कालोनाइजर पृथ्वी डेवलपर पर कॉलोनीवासियों का फूटा गुस्सा

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  • अशोका लाईफ स्टाईल कॉलोनी के निर्माण में अनुबंध का पालन नहीं
  • 12 साल में भी विकसित नहीं हो पाई कॉलोनी, फिर भी दूसरी कॉलोनी बनाने निगम ने दे दिया परमिशन


जगदलपुर कॉलोनाइजर पृथ्वी डेवलपर के प्रबंधन अशोक लुंकड़ पर अशोका लाईफ स्टाईल कॉलोनी के निवासियों का गुस्सा फूट पड़ा है। कॉलोनी वासियों ने आरोप लगाया है कि कॉलोनाइजर द्वारा 12 वर्षो बाद भी अशोका लाइफ स्टाइल कॉलोनी का समुचित विकास नहीं कराया गया है। अधूरे विकास वाली कॉलोनी को नगर निगम द्वारा टेकओवर कर लिया गया है। इससे नगर निगम प्रशासन एवं कॉलोनाइजर के बीच सांठगांठ की बू आ रही है। हाउस बायर्स ने कहा है कि कॉलोनी निर्माण के दौरान जारी किए गए ब्रोसर के अनुसार आज तक कॉलोनी में सड़क निर्माण, तालाब सौंदर्यीकरण कार्य, पानी निकासी की पर्याप्त व्यवस्था एवं कॉलोनी को पूर्णत: बाउंड्रीवाल से घेरने सहित कई कार्य अधूरे ह
हैं। सदस्यों ने मांग की है कि अनुबंध शर्तो के आधार पर कॉलोनी का अधूरे कार्य पूर्ण नहीं कराए जाने पर चक्काजाम किया जाएगा एवं न्यायालय की शरण ली जाएगी। बायर्स ने यह भी आरोप लगाया है कि पूर्व में स्वीकृत कॉलोनी का संपूर्ण विकास कार्य नहीं करने वाले कॉलोनाईजर को उसी स्थान पर नई कॉलोनी बनाने की स्वीकृति नगर निगम प्रशासन ने दे दी है, जो कॉलोनाईजर एक्ट का उल्लंघन है। बायर्स ने जिला प्रशासन से मामले को संज्ञान में लेते हुए नई कॉलोनी निर्माण की स्वीकृति निरस्त करने की भी मांग की है। अशोका लाईफ स्टाईल कॉलोनी प्राथमिक सहकारी समिति के अध्यक्ष उमेश कुमार, उपाध्यक्ष नीलम कुशवाहा, सचिव धनंजय राव, निकेश देवांगन, संरक्षक सुनीता सिंह,संजय मिश्रा, श्री श्रीवास्तव व अन्य सदस्यों ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान बताया कि पृथ्वी डेवलपर के प्रोपाइटर द्वारा महावीर नगर, अशोका पार्क तथा अशोका लाईफ स्टाईल के नाम से कॉलोनियों का निर्माण कराया गया है। सभी कॉलोनियों में आधे अधूरे कार्य कराए गए हैं। इसे लेकर सभी कॉलोनियों में विवाद की स्थिति बनी हुई है। बायर्स की शिकायतों के बाद भी प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है। बायर्स ने बताया कि धरमपुरा तीन में प्रस्तावित अशोका लाईफ स्टाईल कॉलोनी के हालात भी कुछ ऐसे ही है। इस कॉलोनी में सड़क निर्माण, पानी निकासी, बच्चों तथा बुजुर्गो के लिए सुविधा, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तालाब सौंदर्यीकरण के कार्य 12 वर्षो बाद भी अधूरे ही हैं। कॉलोनी में 30 फीट चौड़ी सड़क प्रस्तावित थी, जो 22 फीट चौड़ी बनाई गई है। यह कृत्य कालोनाईजर एक्ट का उल्लंघन है। कॉलोनीवासियों के लिए आफत बन जाती है बारिश
अशोका लाइफ स्टाइल कॉलोनी में 87 मकानों के निर्माण की अनुमति मिली थी, किंतु कॉलोनाईजर द्वारा 86 मकान ही बनाए गए हैं। 87 नंबर के मकान का आधा भूखंड 86 नंबर के मकान मालिक को विक्रय किया गया है तथा शेष आधे प्लॉट एवं ग्रीन लैंड की जमीन को मिलाकर अपने निजी स्वार्थ हेतु नियम विरूद्ध उक्त स्थान को सड़क के रूप में नए कॉलोनी के प्लाट से जोडऩे का प्रयास किया जा रहा है। कॉलोनी में बरसाती पानी के निकास की पर्याप्त व्यबस्था नहीं होने के कारण बारिश का मौसम कॉलोनीवासियों के लिए मुसीबतें लेकर आता है। घरों में पानी भारने से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जबकि कॉलोनीवासियों से नगर निगम द्वारा सभी प्रकार के टैक्स लिए जा रहे हैं। इसके बाद भी व्यवस्था लचर है।
नई कॉलोनी निर्माण की अनुमति कैसे ?
समिति के सदस्यों ने बताया कि कॉलोनाईजर एक्ट नियमों के अनुसार पूर्व में स्वीकृत कॉलोनी का समुचित विकास नियम एवं शर्तो के आधार पर करने के बाद ही संबंधित कॉलोनाइजर को नई कॉलोनी के निर्माण की स्वीकृति देने का प्रावधान है। नियमों और कॉलोनाईजर एक्ट का उल्लंघन करते हुए नई कॉलोनी की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। इससे कॉलोनाईजर एवं प्रशासन में सांठगांठ होने का अंदेशा है। अधूरी कॉलोनी को नगर निगम द्वारा टेकओवर कर लिया जाना एक्ट के खिलाफ है। तात्कालिक नगर निगम आयुक्त नीलकंठ टेकाम ने 6 अक्टूबर 2011 को कॉलोनी को टेकओवर करते हुए 6 बिंदुओं पर शर्ते निर्धारित की थी। इसके तहत निगम के कोष में डामरीकरण कार्य 22 मीटर करने को लेकर 4 लाख 50 हजार की राशि जमा कराई गई थी। शर्त रखी गई थी कि कॉलोनी की सड़क के निचले भाग से पानी की निकासी, कॉलोनी के प्रवेश स्थल पर स्थित तालाब का सौंदर्यीकरण सहित अन्य कार्य तीन माह में पूर्ण कराए जाएंगे। निगम प्रशासन ने इस बाबत निर्देश भी जारी किया था। आदेश के 12 वर्ष बाद भी कॉलोनी का समुचित विकास न हो पाना नगर निगम की उदासीनता को दर्शाता है। कॉलोनीवासियों ने कार्य जल्द पूर्ण नहीं होने पर चक्काजाम करने एवं न्यायालय जाने की बात कही है। उधर निगम आयुक्त का कहना है कि कॉलोनी को पूर्व में टेकओवर किया गया है और वर्तमान में नई कॉलोनी की निर्माण की स्वीकृति टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अनुमोदन के आधार पर दी गई है।
काम न आई कलेक्टर से गुहार
समिति के सदस्यों ने कॉलोनी के नाम पर अवैध निर्माण कार्य को रोकने की गुहार बस्तर कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त से लगाई थी, तब जांच कराने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अवैध निर्माण कार्यो पर रोक नहीं लगाई गई है।