- मुख्यमंत्री ने झीरम घाटी शहादत दिवस पर झीरम मेमोरियल पहुंचकर शहीदों को दी श्रद्धांजलि
जगदलपुर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को यहां संकल्प व्यक्त किया कि साल वनों के द्वीप बस्तर को नक्सलवाद से जल्द मुक्त कर हम शांति के टापू में तब्दील कर देंगे। उन्होंने कहा कि विकास, विश्वास और सुरक्षा की नीति अपनाकर हमारी सरकार ने बस्तर में नक्सलवाद को चंद इलाकों तक ही समेट कर रख दिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 25 मई को झीरम घाटी शहादत दिवस के मौके पर जगदलपुर के लालबाग स्थित झीरम मेमोरियल पहुंचे थे। उन्होंने झीरम घाटी के नक्सली हमले में शहीद हुए राज्य के कांग्रेस नेताओं, कार्यकर्त्ताओं और सुरक्षा बलों के जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। शहीदों के परिजनों को संबोधित करते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि अपनी जान देकर अपनों को बचाने का शहीदों का संकल्प बहुत बड़ा होता है। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ सर्वाेच्च कुर्बानी देने वालों की शहादत को बेकार नहीं जाने देंगे, साल वनों के द्वीप बस्तर क्षेत्र को नक्सलवाद से मुक्त कर फिर से शांति का टापू बना कर ही दम लेंगे। मुख्यमंत्री बघेल सहित जनप्रतिनिधियों ने इस अवसर झीरम के शहीदों की याद में दो मिनट का मौन रखा और उपस्थित सभी लोगों को प्रदेश को पुनः शांति का टापू बनाने की शपथ दिलाई। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री बघेल ने झीरम घाटी के शहीदों के परिजनों से मुलाकात की और शॉल-श्रीफल भेंटकर उनका सम्मान किया। श्री बघेल ने श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कहा कि झीरम घाटी की घटना को दस बरस हो गए हैं। हर साल हम लोग झीरम के शहीदों को नमन करते हैं और जब भी 25 मई आता है, हम सब का दिल भर जाता है। जो बच गए उन्होंने घटना को अपनी आंखों से देखा। वे बताते थे कि घटना कितनी भयावह थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस घटना में शहीद हुए नेताओं ने परिवर्तन की बात कही थी, जिसका शुभारंभ सरगुजा से हुआ था। हमारे नेता कहते थे कि किसानों, आदिवासियों, युवाओं और महिलाओं के जीवन में परिवर्तन लाना है। परिवर्तन का संकल्प लेने वाले हमारे सभी बड़े नेता हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने झीरम में अपनी शहादत दी है।
सचमुच शेरदिल थे महेंद्र कर्मा : सीएम
झीरम की घटना को याद करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमारी राज्यसभा की सदस्य फूलोदेवी नेताम सामने आईं और कहा कि यह बंद करो। वो एक बहादुर महिला हैं। जब हमारे नेताओं को चारों ओर से घेर लिया गया था। शहीद महेंद्र कर्मा सामने आए और नक्सलियों से कहा कि बेकसूरों को मारना बंद करो, गोलियां चलाना बंद करो। तुम्हारी दुश्मनी मुझसे है। मैं आत्मसमर्पण करता हूँ। मैं बस्तर टाइगर, मैं महेंद्र कर्मा तुम्हारे सामने खड़ा हूं, छलनी कर दो मुझे, लेकिन बाकी सभी को जाने दो। महेंद्र कर्मा ने नक्सलियों से माफी नहीं मांगी, अपने प्राणों की आहुति दे दी। किसके लिए, बस्तर के लिए, प्रदेश के लिए, लोकतंत्र के लिए, हम सबके लिए। अपनी जान देकर अपनों को बचाने का उनका संकल्प कितना बड़ा था, यह समझा जा सकता है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जिस नव निर्माण के पवित्र उद्देश्य के साथ हमारे नेताओं ने परिवर्तन यात्रा निकाली थी, उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हमने लगातार परिश्रम किया है। हमने विकास, विश्वास और सुरक्षा की नीति से नक्सलियों को चंद इलाकों तक ही समेट दिया है। उन्होंने कहा कि हमने अपनी योजनाओं और नीतियों से बस्तर का विकास सुनिश्चित किया। हमने शिक्षा, स्वास्थ्य, आदिवासी संस्कृति के संरक्षण सहित अन्य विकास कार्यों को गति दी और बेहतर कार्य कर दिखाया है।
दर्जनों जनप्रतिनिधि और अफसर रहे मौजूद
झीरम घाटी शहादत दिवस की दसवीं बरसी पर उद्योग मंत्री कवासी लखमा, लोकसभा क्षेत्र बस्तर के सांसद दीपक बैज, बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, उपाध्यक्ष विक्रम मंडावी, संसदीय सचिव रेखचंद जैन, विधायक मोहन मरकाम, विधायक राजमन बेंजाम, चंदन कश्यप, संगीता सिन्हा, महापौर सफीरा साहू, नगर निगम अध्यक्ष कविता साहू, इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजीव शर्मा, कमिश्नर श्याम धावड़े, आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर विजय दयाराम के., वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जितेंद्र मीणा सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
परिजनों से मिलते भावुक हुए मुख्यमंत्री