एसडीएम ने संयुक्त कलेक्टर के आदेश को उलझाया दांवपेंच में

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  • सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी देने में हिलहवाला
  • संयुक्त कलेक्टर ने कार्रवाई से अवगत कराने भी कहा था


बकावंड प्रशासन के चंद नुमाइंदों ने फर्जीवाड़ा कर एक आदिवासी युवक के हक की नौकरी दूसरे राज्य के मूल निवासी युवक को दिला दी, अब वही अधिकारी सूचना के अधिकार अधिनियम का मखौल उड़ाते हुए आदिवासी युवक को परेशान करने पर आमादा हो गए हैं। वहीं ये अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारी के आदेश को भी दांवपेंच में उलझाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इस मामले में एसडीएम ने संयुक्त कलेक्टर के आदेश को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
मामला बकावंड तहसील के ग्राम छोटे देवड़ा का है। इस गांव के भतरा आदिवासी युवक मानसिंह को इंसाफ पाने के लिए दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा है। मानसिंह का आरोप है कि ओड़िशा से आकर छोटे देवड़ा में कुछ सालों से रह रहे कथित गैर आदिवासी युवक कमलोचन पिता पाकलू ने मानसिंह के नाना पक्ष की फर्जी वंशावली पेश कर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवा लिया और इसी जाति प्रमाण पत्र के जरिए बस्तर फाइटर की नौकरी भी हथिया ली। मानसिंह अपने आरोप के पक्ष में अनेक सबूत सामने ला चुका है। ग्राम पंचायत ने भी कमलोचन द्वारा पेश वंशावली को फर्जी करार दे दिया है, बावजूद मानसिंह को इंसाफ दिलाने के बजाय उसकी राह में लगातार कांटे ही बिछाए जा रहे हैं। कमलोचन को एक बार नहीं, बल्कि दो बार जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया है। दूसरी बार जाति प्रमाण पत्र तब जारी किया गया, जब इस प्रकरण की जांच चल रही थी। जाति प्रमाण पत्र बकावंड के उसी एसडीएम ने जारी किया, जो मामले के जांच अधिकारी रहे हैं और सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने में हिलाहवाला करने वाले अधिकारी भी वही एसडीएम ही हैं।
ओड़िशा के मूल निवासी युवक कमलोचन को भतरा आदिवासी जाति प्रमाण पत्र जारी करने और उसी जाति प्रमाण पत्र के जरिए बस्तर फाइटर में नौकरी पाने के मामले में न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहे असली भतरा आदिवासी मानसिंह ने संयुक्त कलेक्टर बस्तर को आवेदन देकर सूचना के अधिकार के तहत कमलोचन के नाम पर जारी किए गए जाति प्रमाण पत्र और इस हेतु कमलोचन द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की प्रतियां उसे उपलब्ध कराई जाएं। संयुक्त कलेक्टर ने मानसिंह का आवेदन एसडीएम बकावंड ओपी वर्मा के पास प्रेषित कर एसडीएम को निर्देशित किया था कि मानसिंह को वांछित जानकारियां तय समय सीमा में उपलब्ध कराई जाएं और की गई कार्रवाई से उन्हें अवगत कराया जाए।

इस तरह किया गया है फर्जीवाड़ा
बकावंड तहसील के ग्राम छोटे देवड़ा निवासी भतरा अनुसूचित जनजाति समुदाय के युवक मानसिंह भतरा ने शिकायत की थी कि उसके गांव में आकर कुछ सालों से रह रहे ओड़िशा के युवक कमलोचन ने अपने पिता पाकलू और दादा दिशा को छोटे देवड़ा निवासी भतरा आदिवासी और खुद को सोमारु भतरा का पुत्र बताते हुए फर्जी वंशावली के जरिए पटवारी से मिसल रिपोर्ट एवं उसके आधार पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर बस्तर फाइटर में नौकरी हथिया ली है। मानसिंह, सोमारु भतरा की बेटी घासनी का पुत्र है। सोमारु का एकमात्र पुत्र था, जिसका नाम सुखराम था। कमलोचन नाम का कोई बेटा सोमारु का नहीं है। मानसिंह की शिकायत पर जिला प्रशासन ने जांच शुरू कराई। जांच की जिम्मेदारी बस्तर के अनुविभागीय दंडाधिकारी ओपी वर्मा को सौंपी गई। श्री वर्मा ने गांव जाकर मामले की जांच की। पंचायत प्रतिनिधियों ने भी पुष्टि की है कि मानसिंह सोमारु का बेटा नहीं है तथा वह भतरा आदिवासी समुदाय से भी नहीं है। मामले की जांच जारी रहने के दौरान जांच अधिकारी और बस्तर के एसडीएम ओपी वर्मा ने बीते अक्टूबर माह में कमलोचन को छोटे देवड़ा निवासी बताते हुए उसके नाम पर भतरा आदिवासी का जाति प्रमाण पत्र जारी कर दिया। अब सवाल उठने लगा है कि जब ग्राम पंचायत ने भी कमलोचन के भतरा आदिवासी ना होने तथा सोमारु भतरा के परिवार से उसका कोई ताल्लुक ना रहने की पुष्टि कर दी है, तब किस आधार पर कमलोचन को जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया ?
फिर से पैदा कर दी नई पेंच
मानसिंह ने पूर्व में सूचना के अधिकार के तहत आवेदन देकर मांग की थी कि कमलोचन द्वारा बस्तर फाइटर की नौकरी पाने के लिए जो जाति प्रमाण पत्र व अन्य दस्तावेज पेश किए हैं, उनकी प्रतियां उसे उपलब्ध कराई जाएं। मगर मानसिंह को दस्तावेज दिए ही नहीं गए। इसके लिए वह कई दिनों तक भटकता रहा। आखिरकार मानसिंह ने जिला प्रशासन के समक्ष फिर से आवेदन प्रस्तुत कर कमलोचन से जुड़े सारे दस्तावेजों की प्रतियां उपलब्ध कराने की मांग की। उसके आवेदन पर कार्रवाई करते हुए संयुक्त कलेक्टर ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, बस्तर को पत्र जारी कर निर्देशित किया है कि मानसिंह को चाही गई जानकारी तय समय सीमा में उपलब्ध कराई जाए। मगर फिर वही ढाक के तीन पात कहावत को चरितार्थ करते हुए एसडीएम ने मानसिंह के आवेदन में एक नई पेंच फंसा दी है। इस बार एसडीएम ने मानसिंह के आवेदन में प्रकरण क्रमांक और किस व्यक्ति से जुड़े दस्तावेज चाहिए, इसका उल्लेख न होने का हवाला देते हुए मानसिंह को किसी तरह की जानकारी देने में असमर्थता जता दी है। जब इस संवाददाता ने एसडीएम श्री वर्मा से उनका पक्ष जानना चाहा, तो उनका जवाब गोलमोल रहा। उनका कहना था कि मानसिंह ने आवेदन में प्रकरण क्रमांक नहीं लिखा है और न ही किससे संबंधित दस्तावेज चाहिए इसका उल्लेख ही किया है।
छानबीन समिति के पास हैं दस्तावेज
प्रकरण से जुड़े सारे मूल दस्तावेज राज्य स्तरीय छानबीन समिति रायपुर को प्रेषित की जा चुकी हैं, मेरे पास सिर्फ छायाप्रतियां हैं। आवेदक चाहे, तो उसे छायाप्रतियां उपलब्ध करा दी जाएंगी।
ओपी वर्मा
अनुविभागीय दंडाधिकारी, बकावंड.