- डांसर धर्मेश के संग लगे झूम झूम के नाचने, जीत लिया दिल
बस्तर आदिवासी जन्मजात कला, संगीत, नृत्य के प्रेमी होते हैं। कलाधर्मिता उनका नैसर्गिक गुण का हिस्सा होती है। कहीं गीत, संगीत, नृत्य की महफिल जमी हो और वहां मौजूद कोई आदिवासी बेजान सा बना बैठा रहे ऐसा तो हो ही नहीं सकता। हमारे बस्तर के आदिवासी सपूत कवासी लखमा भी ऐसे ही कला संस्कृति प्रेमी हैं। उनका भी आदिवासी मन मयूर अक्सर झूम उठता है और सार्वजनिक जगहों पर भी वे आज भले ही वे अपनी कलाप्रियता का प्रदर्शन करने से खुद को रोक नहीं पाते।
ऐसा ही नजारा बीते दन तब देखने को मिला जब कवासी लखमा सिने जगत के मशहूर डांसर धर्मेश के साथ स्टेज पर डांस का जलवा दिखाने में मगन हो गए थे।आदिवासी कला, संगीत, गीत, नृत्य के बीच जन्म लेते हैं और इसी कलाधर्मिता के बीच इस नश्वर संसार से विदा हो जाते हैं। आदिवासियों के सभी संस्कारों, धार्मिक कार्यक्रमों में गीत, संगीत, नृत्य अहम हिस्से होते हैं। आदिवासी भले ही कितने भी बड़े ओहदे पर क्यों न पहुंच जाए, वह अपना गुण धर्म से कभी विमुख नहीं होता। संगीत की स्वर लहारियां बिखर रहीं हों, गीत नृत्य की महफिल सजी हो और उस महफिल में मौजूद कोई आदिवासी चुपचाप बैठा रह जाए ऐसा हरगिज हो नहीं सकता।उसके हाथ पैर खुद बखुद थिरकने लग जाते हैं और एक क्षण ऐसा भी आता है, जब वह बेसुध होकर नाचने लगता है। कुछ ऐसी ही तासीर वाले हैं हमारे बस्तर के नेता कवासी लखमा। लखमा प्रदेश सरकार में बड़े संवैधानिक पद पर बैठे हैं। वे छत्तीसगढ़ शासन में केबिनेट मंत्री हैं। गीत, संगीत और नृत्य के दीवाने हैं।उनकी यह दीवानगी अक्सर जगजाहिर होती रहती है। बस्तर में उनकी यह दीवानगी तो दिखती ही रहती है, अब बस्तर के इतर भी उनका कलाप्रेम देखने में आने लगा है। कवासी लखमा का ऐसा ही कलाप्रेम सिने जगत के जाने माने डांसर धर्मेश के स्टेज पर भी देखने को मिला। धर्मेश संगीत की धुन के बीच डांस का जलवा दिखा रहे थे, पास ही कवासी लखमा उसका लुत्फ़ उठाते बैठे थे। तभी लखमा कुर्सी छोड़ स्टेज पर पहुंच गए और धर्मेश के संग जमकर डांस करने लगे। दर्शक दीर्घा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी। लखमा दादी ने धर्मेश की महफिल ही लूट ली।