भाजपा शासनकाल में घालमेल करने वाले अधिकारी कांग्रेस के भी बने चहेते

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मामला राजीव गाँधी शिक्षा मिशन का

मुक्त बाधित विद्यालय में घटिया सामग्री सप्लाई के नाम पर लाखों के वारे न्यारे

कमीशन का जमकर हुआ करता था खेल

जगदलपुर- भाजपा शासनकाल में शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी सामग्री सप्लाई के नाम पर लाखों के वारे-न्यारे कर शासन को लाखों की चपत लगा चुके है। ऐसे अधिकारी सत्ता परिवर्तन के बाद ऐसा खेल खेले कि आज कांग्रेसियों के भी खासमखास बन गये है। ऐसा ही एक मामला राजीव गांधी शिक्षा मिशन का प्रकाश में आया है वहां पदसथ तत्कालीन संचालक ने अपने चहेते ठेकेदार से सांठगांठ कर घटिया सामग्री की सप्लाई कर लाखों के बंदरबाट कर चुका है। राशि का बंदरबाट करने वाला अधिकारी आज करोड़ों का असामी बन चुका है। वर्तमान में उक्त अधिकारी पीसीसी अध्यक्ष के गृह जिले का डीईओ के पद पर पदस्थ है जबकि उक्त अधिकारी इस पद के लिए पात्रता ही नहीं रखता।

ज्ञातव्य हो कि भाजपा शासनकाल में शिक्षा विभाग में जमकर राशि का बंदरबाट हुआ है जिसका समय-समय पर कांग्रेसियों ने विरोध भी दर्ज कराया करते थे लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद जिस अधिकारियों पर कांग्रेसी आग उगला करते थे वह अधिकारी कांग्रेसियों के खास हो गये है। कांग्रेस ऐसे अधिकारियों पर कड़ी कार्रर्वा करने की बात करती थी लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस के ऐसे चहेते बने की आज भी वह चहेते स्थानों पर पदस्थ है और उन्हे घालमेल करने का खुली छूट मिली हुई है।

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सामग्री सप्लाई में लाखों के वारे-न्यारेः

राजीव गांधी शिक्षा मिशन में तत्कालिन संचालक के कार्यकाल में सामग्री सप्लाई के नाम पर लाखों के वारे न्यारे किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2018-19 में मुक्तबाधित विद्यालय में लाखों की सामग्री सप्लाई की गई थी जिसके लिए संचालक अपने एक चहेते ठेकेदार को सप्लाई का काम दिया था।

बताया जा रहा है कि घटिया स्तर के सामग्री सप्लाई की गई थी जिसकी गुणवत्ता का कोई मापदंड नहीं था। यहां तक कि खानापूर्ति के लिए किसी एक सामग्री के सप्लाई का टेण्डर देकर अधिकांश सप्लाई एक ठेकेदार के द्वारा कराया गया है। जिसकी गुणवत्ता की पड़ताल की जाये तो मिशन का कई ऐसा मामला है जो उजागर हो सकता है और घालमेल करने वाले भी बेनकाब हो सकते है।

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छोड़ेगे नहीं सत्ता आने पर,भूल गये :

कांग्रेस के कई जिम्मेदार नेता यह कहा करते थे कि शिक्षा मिशन में भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारी को छोड़ेंगे नहीं लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद ऐसे अधिकारी ऐसी चाल चले कि कांग्रेसियों के भी खास हो गये। कार्रवाई कराने की दहाड़ लगाने वाले नेता अब चुप्पी साधे बैठे है। ऐसे अधिकारी उन नेताओं को भी प्रसाद चढ़ाकर खुश करने में सफल रहे जिसका उन्हे इनाम भी मिला है जो आज कांग्रेस के भी खास बन गये है।

अपात्र को डीईओ की जिम्मेदारी:

बस्तर जिले में पदस्थ मिशन संचालक जो वर्तमान में कोण्डागांव जिले में डीईओ के पद पर पदस्थ है शिक्षा के जानकारों की माने तो अपात्र को डीईओ की जिम्मेदारी दी गई है जबकि वह मुलतः व्याख्याता के पद पर पदस्थ है जबकि कई वरिष्ठ व्याख्याता स्कूलों में है उन्हे मौका नहीं मिला।

सांसद प्रतिनिधि एवं प्रदेश महासचिव सुशील मौर्य ने भी आरोप लगाया है कि तत्कालिन मिशन संचालक के कार्यकाल में घटिया सामग्री सप्लाई कर राशि की बंदरबाट की गई है। उन्होंने कहा कि उक्त मामले की निष्पक्ष जांच कराई जायेगी। उन्होंने ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को तत्काल पद से हटाकर मामले की निष्पक्ष जांच करवाने शिक्षा मंत्री को पत्र लिखने की बात कही।