गोदामों के निर्माण की आड़ में अपना भंडार भर रहे हैं रेंजर

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  • बकावंड ब्लॉक में 13 जगहों पर बनाए जा रहे हैं तेंदूपत्ता गोदाम
  • 20 – 20 लाख रु. की लागत वाले गोदामों के निर्माण में भारी गड़बड़ी


अर्जुन झा
बकावंड यहां पदस्थ वन परिक्षेत्र अधिकारी का एक और कारनामा सामने आया है। इस बार वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा तेंदूपत्ता गोदामों के निर्माण में अनियमितता बरती जा रही है। गोदाम निर्माण की आड़ में अधिकारी अपना भंडार भरने पर तुले हुए हैं। बकावंड विकास खंड में कुल तेरह जगहों पर गोदामों का निर्माण कराया जा रहा हैमें तेरह जगहों पर गोदाम बनाए जा रहे हैं और हर जगह धांधली चल रही है। प्रत्येक गोदाम की लागत 20 लाख रु. है।


बकावंड के वन परिक्षेत्र अधिकारी विभागीय कार्यों में की जाने वाली अफरा तफरी को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। उनके माध्यम से एवं उन्हीं की देखरेख में इन दिनों बकावंड के वन विभाग डिपो, ग्राम पंचायत सरगीपाल समेत तेरह स्थानों पर बीस – बीस लाख रुपए की लागत से तेंदूपत्ता गोदामों का निर्माण कराया जा रहा है। हर निर्माण कार्य में जमकर गड़बड़ी की जा रही है। सभी स्थानों पर गोदाम निर्माण के लिए ओड़िशा के मजदूरों को लगाया गया है। विकासखंड बकावंड की ग्राम पंचायत सरगीपाल में वन विभाग द्वारा केंद्रीय कैंपा मद के 20 लाख रु. की लागत से तेंदूपत्ता गोदाम का निर्माण स्थानीय वन परिक्षेत्र अधिकारी राजकुमार देवांगन की देखरेख में कराया जा रहा है। इस निर्माण कार्य में जमकर अनियमितता बरती जा रही है। ग्राम की जमीन पर गोदाम बनवाया जा रहा है, लेकिन वन परिक्षेत्र अधिकारी ने ग्राम पंचायत सरगीपाल से अनुमति तथा अनापत्ति
प्रमाण पत्र लेने की भी जरूरत नहीं समझी। सरपंच को भी विश्वास में नहीं लिया गया। वनोपज प्राथमिक सहकारी समिति सरगीपाल के प्रबंधक ने इस बात की पुष्टि की है। अगर आगे चलकर ग्राम पंचायत सरगीपाल निर्माण के विरोध में कोई कार्यवाही करती है, तो निर्माण में जो लाखों रु. खर्च हो चुके हैं, उसकी भरपाई किससे की जाएगी ? ग्रामीणों का आरोप है कि वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा गोदाम निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। सीमेंट का उपयोग बहुत ही कम मात्रा में किया जा रहा है। दीवारों की मोटाई भी मापदंड के अनुरूप नहीं है। बाहर से लाए गए मजदूरों को शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी भी नहीं दी जा रही है। निर्माण स्थल पर कार्य से संबंधित जानकारी वाला बोर्ड भी नहीं लगाया गया है, ताकि भ्रष्टाचार की पोल न खुल जाए। वन परिक्षेत्र अधिकारी राजनीतिक रसूख रखते हैं, इसलिए उनके खिलाफ अब तक कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। वे अक्सर राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय नजर आते हैं। पहले भी इस वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा कराए गए तमाम निर्माण कार्यों में ऐसी ही गड़बड़ी की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। ग्रामीण इन घटिया निर्माण कार्यों को लेकर सवाल उठाते रहे हैं।
ओड़िशा के मजदूरों से करा रहे हैं कार्य
तेंदूपत्ता गोदामों के निर्माण के काम में ओड़िशा के मजदूरों को लगाया गया है। इसके लिए इन मजदूरों को बकावंड विकासखंड के सीमावर्ती ओड़िशा के गांवों से विशेष तौर पर लाया गया है। जबकि बकावंड ब्लॉक में मजदूरों और राजमिस्त्रियों की कमी नहीं है। यहां के मजदूर और राजमिस्त्री हर तरह के निर्माण कार्य में दक्ष हैं। स्थानीय मजदूरों को रोजगार का अवसर न देकर वन परिक्षेत्र अधिकारी शासन के नियमों का उल्लंघन किया है। ग्रामीण बताते हैं कि ओड़िशा से लाए गए मजदूरों और राजमिस्त्रियों को कम मजदूरी दी जा रही है और वे इसके खिलाफ आवाज भी नहीं उठाते, जबकि स्थानीय मजदूर कम मजदूरी का विरोध करने लग जाते। वजह साफ है कि निर्माण की आड़ में वन परिक्षेत्र अधिकारी ज्यादा से ज्यादा कमाई करने की फिराक में हैं।


पेड़ों की छंटाई की आड़ में हुई थी अवैध कटाई
वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा पेड़ों की छंटाई और शाख कर्तन की आड़ में भी बड़े पैमाने पर मनमानी की जा चुकी है। बकावंड विकासखंड के जंगलों के पेड़ों की छंटाई कराने के नाम पर उन्होंने लकड़ी माफियाओं को पेड़ों की बेतहाशा अवैध कटाई की खुली छूट दे दी थी। लकड़ी माफिया ने सागौन, बीजा व अन्य कीमती प्रजातियों के सैकड़ों विशाल पेड़ों को धाराशाई कर डाला। इन पेड़ों के गोलों की बाहर तस्करी की गई। संबंधित गांवों के ग्रामीणों ने मामले की शिकायत भी की थी, लेकिन न तो जांच हुई और ना ही वन परिक्षेत्र अधिकारी पर किसी तरह की कार्रवाई। वहीं दूसरी ओर जलावन के लिए जंगलों से गिरी पड़ी सूखी लकड़ियां लाने वाले ग्रामीणों को वन विभाग के अधिकारी पकड़ लेते हैं और प्रताड़ित करते हैं।


धर्म स्थल के काम में किया अधर्म
वन परिक्षेत्र अधिकारी पर अवैध कमाई का नशा इस कदर हावी है, कि वे धर्म स्थल के निर्माण और संरक्षण कार्य के लिए स्वीकृत राशि में भी गड़बड़ी करने में गुरेज नहीं करते। बकावंड के नजदीक एक गांव में स्थित मातागुड़ी के जीर्णोद्धार और सुरक्षा संबंधी निर्माण कार्य के लिए क्षेत्रीय विधायक एवं बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल ने राशि की स्वीकृति प्रदान की थी। इस कार्य की जिम्मेदारी इसी वन परिक्षेत्र अधिकारी को सौंपी गई थी। वन परिक्षेत्र अधिकारी ने देवगुड़ी की चारदीवारी का बहुत ही घटिया निर्माण कराया। अन्य कार्य भी गुणवत्ता के अनुरूप नहीं हुए। ग्रामीणों ने गांव के दौरे पर पहुंचे विधायक लखेश्वर बघेल से जब इसकी शिकायत की, तब श्री बघेल ने स्थल निरीक्षण किया। घटिया निर्माण पर वन परिक्षेत्र अधिकारी को ग्रामीणों के सामने ही कड़ी फटकार लगाई थी। इसके बाद भी वन परिक्षेत्र अधिकारी ने अपना ढर्रा नहीं बदला है। वे अब भी अन्य निर्माण कार्यों में भी गोलमाल करते आ रहे हैं।