- प्लांट बेचने केंद्र ने राज्य सरकार पर दबाव डालकर जमीन बिकवाई
- 146. 05 हेक्टेयर जमीन 99 वर्ष के लिए पट्टे पर दिलवाकर निजीकरण के लिए बना लिया गया रास्ता
–अर्जुन झा–
नगरनार नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण के लिए ‘जमीन’ का बड़ा खेल खेला गया है। केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार पर विभिन्न फंड रोक देने, छत्तीसगढ़ का विकास अवरुद्ध कर देने, लोक कल्याण की योजनाओं के लिए धन न देने जैसी धमकियां देकर और दबाव डालकर क्षेत्र के आदिवासियों से अधिग्रहित की गई तथा शासकीय भूमि समेत कुल 146.05 हेक्टेयर जमीन को 99 वर्ष के पट्टे पर एनएमडीसी को दिलवा दिया। ऐसा करके केंद्र सरकार ने इस जमीन पर एनएमडीसी द्वारा नगरनार में स्थापित इस्पात संयंत्र को बेचने का रास्ता साफ करा लिया। केंद्र की भाजपा सरकार नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण के लिए प्रयासरत ही नहीं है, बल्कि उसने निजीकरण की राह में आने वाली सभी तरह की बाधाओं को भी हठकंडे अपनाकर दूर कर दिए हैं। इस स्टील प्लांट के निजीकरण की राह में केंद्र सरकार के लिए सबसे बड़ी बन रही थी वह जमीन, जिस पर नगरनार इस्पात संयंत्र स्थापित है। नगरनार इस्पात संयंत्र की जमीन राज्य सरकार के सीआईडीसी के नाम पर रही है। एनएमडीसी आयरन एंड स्टील कंपनी के एकीकृत इस्पात संयंत्र स्थापना के लिए केंद्र सरकार की मांग पर राज्य सरकार ने नगरनार, कस्तूरी, आमागुड़ा, मंगनपुर व अन्य गांवों के आदिवासियों की और शासकीय समेत कुल 146.05 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया था। प्लांट कुल 152.06 हेक्टेयर जमीन पर स्थापित है। यह जमीन जिला उद्योग केंद्र (सीआईडीसी ) जगदलपुर के नाम थी। ऐसे में तकनीकी दिक्कतें आना लाजिमी थीं। इस वजह से केंद्र सरकार इस्पात संयंत्र का निजीकरण नहीं कर पाती। राज्य सरकार के स्वामित्व की जमीन पर स्थापित नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण केंद्र सरकार चाहकर भी नहीं कर सकती थी, क्योंकि बिना राज्य सरकार द्वारा एनएमडीसी को जमीन बेचे, केंद्र सरकार नगरनार इस्पात संयंत्र का निजीकरण नहीं कर सकती थी।
केंद्र ने अपनाए ऐसे हथकंडे
नगरनार इस्पात संयंत्र को निजी हाथों में देने के लिए केंद्र सरकार ने ऐसे – ऐसे हथकंडे अपनाए कि राज्य सरकार को नगरनार इस्पात संयंत्र के लिए अधिग्रहित जमीन सरकार एनएमडीसी के हाथों में बेचना पड़ गया। सूत्र बताते हैं कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जरूरी धन राशि न देने, छत्तीसगढ़ का विकास अवरुद्ध कर देने, केंद्रीय अनुदान न देने, राज्य सरकार के अधिकारियों पर छापे डलवाने जैसी धमकियां देकर व दबाव डालकर जमीन एनएमडीसी को 99 वर्षीय पट्टे पर दिलवा दी। एनएमडीसी को जमीन की लीज मिल जाने से नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण का रास्ता साफ हो गया है। यह कदम बस्तर की माटी और बस्तरवासियों के विश्वासघात से कम नहीं है।
इस तरह हुआ जमीन का खेल
नगरनार स्टील प्लांट 152.6 हेक्टेयर जमीन पर बना है और यह जमीन महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र जगदलपुर के नाम थी। जिला उद्योग केंद्र (सीएसाआईडीसी) ने गुपचुप तरीके से यह जमीन एनएमडीसी को बेच दी है। 6 दिसंबर 2021 को सीएसआईडीसी ने 32.04 हेक्टेयर का डिमांड नोट एनएमडीसी को भेजा। तब 20 दिसंबर 2021 को एनएमडीसी ने 5 करोड़ 10 लाख 60 हज़ार 228 रुपए का भुगतान सीएसआईडीसी को कर दिया। शेष जमीन की राशि लिए 21 दिसंबर 2021 को सीएसआईडीसी ने फिर डिमांड नोट जारी किया। इस डिमांड पर एनएमडीसी ने 27 दिसंबर 2021 को 28 करोड़ 41 लाख 10 हजार 463 रुपए का भुगतान सीएसआईडीसी को किया। ऐसा इसलिए किया गया, कि एनएमडीसी नगरनार स्टील प्लांट का हस्तांतरण किसी दूसरी कंपनी को कर सके और इसके बाद इस स्टील प्लांट में विनिवेशीकरण किया जा सके।
99 वर्ष के पट्टे पर दी गई है जमीन
उद्योग विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एनएमडीसी आयरन एंड स्टील प्लांट को एकीकृत इस्पात प्लांट की स्थापना के लिए ग्राम नगरनार, कस्तूरी, आमागुड़ा, मंगनपुर आदि ग्रामों की कुल 146.05 हेक्टेयर शासकीय भूमि 99 वर्ष की अवधि के लिए पट्टे पर आवंटित की गई है। इस भूमि के पट्टाभिलेख का निष्पादन 14 मार्च 2022 को किया गया है। इस भूमि के आवंटन से विभाग को भू-प्रब्याजी एवं सुरक्षा निधि के रूप में कुल रु 31.14 करोड़ रूपए की राशि प्राप्त हुई है।एनएमडीसी द्वारा नगरनार स्टील प्लांट की स्थापना में लगभग 20 हजार करोड़ रूपये का निवेश किया जा चुका है।