बेघर हुए आदिवासी परिवार की अंततः सुध ले ली प्रशासन ने

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  • रंग लाई खबर : सीटी मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद कलेक्टर ने सहायता राशि जारी करने का दिलाया भरोसा
  • तरेंगा – 2 के झुमरु को नया घर बनाने के लिए मिलेगी आर्थिक मदद
  • बारिश में मकान ढहने के बाद सामुदायिक भवन में रह रहा है पांच सदस्यों वाला परिवार


जगदलपुर बारिश के कहर के चलते मकान ढह जाने से बेघर हुए आदिवासी परिवार की सुध आखिरकार जिला प्रशासन ने ले ली है। दैनिक श्रमबिंदु में पीड़ित परिवार की दुख भरी दास्तां प्रकाशित होने के बाद बस्तर कलेक्टर ने पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया है।

बस्तर जिले की भानपुरी तहसील की ग्राम पंचायत रतेंगा – 2 निवासी कंडरा आदिवासी झुमरू राम कश्यप का कच्चा मकान बरसात के मौसम में ढह गया था। तब से झुमरू राम अपनी पत्नी सुकाली बाई, बेटी कमली, बेटा परमेश्वर और बेटी प्रमिला के साथ गांव में निर्मित सामुदायिक भवन से लगकर बनाए गए लगभग दस गज के टीन शेड में रहता आ रहा है। यह टीन शेड संभवतः वाहन पार्किंग के लिए बनाया गया है। मकान ढहने से वहां रखे कपड़े, बिस्तर, चादर, अनाज व अन्य सामान भी नष्ट हो गए थे। झुमरू राम ने हादसे के तुरंत बाद अपने गांव के सरपंच और पटवारी को आवेदन देकर मदद की गुजारिश की थी, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। दैनिक श्रमबिंदु ने पीड़ित परिवार की व्यथा से जुड़ी खबर को विस्तार से प्रकाशित किया था। बस्तर के कलेक्टर चंदन कुमार ने इस खबर पर तत्काल कार्यवाही की और भानपुरी के तहसीलदार से जानकारी लेकर पीड़ित परिवार के लिए आर्थिक सहायता जारी की। झुमरू कश्यप और उसके परिवार की दारुण दशा की खबर प्रकाशित होने के बाद इसे लेकर जगदलपुर, बस्तर, भानपुरी, बकावंड व अन्य स्थानों पर व्यापक चर्चा होती रही। लोगों में प्रशासनिक व्यवस्था की अहम कड़ी माने जाने वाले पटवारी की भूमिका को लेकर आक्रोश भी देखा गया। लोगों का कहना है कि पटवारी की उदासीनता के कारण ही आदिवासी परिवार को कष्टप्रद जीवन गुजारना पड़ रहा है।
दी जा रही है सहायता राशि
मामला संज्ञान में आने के बाद भानपुरी तहसीलदार से मकान को हुई क्षति की विस्तृत जानकारी ली है। मकान 30 सितंबर को ढहा था। इस माह के आवंटन से सहायता राशि का भुगतान किया जा रहा है।
– चंदन कुमार
कलेक्टर, बस्तर