जाना चाहिए।
उपक्रमों के निजीकरण का विरोध
सांसद दीपक बैज ने केंद्र सरकार द्वारा सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि यह कदम आरक्षण विरोधी साबित हो रहा है। बस्तर में स्थापित नगरनार इस्पात संयंत्र को भी निजी हाथों में दिया जा रहा है। यह बस्तर और वहां निवासरत आदिवासियों पर कुठाराघात है। श्री बैज ने कहा कि सरकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण से आरक्षण का लाभ अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को नहीं मिलेगा। सरकार या तो निजीकरण का फैसला वापस ले, या फिर निजी क्षेत्र में भी आरक्षण का प्रावधान करे।
माहरा, अमृत जाति को भी करें शामिल
सांसद बैज ने अपना वक्तव्य जारी रखते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में माहरा जाति के लोग बड़ी तादाद में निवासरत हैं और ये लोग लंबे समय से माहरा जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग करते आ रहे हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश में माहरा, महरा और मेहर जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने की पहल हुई थी। राज्य विभाजन के बाद मध्यप्रदेश में इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कर लिया गया, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह नहीं हो पाया। इसी तरह अमृत जाति की भी बड़ी आबादी बस्तर में है। बैज ने इन दोनों जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग की।