ठेकेदारों के पेमेंट स्ट्रक्चर को ढहने से बचाया मंत्री साहू ने

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  • लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू ने अधिकारियों से कहा – ठेकेदारों का भुगतान समय पर हो
  • अटका हुआ है लोनिवि के ठेकेदारों के अरबों रु. का भुगतान

अर्जुन झा

जगदलपुर लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू ने विभागीय ठेकेदारों के भुगतान के ढांचे को ढहने से बचाने की कवायद शुरू कर दी है। उन्होंने विभाग के शीर्ष अधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि ठेकेदारों को उनके द्वारा कराए गए कार्यों की राशि का भुगतान समय पर किया जाए।

उल्लेखनीय है राज्य सरकार द्वारा सड़कों के निर्माण और रख रखाव के लिए छत्तीसगढ़ रोड इंफ्रा स्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन का गठन किया है। इस संस्था की कार्यप्रणाली में इतनी जटिलताएं हैं कि ठेकेदारों का भुगतान महिनों लटका रहता है। ठेकेदारों के माध्यम से कराए गए कार्यों की विभिन्न स्तरों पर जांच पूरी होने के बाद भी उन्हें भुगतान नहीं किया जाता। लोक निर्माण विभाग इस नई संस्था के अंडर काम करता है। संस्था के प्रबंध निदेशक आईएएस सारांश मित्तल हैं। संस्था द्वारा बैंक ऋण से राज्य के दुर्गम एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगभग पांच हजार करोड़ की लागत से सड़कों का निर्माण और संधारण कार्य कराया जा रहा है। बस्तर संभाग में भी कई सौ करोड़ के कार्य संस्था द्वारा ठेकेदारों के माध्यम से कराए जा रहे हैं।ठेकेदारों को तय समय में कार्य पूरा करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। कार्य पूरा ना होने पर ठेकेदारों पर पेनाल्टी लगाई जाती है। मगर ठेकेदारों को भुगतान समय पर नहीं किया जाता। इसलिए वे कार्य पूर्ण नहीं करा पाते। विभाग से भुगतान न मिलने के कारण ठेकेदारों को ऊंची ब्याज दर पर साहूकारों से कर्ज लेकर काम चलाना पड़ रहा है। सड़कों के निर्माण में लगे ठेकेदारों के सैकड़ों करोड़ रु. का भुगतान अटका हुआ है। इसके चलते सड़क निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इस संबंध में विस्तृत खबर प्रकाशन के बाद हरकत में आए लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू ने विभागीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ठेकेदारों के भुगतान में जरा भी देरी नहीं होनी चाहिए। इससे सड़कों का निर्माण बाधित होता है और गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है। मंत्री साहू की इस पहल से ठेकेदारों को अब राहत मिलने की उम्मीद है।

ठेकेदारों का कहना है कि भुगतान जल्द करने के साथ ही इसकी प्रक्रिया को भी सरल बनाया जाना चाहिए। पहले लोक निर्माण विभाग के ईई द्वारा कार्य की स्थिति के आधार पर ठेकेदारों को तुरंत चेक जारी कर दिए जाते थे। नई व्यवस्था में अब ठेकेदारों द्वारा कराए जाने वाले कार्यों के वेरिफिकेशन का क्रम सब इंजीनियर से शुरू होकर संभाग व जिला स्तर के अधिकारियों से होते हुए विभाग के इंजीनियर इन चीफ तक चलता है। इंजीनियर इन चीफ के प्रतिवेदन के बाद सीजीआरडीसी प्रबंध निदेशक भुगतान की अनुमति देते हैं। इस प्रक्रिया में काफी लंबा समय लग जाता है। ठेकेदारों का कहना है कि भुगतान की मंजूरी दो लेवल पर दी जाए। इंजीनियर इन चीफ और एमडी की स्वीकृति पर तुरंत भुगतान किया जाना चाहिए।