चंद कदम दूर बड़ा खेला हो गया और बेखबर कैसे रह गए भूपेश बघेल

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  •  अपने विश्वस्त सहयोगी के पलायन की भनक तक नहीं लग पाई पूर्व सीएम को

अर्जुन झा

जगदलपुर बुधवार को जिस वक्त पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चंद कदम दूर एक मंच पर मौजूद थे, ठीक उसी वक्त उनकी सबसे विश्वस्त रही जगदलपुर की महापौर सफीरा साहू भाजपा का दामन थाम रही थीं। जगदलपुर में इतना बड़ा खेला हो गया और भूपेश बघेल को अपने विश्वस्त सहयोगी के पलायन की कानों कान भनक तक नहीं लग पाई? आखिर यह कैसे मुमकिन है। इस बात की यहां बड़ी चर्चा हो रही है।

हालांकि सफीरा साहू के भाजपा प्रवेश पर भूपेश बघेल ने शायराना अंदाज में यह जरूर कहा है कि ‘यूं ही कोई बेवफा नहीं हो जाता, कुछ तो मजबूरियां रही होंगी।’ भूपेश बघेल ने यह भी कहा कि दवाब की राजनीति से लोगों को भाजपा में ले जाया जा रहा है। इस बयान से भूपेश की भी मजबूरी झलकती है। क्योंकि उन्ही के खेमे के विश्वस्त सलाहकारों के बीच की महापौर का पलायन बीजेपी में हुआ है।अब भूपेश बघेल अपनी मजबूरी और अपने दर्द को ही बयान कर रहे हैं। मान भी लें कि भाजपा दबाव की राजनीति के तहत मेयर को अपने पाले में ले गई है, तो जो कुछ भी हुआ होगा, वह कांग्रेस के ही शासन काल में हुआ होगा। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने नगर निगम में काला पीला करने की खुली छूट महापौर को दे रखी थी? क्या कांग्रेस के लोग सत्ता को सिर्फ कमाई का ही जरिया मानते हैं? सवाल सिर्फ कांग्रेस से ही नहीं, बल्कि भाजपा से भी है कि बुधवार से पहले तक जो दाग भाजपा नेताओं को बुरे लगते थे वे दाग क्या अब अच्छे हो गए हैं? क्या भाजपा की वाशिंग मशीन में वो दाग धुल गए हैं? जनता जनार्दन सब देख और समझ रही है, वह जब फैसला सुनाएगी, तो उसका दर्द पांच साल तक राजनेताओं को चैन से सोने नहीं देगा। कहते हैं वक्त की मार बड़ी बुरी होती है और इतिहास खुद को दोहराता है। एक आदिवासी नेता दीपक बैज के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए बीते विधानसभा चुनाव में जो हठकंडे कांग्रेस के ही कुछ बड़े नेताओं के इशारे पर बस्तर संभाग के पूर्व मंत्री, दो विधायकों, एक पूर्व विधायक और निगम, प्राधिकरण के दो पदाधिकारियों ने अपनाए थे, उनके बारे में बस्तर की जनता अब अच्छे से जान चुकी है। और तो और दीपक बैज को दोबारा कांग्रेस से लोकसभा का टिकट न मिल पाए इसके लिए विरोधी गुट ने पूरी ताकत झोंक दी थी। इस लॉबी के झूठ फरेब के आगे कांग्रेस नेतृत्व नत मस्तक हो गया। अब उसी पुराने घटनाक्रम की पुनरावृति लोकसभा चुनाव में होने वाली है। फर्क इतना है कि इस घटनाक्रम का किरदार कोई कांग्रेस नेता नहीं, बल्कि आम मतदाता है। दीपक बैज के बारे में तो कहावत चल पड़ी है कि वे बुरा करने वालों को भी माफ करते हुए आगे बढ़ने और पार्टी की भलाई के लिए काम करने में विश्वास रखते हैं। आज वे पार्टी प्रत्याशी को जिताने के लिए तन मन से काम कर रहे हैं।

सफीरा गईं या भेजी गईं भाजपा में

महापौर सफीरा साहू के अचानक भाजपा प्रवेश से एक बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि सफीरा साहू अपनी मर्जी से भाजपा में गई हैं, या फिर किसी बड़े कांग्रेस नेता के कहने पर? जगदलपुर के कांग्रेस नेताओं के बीच चर्चा है कि सफीरा साहू जब चारों ओर से घिर गईं, तब उन्होंने अपने बचाव के लिए पूर्व मुख्यमंत्री तथा कुछ अन्य बड़े कांग्रेस नेताओं से मदद मांगी, लेकिन सभी ने अपने हाथ खड़े कर दिए। उन्हें सुझाव दिया गया कि भाजपा की वाशिंग मशीन में जाकर ही आपके दामन के दाग धुल सकते हैं। इस तरह उन्हें भाजपा में जाने के लिए प्रेरित किया गया। इसका मतलब तो यही निकलता है कि खुद कांग्रेसियों ने ही सफीरा साहू को भाजपा में शामिल होने के लिए उकसाया था। पूरे पांच साल तक काला पीला करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता रहा, कांग्रेस सरकार की बदनामी का ध्यान नहीं रखा गया और ऐन लोकसभा चुनाव के बीच महापौर समेत पांच बड़े कांग्रेस नेताओं को भाजपा ज्वाइन करने की खुली छूट दे दी गई।

मेयर ने मौर्य पर फोड़ा ठीकरा

महापौर ने अपने भाजपा प्रवेश का ठीकरा शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुशील मौर्य पर फोड़ा है। अपने भाजपा प्रवेश के बाद पत्रकारों से चर्चा में सफीरा साहू ने कहा कि कांग्रेस में महिलाओं की कोई इज्जत नहीं है। जिला कांग्रेस कार्यालय में महिला कार्यकर्ताओं को सरेआम बेइज्जत किया जाता है। शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष का व्यवहार जरा भी शालीन नहीं है। सफीरा साहू ने कहा कि जब दो महिला नेत्रियों ने त्यागपत्र दिया तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें समझाने की भी जरूरत नहीं समझी। साथ ही सफीरा साहू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण देव के कामकाज की जमकर सराहना भी की और कहा कि इन नेताओं ने बिना भेदभाव किए शहर के विकास के लिए पर्याप्त धन राशि उपलब्ध कराई है। उन्होंने बताया कि विकसित भारत संकल्प के कार्यक्रमों में भाग लेने के दौरान ही मैंने भाजपा में जाने का मन बना लिया था।