फ्लोराईड का जहर और प्रशासन की उपेक्षा का कहर ग्रामीणों पर

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  • नदी की रेत में झरिया खोदकर ग्रामीण कर रहे पानी की व्यवस्था
  • बाकेल गांव के कोंगालगुड़ा पारा के निवासियों की नहीं ली गई सुध

अर्जुन झा

बस्तर इंसान के कदम चांद और मंगल ग्रह पर भले ही पड़ गए हैं, लेकिन बस्तर संभाग में आज भी ऐसे दर्जनों गांव हैं, जहां प्रशासनिक अधिकारियों के कदम नहीं पड़ पाए हैं। अफसरों को अपने एसी चेंबर से निकलकर जमीनी हकीकत जानने के लिए शायद फुरसत नहीं है। ऐसा ही एक अभागा गांव है बाकेल।

इस गांव के कोंगालगुड़ा पारा की पूरी आबादी को फ्लोराईड के जहर का दंश और प्रशासनिक उपेक्षा का कहर झेलना पड़ रहा है।बस्तर विकासखंड के ग्राम बाकेल के कोंगालगुड़ा की धरती की कोख में फ्लोराईड का जहर घुला हुआ है। नतीजतन इस बस्ती के भूगर्भ जलस्रोत का उपयोग करना खतरे से खाली नहीं है। फ्लोराईड इंसान और पशुओं के शरीर पर घातक प्रभाव डालता है। छत्तीसगढ़ शासन ने दूर दराज के गांवों के भी लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने तथा फ्लोराईड प्रभावित इलाकों में पानी आपूर्ति के लिए विशेष व्यवस्था कर रखी है। बशर्ते ऐसे संकटग्रस्त इलाकों की जानकारी शासन तक पहुंचनी चाहिए। शासन तक जानकारी पहुंचाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों पर है, लेकिन बाकेल कोंगालगुड़ा पारा के ग्रामीणों के संदर्भ में प्रशासनिक और लोक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। इस बस्ती के दर्जनों परिवारों को बूंद – बूंद पानी के लिए भटकना पड़ रहा है।गांव में पीने भोजन बनाने के लिए शुद्ध पानी का इंतजाम प्रशासन आज तक नहीं कर पाया है। गांव की महिलाएं कई किलोमीटर का सफर कर नारंगी नदी से अपने परिवारों की जरूरत के लिए पानी का इंतजाम करती हैं। महिलाएं नदी की रेत पर झरिया ( गड्ढा ) खोदकर वहां से स्वच्छ पानी निकलती हैं। एकसाथ दो – तीन गुंडियों या बाल्टियों में पानी लाना पड़ता है, अन्यथा उन्हें नदी तक का सफर बार बार करना पड़ता है। नदी में अभी पानी का मामूली बाहव चल रहा है, लेकिन उसकी शुद्धता – आशुद्धता को लेकर ग्रामीण सशंकित हैं, इसलिए सीधे नदी से पानी न लेकर झरिया खोदना पड़ता है। झिरिया में अच्छी तरह से छना हुआ पानी आता है, जो सभी तरह के उपयोग के लिए बेहतर रहता है।*बॉक्स**इसके लिए जिम्मेदार आखिर कौन?* बाकेल का कोगालगुड़ा पारा बस्तर विकासखंड और नारायणपुर विधानसभा क्षेत्र में स्थित है। इस लिहाज से बाकेल, कोंगालगुड़ा पारा के लोगों को पानी, बिजली, सड़क, चिकित्सा, शिक्षा आदि बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी बस्तर और नारायणपुर जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की है। नारायणपुर के विधायक भी इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकते, क्योंकि उन्हें विधानसभा तक पहुंचाने में बाकेल कोंगालगुड़ा के भी मतदाताओं का उतना ही योगदान है, जितना कि अन्य गांवों के मतदाताओं का है।