कड़ाके की ठंड में भी नहीं जला रहे हैं बस्तर नगर क्षेत्र में अलाव

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  • बस्तर नगर पंचायत प्रशासन अब तक है बेपरवाह, लोग हैं परेशान

हरिभूमि न्यूज/ बस्तर
बस्तर इन दिनों ठंड जोरों पर है । इससे बचाव के लिए लोग तरह – तरह की जतन कर रहे है। पखवाड़े भर से बस्तर अंचल में सर्दी का सितम काफी बढ़ गया है। सर्द हवाएं बदन सिहरा रही हैं। बावजूद बस्तर नगर पंचायत द्वारा लोगों को राहत पहुंचाने के लिए अलाव की व्यवस्था अब तक नहीं की गई है।
समूचे बस्तर संभाग में ठंड का प्रकोप जोरों पर है। सुबह और रात के तापमान में काफी गिरावट दर्ज की जा रही है। सर्द हवाओं और कंपकंपा देने वाली ठंड के चलते लोगों का घर से निकलना मुहाल हो गया है। रोजी रोटी के लिए लोग मजबूरी में घरों से निकलते हैं। रात में भी लोगों को कामकाज के लिए बाहर निकलना पड़ता है। घरों से बाहर रहने वालों तथा बाहर से नगर में आए लोगों को राहत पहुंचाने के लिए नगर पंचायत बस्तर द्वारा अभी तक नगर में कहीं भी अलाव जलाने की व्यवस्था नहीं की गई है। जबकि नगर प्रशासन को ठंड का मौसम शुरू होते ही अलाव की व्यवस्था करनी चाहिए थी। घरों से बाहर रहने वाले तथा घुमंतू समुदाय के लोग दिन व रात के समय ठंड से बचने के लिए अपने स्तर पर आग जलाकर खुद को गर्म रखने की कोशिश में लगे देखे जा सकते हैं।
झिल्ली- पन्नी जला रहे हैं लोग
नगर पंचायत प्रशासन द्वारा नगर में अलाव जलाने के लिए कही भी लकड़ियों का इंतजाम नहीं किया गया है। इस कारण लोग अपने स्तर पर कूड़ा करकट और झिल्ली पन्नी बीन कर अलाव जलाकर सर्दी से बचने का जतन कर रहे है। इसमें लोग प्लास्टिक तक को जला रहे हैं। झिल्ली पन्नी और प्लास्टिक की चीजों को जलाने से जहरीला धुंआ निकलता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए तो घातक होता ही है, इससे पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचता है। कुछ स्थानों पर तो बेकार पड़े टायरों को भी जलाकर ठंड भगाने की जुगत में लोग लगे रहते हैं।
कोहरे से जनजीवन प्रभावित
इस बार बीते सालों की अपेक्षा ठंड का असर कुछ ज्यादा ही महसूस किया जा रहा है।सांझ ढलते ही कोहरा छाने लग जाता है। अल सुबह से सूरज चढ़ते तक चारों ओर घना कोहरा छाया रहता है। दस – पंद्रह फीट दूर के भी आदमी, वाहन और जानवर नजर नहीं आते। बस्तर क्षेत्र में दस दिनों से कोहरे और ठंड से जनजीवन प्रभावित हो रहा है। ठंड के कारण लोगो का घरों से निकलना दूभर हो गया है। दिन में भी ठिठुरन की स्थिति बनी रहती है। इस कारण लोगो को दिन में भी अलाव का सहारा लेना पड़ रहा है। नगर के बस स्टैंड स्थित प्रतीक्षालयों में बाहर के यात्री ठिठुरते रहते हैं। और रात को बाहर से आए बस यात्रियों को हड्डी कंपाती ठंड में भी खुले आसमान के नीचे सोना पड़ता है। इन स्थानों पर लकड़ी की व्यवस्था नहीं होने से अलाव नही जल रहे हैं।